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सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक मामले में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को दिया निर्देश - YASIN MALIK CASE

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट से जम्मू के स्पेशल कोर्ट में उचित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा तुरंत सुनिश्चित करने को कहा.

SC to JK HC registrar
सुप्रीम कोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 20, 2025, 2:27 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह जम्मू की विशेष अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराएं. सुप्रीम कोर्ट 1989 के रुबैया सईद अपहरण और 1990 के श्रीनगर गोलीबारी मामलों की सुनवाई कर रही है. इसमें जेल में बंद जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और अन्य शामिल हैं. मलिक फिलहाल एक अन्य टेरर फंडिंग मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है.

यह मामला न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष आया. शीर्ष अदालत ने जम्मू हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह मलिक को अदालती सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से भाग लेने के लिए उचित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा सुनिश्चित करें और दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार प्रौद्योगिकी को यह जांचने के लिए भी कहा कि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा ठीक से काम कर रही है या नहीं.

सुनवाई के दौरान जस्टिस ओका ने सीबीआई से कहा कि वह अदालत को दिखाए कि मलिक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने से इनकार कर दिया है. सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश में दर्ज है.

न्यायमूर्ति ओका ने मेहता से कहा कि वे दिखाएं कि यह आदेश में कहां दर्ज है और बताया कि न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि वे कोई वकील नियुक्त नहीं कर रहे हैं. मेहता ने जोर देकर कहा कि वे बहुत स्पष्ट हैं कि मलिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा सुविधा से इनकार कर रहे हैं, अन्यथा कोई आपत्ति नहीं हो सकती. न्यायमूर्ति ओका ने कहा, 'न्यायाधीश का कहना है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है.

ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए मेहता ने कहा कि आदेश में कहा गया है कि आरोपी नंबर 1 (मलिक) ने अभियोजन पक्ष के गवाह से वर्चुअल मोड के माध्यम से जिरह करने से इनकार कर दिया है. अदालत के समक्ष अपनी शारीरिक उपस्थिति पर जोर दिया है ताकि वह अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह कर सके.

मेहता ने कहा कि आदेश में यह भी दर्ज किया गया है कि आरोपी नंबर 1 किसी वकील को नियुक्त नहीं करना चाहता है और न ही वह किसी वकील की सेवाएं लेना चाहता है. पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'जम्मू के तीसरे अतिरिक्त न्यायाधीश द्वारा दो स्थानों पर की गई टिप्पणियों में दर्ज किया गया है कि उनकी अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है.

हम जम्मू और कश्मीर के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश देते हैं कि वे न्यायाधीश द्वारा बताई गई बातों पर गौर करें और एक उचित प्रणाली स्थापित करने के लिए तत्काल कदम उठाएं जिसके माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई ठीक से की जा सके.'

न्यायमूर्ति ओका ने कहा, 'प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि प्रभावी जिरह हो सके. रजिस्ट्रार जनरल को आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए और विधिवत स्थापित प्रणाली की जांच के लिए दूसरे रजिस्ट्रार को नियुक्त करने के बाद इस अदालत को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए. रिपोर्ट 18 फरवरी, 2025 तक प्रस्तुत की जानी चाहिए.

मेहता ने कहा कि राज्य पूरी सहायता करेगा और उन्होंने कहा, 'जो हो रहा है वह यह है कि प्रतिवादी संख्या 1 (मलिक) कहता है कि मैं वहां जाना चाहता हूं.' मेहता ने स्पष्ट किया कि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की कोई समस्या नहीं है और वहां एक अलग न्यायालय कक्ष भी है.

न्यायमूर्ति ओका ने दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार प्रौद्योगिकी/कम्प्यूटर को तिहाड़ जेल में सुविधा का दौरा करने के लिए कहा. दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को 18 फरवरी को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा. पीठ ने सीबीआई की याचिका पर सुनवाई 21 फरवरी को निर्धारित की है.

सुप्रीम कोर्ट सीबीआई की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 1989 के रुबैया सईद अपहरण और 1990 के श्रीनगर गोलीबारी मामलों की सुनवाई जम्मू से नई दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की गई है ताकि मलिक को वहां की विशेष अदालत में ले जाने की आवश्यकता न हो.

ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने CBI की याचिका पर यासीन मलिक और दूसरे आरोपियों से जवाब मांगा -

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह जम्मू की विशेष अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराएं. सुप्रीम कोर्ट 1989 के रुबैया सईद अपहरण और 1990 के श्रीनगर गोलीबारी मामलों की सुनवाई कर रही है. इसमें जेल में बंद जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और अन्य शामिल हैं. मलिक फिलहाल एक अन्य टेरर फंडिंग मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है.

यह मामला न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष आया. शीर्ष अदालत ने जम्मू हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह मलिक को अदालती सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से भाग लेने के लिए उचित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा सुनिश्चित करें और दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार प्रौद्योगिकी को यह जांचने के लिए भी कहा कि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा ठीक से काम कर रही है या नहीं.

सुनवाई के दौरान जस्टिस ओका ने सीबीआई से कहा कि वह अदालत को दिखाए कि मलिक ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने से इनकार कर दिया है. सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश में दर्ज है.

न्यायमूर्ति ओका ने मेहता से कहा कि वे दिखाएं कि यह आदेश में कहां दर्ज है और बताया कि न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि वे कोई वकील नियुक्त नहीं कर रहे हैं. मेहता ने जोर देकर कहा कि वे बहुत स्पष्ट हैं कि मलिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा सुविधा से इनकार कर रहे हैं, अन्यथा कोई आपत्ति नहीं हो सकती. न्यायमूर्ति ओका ने कहा, 'न्यायाधीश का कहना है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है.

ट्रायल कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए मेहता ने कहा कि आदेश में कहा गया है कि आरोपी नंबर 1 (मलिक) ने अभियोजन पक्ष के गवाह से वर्चुअल मोड के माध्यम से जिरह करने से इनकार कर दिया है. अदालत के समक्ष अपनी शारीरिक उपस्थिति पर जोर दिया है ताकि वह अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह कर सके.

मेहता ने कहा कि आदेश में यह भी दर्ज किया गया है कि आरोपी नंबर 1 किसी वकील को नियुक्त नहीं करना चाहता है और न ही वह किसी वकील की सेवाएं लेना चाहता है. पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'जम्मू के तीसरे अतिरिक्त न्यायाधीश द्वारा दो स्थानों पर की गई टिप्पणियों में दर्ज किया गया है कि उनकी अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली ठीक से काम नहीं कर रही है.

हम जम्मू और कश्मीर के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश देते हैं कि वे न्यायाधीश द्वारा बताई गई बातों पर गौर करें और एक उचित प्रणाली स्थापित करने के लिए तत्काल कदम उठाएं जिसके माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई ठीक से की जा सके.'

न्यायमूर्ति ओका ने कहा, 'प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि प्रभावी जिरह हो सके. रजिस्ट्रार जनरल को आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए और विधिवत स्थापित प्रणाली की जांच के लिए दूसरे रजिस्ट्रार को नियुक्त करने के बाद इस अदालत को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए. रिपोर्ट 18 फरवरी, 2025 तक प्रस्तुत की जानी चाहिए.

मेहता ने कहा कि राज्य पूरी सहायता करेगा और उन्होंने कहा, 'जो हो रहा है वह यह है कि प्रतिवादी संख्या 1 (मलिक) कहता है कि मैं वहां जाना चाहता हूं.' मेहता ने स्पष्ट किया कि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की कोई समस्या नहीं है और वहां एक अलग न्यायालय कक्ष भी है.

न्यायमूर्ति ओका ने दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार प्रौद्योगिकी/कम्प्यूटर को तिहाड़ जेल में सुविधा का दौरा करने के लिए कहा. दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को 18 फरवरी को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा. पीठ ने सीबीआई की याचिका पर सुनवाई 21 फरवरी को निर्धारित की है.

सुप्रीम कोर्ट सीबीआई की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 1989 के रुबैया सईद अपहरण और 1990 के श्रीनगर गोलीबारी मामलों की सुनवाई जम्मू से नई दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की गई है ताकि मलिक को वहां की विशेष अदालत में ले जाने की आवश्यकता न हो.

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