जबलपुर। 26 नवंबर 1949 को देश के लिए एक सर्वश्रेष्ठ संविधान तैयार किया, जिसके बाद इसे 26 जनवरी 1950 में लागू किया गया. हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है, जिसपर कई सारे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. जबलपुर में भी संविधान दिवस पर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के तत्वावधान में सिल्वर जुबली हॉल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां मुख्य अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के रिटायर्ड जस्टिस डीएम धर्माधिकारी पहुंचे. कार्यक्रम की शुरूआत अतिथिगणों के स्वागत से हुई.
कानून कैसे संभाला जाए: इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए धर्माधिकारी ने कहा कि, संविधान और कानून दोनों अधिवक्ताओं के हाथ में है, इसे कैसे संभाल कर रखा जाए, इस पर विचार किया जाना जरूरी है. अधिवक्ताओं को समाजिक हित में भी काम करना होगा, इसके लिए संस्थाओं का निर्माण किया जाना चाहिए, ताकि जिन लोगों के लिए कानून बने हैं, उन तक वह आसानी से पहुंच सके.
कट कॉपी पेस्ट न करें: कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि जस्टिस विजय शुक्ला ने लॉ दिवस की सभी को बधाई देते हुए बार की परंपरा और उसकी परिपाटी की जानकारी देते हुए जूनियर अधिवक्ताओं को कहा कि, आज बगैर सीनियर को ज्वाइन किए कई जूनियर सीधे न्यायालय पहुंच रहे हैं. अधिकांश लोग सीधे प्रैक्टिस शुरु करके कट कॉपी पर ज्यादा फोकस करते हैं, जबकि मामले में चाही गई रिलीफ और फैक्टिस स्पष्ट होनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने उपस्थित विधि छात्र छात्राओं से कहा कि जब वह प्रैक्टिस में आए तो सीधे साइटेंशन में न आएं, पहले फैक्टिस करें, उसके बाद लॉ से रिलेटेड केसों का अध्यन करें, फिर आएं.
रूल ऑफ लॉ को स्टेबलिश करने की आवश्यकता: सर्वोच्च न्यायालय के रिटायर्ड जस्टिस डीएम धर्माधिकारी ने कहा कि, अधिवक्ता समाज से कुछ पाता है, तो उसे लौटाना भी चाहिए. रूल ऑफ लॉ को स्टेबलिश करने की आवश्यकता है. ऐसे लोगों तक पहुंचने की आवश्यकता है, जिनके लिए कानून बने हैं, लेकिन उन्हें उसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि सच बोलने के लिए समर्पण करना पड़ता है. संविधान व कानून को बचाने का समय है, जस्टिस धर्माधिकारी ने लॉ डे की जानकारी देते हुए कहा कि, वह ऐसा फोरम है, जो सतत् निगरानी रखे कि संविधान में कैसी छेड़खानी हो रही है. उन्होंने कहा कि सतर्क और सचेत रहेंगे तभी स्वाधीनता बचेगी, वरना छीन लिया जाएगा. उन्होंने अधिवक्ताओं को समाजिक हित में आगे आकर कार्य करने पर जोर देते हुए कहा कि, आज अधिवक्ता अपने हित के लिए हड़ताल या तो फिर कोर्ट बंद कराता है. कुछ भी करना चाहते हैं, उक्त मानसिकता को बदलनी चाहिए.