जबलपुर। पहले राजीव गांधी आवास योजना और फिर प्रधानमंत्री आवास योजना, हर सरकार का सिर्फ एक ही उद्देश्य था कि देश के हर नागरिक के पास उसका खुद का एक मकान हो, मकान भले ही छोटा हो पर अपना ही हो. इसी मंशा को लेकर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के साथ मिलकर जबलपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनवाए थे, पर यह आवास आज खंडहर बन चुका है. जबलपुर में इन निर्माणाधीन मकानों की हालत सही नहीं है. अरबों रुपए खर्च कर बनाए गए आशियाने आज खंडहर में तब्दील हो गए हैं. सरकारी नुमाइंदे जहां इस बदहाली को वित्तीय स्थिति खराब होने की वजह बता रहे हैं तो वहीं जनप्रतिनिधि इसे सरकार बदलने का कारण बयां कर रहे हैं.
जबलपुर में 6 स्थानों पर प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान
संस्कारधानी जबलपुर में भी नगर निगम शहर के छह अलग-अलग स्थानों में पीएम आवास बनवा रहा है. निगम ने लक्ष्य रखा था कि 2022 तक आवास हर उस व्यक्ति को आवंटित हो जाएंगे, जिनके पास मकान नहीं हैं और जिन्होंने बुकिंग करवाई है वो भी इन मकानों के मालिकाना हक को पा लेंगे, पर वर्तमान के हालात को देखते हुए कहना जल्दबाजी होगा कि क्या वाकई में हर व्यक्ति के पास उसका खुद का मकान 2022 तक होगा. जबलपुर के मोहनिया, तेवर, तिलहरी और कुदवारी में मकान बनवाए जा रहे हैं, इन तमाम मकान की कीमत इतनी है कि एक मध्यम वर्ग का परिवार भी इन मकानों को आसानी से खरीद सकता है.
वित्तीय स्थिति खराब होने का निगम के पास है बहाना
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनवाने का काम 2017 में शुरू हुआ था पर इन 3 सालों में मकानों का सिर्फ स्ट्रक्चर ही खड़ा हो पाया है. जबलपुर नगर निगम अपर आयुक्त रोहित कौशल का कहना है कि शुरू में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था पर बीच में निगम की वित्तीय स्थिति गड़बड़ हो गई, जिसके चलते आवास योजना के काम रुक गए थे. अभी भी निगम लगातार लोन का प्रयास कर रहा है और जैसे ही लोन मंजूर होता है वैसे ही काम शुरू हो जाएगा. कोशिश यह भी की जा रही है कि 2022 तक प्रधानमंत्री आवास योजना के तमाम मकान बनकर तैयार हो जाएं और जिन लोगों ने मकान में बुकिंग करवाई है उन्हें यह मकान आवंटित करवा दिए जाए. करीब आठ हजार घर बनवा रहा है.
क्या है मकानों की कीमत
जबलपुर नगर निगम शहर के छह स्थान मोहनिया, तेवर, तिलहरी कुदवारी में जो मकान बना रहा है उनकी संख्या करीब 8000 है. सभी घरों के स्थान अलग-अलग होने के कारण इनके दाम भी अलग रखे गए हैं. शुरुआती कीमत नगर निगम ने 7 से 8 लाख रु रखी है जो कि ईडब्ल्यूएस के होंगे, वहीं एलआईजी के घर 15 लाख रुपए के हैं, इसके अलावा एमआईजी के मकान 18 लाख रुपए के होंगे, सभी मकानों में केंद्र सरकार द्वारा दो लाख रु का अनुदान भी दिया जा रहा है.
कमलनाथ सरकार पर लगे आरोप
नगर निगम के अधिकारी जहां आवासों को अधूरा होने की वजह वित्तीय स्थिति बता रहे थे तो वहीं तय समय के बाद भी जब प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान बनकर पूरे नहीं हुए तो इसका आरोप 15 माह की कमलनाथ सरकार पर लग रहा है. नगर निगम की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा बाल्मीकि का कहना है कि जब तक प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी तब तक सब कुछ सही चल रहा था पर जैसे ही 15 माह के लिए कांग्रेस की सरकार मध्यप्रदेश में आई तो उन्होंने आवास योजना का बजट रोक दिया. वहीं पूर्व निगम अध्यक्ष ने यह भी कहा कि निश्चित रूप से निगम अधिकारियों की हीला-हवाली और प्रोजेक्ट की निगरानी ना कर पाना भी आज इन आवासों के खंडहर होने की मुख्य वजह बना हुआ है.
यह है प्रधानमंत्री आवास की विशेषता
फ्लैट जी प्लस 6 स्ट्रक्चर में बनेंगे, जिनमें लिफ्ट की सुविधा भी रहेगी, जबकि ईडब्ल्यूएस फ्लैट में दो कमरे एक किचिन, शौचालय और बाथरूम के साथ दो बालकनी होगी. वहीं एमआईजी व एलआईजी में दो कमरों के साथ बड़ा हॉल, किचिन, शौचालय और दो बालकनी होगी. इसके अलावा रेलिंग से लेकर टाइल्स भी लगेंगे.
यह होगा क्षेत्रफल
- ईडब्ल्यूएस फ्लैट 400 वर्ग फीट
- एलआईजी फ्लैट 650 वर्ग फीट
- एमआइजी फ्लैट 750 वर्ग फीट
6 करोड़ रुपए से बनाए गए आवासों पर मंडरा रहा है टूटने का खतरा
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मोहनिया में रोड निर्माण की जद में आए छह करोड़ से बने 432 पीएम आवासों पर टूटने का खतरा भी मंडरा रहा है. मोहनिया में पीएम आवास योजना के तहत 1632 पीएम आवास बनाए जा रहे हैं, इनमें से नौ ब्लॉक में 432 आवास नगर निगम द्वारा मास्टर प्लान के तहत प्रस्तावित रोड पर ही बनवा दिए गए. निगम के इंजीनियरों ने न तो आवास बनाने के पहले नक्शा देखा और ना ही टाउन एंड कंट्री से इसकी एनओसी ली, लापरवाही सामने आने के बाद रोड निर्माण की जद में आए आवासों का निर्माण कार्य फिलहाल रोक दिया गया है, जबकि नगर निगम ने डिजाइन बदलकर दूसरी जगह रोड बनाने के लिए टाउन कंट्री प्लानिंग को पत्र लिखा है. यदि शासन ने रोड निर्माण की डिजाइन बदली तो ठीक है, वरना पीएम आवासों का टूटना तय है.