ग्वालियर: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव लोकसभा चुनाव के दौरान रामनिवास रावत को भारतीय जनता पार्टी में लेकर आए और उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया, लेकिन विजयपुर की जनता ने उपचुनाव में उन्हें नकार दिया. जिसके बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. भाजपा में शामिल होने के बाद रामनिवास रावत न तो मंत्री रहे और ना ही विधायक रहे. उपचुनाव में हुई हार के लंबे समय के बाद मुख्यमंत्री ने ग्वालियर में रामनिवास रावत के घर पहुंचकर उनसे मुलाकात की. इस दौरान बंद कमरे में दोनों के बीच लंबी बातचीत भी हुई.
साथ भोजन करना था, फलाहार कर निकले सीएम
अचानक मुख्यमंत्री का रामनिवास रावत के घर पहुंचना चर्चा का विषय बन गया. हालांकि, इस मामले पर पूर्व मंत्री रामनिवास रावत का कहना है, "सीएम एक सामान्य मुलाकात करने आए थे, उन्हें साथ भोजन करना था, लेकिन उनका व्रत था इसलिए फलाहार किया कुछ देर बात की और निकल गए."
निगम अध्यक्ष पद के लिए कहीं ये बात
जब उनसे पूछा गया कि किसी बड़ी जिम्मेदारी का आश्वासन मिला है, तो उनका कहना था कि "जो भी जिम्मेदारी लायक पार्टी समझेगी उसका निर्वहन करेंगे." हालांकि, जब निगम मंडल में अध्यक्ष पद को लेकर उनकी इच्छा जाननी चाही, तो मीडिया से उनका कहना था कि इंसान की इच्छाएं तो कभी खत्म नहीं होती है. लेकिन सभी इच्छाएं पूरी हों यह भी जरूरी नहीं है. मैं पार्टी की हर जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से पूरा करने में विश्वास रखता हूं. "
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कांग्रेस विधायक के खिलाफ की है शिकायत
विजयपुर के वर्तमान कांग्रेस विधायक के खिलाफ भी रामनिवास रावत ने शिकायत की है. जिसके बारे में बात करते हुए पूर्व मंत्री ने बताया कि "विजयपुर विधायक ने चुनाव के हलफनामे में अपने आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारियां छिपाई हैं. उन्होंने पुलिस में दर्ज कई मामलों की जानकारी नहीं दी है, कुछ में उन्हें सजा भी हुई है. जिनकी जानकारी उन्होंने चुनाव आयोग को नहीं दी थी.