ग्वालियर (पीयूष श्रीवास्तव) : साल 1950 तारीख 26 जनवरी, इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ था. भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है. उस संविधान की एक मूल प्रति ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी हुई है. खास बात ये है कि संविधान की यह मूल प्रति हाथों से लिखी गई है. इसपर भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के हस्ताक्षर भी हैं. सोने से जड़ी संविधान की हस्तलिखित मूल प्रति भारत के स्वर्णिम इतिहास की गवाह भी है. जानते हैं इसको ग्वालियर में कहा और क्यों रखा गया है.
69 वर्ष पहले ग्वालियर लाया गया था संविधान
लगभग 69 साल पहले इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर ग्वालियर का नाम दर्ज हुआ. जब 31 मार्च 1956 को ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में देश के संविधान की एक प्रति लाई गई थी. वह गौरवशाली क्षण था. क्योंकि ग्वालियर देश के उन 16 जगहों में एक था जहां संविधान रखवाया गया. जिससे की देशवासी अपने संविधान के बारे में जान सकें. आज भी वह संविधान ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में मौजूद है. इसको देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
इसलिए ग्वालियर में रखवाई गई संविधान की प्रति
ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी के प्रबंधक विवेक सोनी ने बताया कि "बाबा साहब अंबेडकर ने जब संविधान की रचना की, तो इसे भारत के संसद भवन में रखवाया गया. इसकी कुल 16 प्रतियां बनाई गई थीं. संसद भवन में होने के कारण यह आम लोगों की पहुंच से दूर था. ऐसे में लोगों को संविधान की जानकारी देने के लिए इन्हें देश के अलग हिस्सों में भेजने का फैसला किया गया.
एक हजार साल तक रहेगा सुरक्षित
विवेक सोनी कहते हैं कि "यह प्रति कोई रेप्लिका नहीं है, बल्कि उन 16 मूल प्रतियों में से है जो सबसे पहले तैयार की गई थी. यह अपने आप में भी बहुत खास है. क्योंकि एक तो यह पूरी तरह हस्तलिखित है. इसमें कहीं भी टाइपराइटर का इस्तेमाल नहीं किया गया था. साथ ही इसकी सुंदरता के लिए पूरा संविधान कैलीग्राफी में लिख कर तैयार कराया गया था.
इसके लिए विशेष प्रकार के कागज और स्याही का उपयोग किया गया जो इसे 1 हजार वर्षों तक प्रिजर्व रखेंगे. इसके पहले पन्ने पर सोने की कारीगरी नजर आती है और अंदर भी जगह-जगह सोने की पॉलिश या सुनहरी स्याही से सजाया गया है. वहीं इसके अंदर भगवान राम, महाभारत और गौतम बुद्ध की तस्वीरें बनाई गई है. संविधान की प्रति में पूरे भारत की संस्कृति दर्शायी गई है."
संविधान सभा के 294 सदस्यों के हैं हस्ताक्षर
ग्वालियर में स्थित भारतीय संविधान की मूल प्रति भी अपने आप में भारत का इतिहास और संस्कृति और समेटे हुए हैं. इस हस्तलिखित संविधान में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीम राव अम्बेडकर समेत संविधान सभा के 294 सदस्यों के ओरिजनल हस्ताक्षर भी इस संविधान में मौजूद है.
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साल में सिर्फ 3 दिन कर सकते हैं दीदार
भारतीय संविधान की मूल प्रति को बहुत संभाल कर रखा गया है. साल में सिर्फ तीन दिन 25 जनवरी, 14 अगस्त और 26 नवंबर को आम लोगों को देखने की अनुमति मिलती है. इस दिन इसको ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में आकर देखा जा सकता है. इस दिन इसको एक विशेष कपड़े में लपेटकर एक बॉक्स में रखा जाता है, लेकिन इसको छूने या खोलने की मनाही रहती है. आम दिनों में लोगों को संविधान उपलब्ध कराने के लिए इसका डिजिटल रूप तैयार कराया गया है, जो एक टच स्क्रीन मॉनिटर पर प्रदर्शित है और यहां आने वाले लोग इसके जरिए पूरा संविधान देख सकते हैं.