ETV Bharat / state

कुपोषण से लड़ने महिला बाल विकास की नई पहल, अब बच्चों को दी जाएगी अनलिमिटेड डाइट

प्रदेश में अतिकुपोषित बच्चों के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. ऐसे में महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने आंगनबाड़ियों के सिस्टम में बदलाव किए हैं. जिसके तहत आंगनबाड़ियो की समय सीमा के साथ बच्चों को मिलने वाले डाइट में भी बदलाव कर कुछ नए नियम भी बनाए हैं.

महिला एंव बाल विकास मंत्री इमरती देवी
author img

By

Published : Oct 10, 2019, 10:01 AM IST

Updated : Oct 10, 2019, 10:26 AM IST

ग्वालियर। प्रदेश में कुपोषण से लड़ने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक नई पहल शुरु की है. इस पहल के तहत ग्वालियर-चंबल जोन के 80 गांवों की आंगनबाड़ी केंद्रों के समय में बदलाव किया गया है. इन सभी गांवों में अधिकतर मजदूर और आदिवासी लोग रहते हैं.

महिला बाल विकास की नई पहल

ट्रायबल एरिया और मजदूर वर्ग वाले गांवों में जो आंगनबाड़ियां हैं, वहां बच्चे मां-बाप के मजदूरी पर जाने के चलते कम समय के लिए आंगनबाडियां पहुंच पाते हैं. जिसके चलते बच्चों को ना कोई खाना देने वाला होता है ना ही कोई संभालने वाला होता है. ऐसे में बच्चों की शारीरिक स्थिति खराब हो जाती है, वे कुपोषण के मुंह में चले जाते हैं. यही वजह है कि यहां के आंगनबाड़ी केंद्रों के समय में बदलाव किया गया है.

महिला एवं बाल विकास विभाग की नई पहल

आंगनबाड़ियों के सिस्टम में किए गए बदलाव

  • आंगनबाड़ियों को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खोला जाएगा.
  • आंगनबाड़ियों में अनलिमिटेड डाइट कर दी गई है.
  • आंगनबाड़ियों के कार्यकर्ता-सहायिकाओं को परैंटिंग ट्रेनिंग दी जा रही है.
  • आंगनबाड़ियों में बच्चों को बिल्कुल घर जैसा माहौल दिया जाएगा.
  • आंगनबाड़ियों में आने वाले बच्चों मालिश विशेष तेल से मालिश की जाएगी.


जिले के ऐसे क्षेत्रों को महिला एवं बाल विकास विभाग ने चिन्हित किया है, जहां पोषण की ज्यादा जरूरत है. बताया जा रहा है कि चिन्हित आंगनबाड़ी केंद्रों के स्टाफ को पहले ट्रेनिंग दी गई है जिससे यह नए ढांचे के तहत सुपोषण की दिशा में बेहतर काम किया जा सके.

ग्वालियर। प्रदेश में कुपोषण से लड़ने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक नई पहल शुरु की है. इस पहल के तहत ग्वालियर-चंबल जोन के 80 गांवों की आंगनबाड़ी केंद्रों के समय में बदलाव किया गया है. इन सभी गांवों में अधिकतर मजदूर और आदिवासी लोग रहते हैं.

महिला बाल विकास की नई पहल

ट्रायबल एरिया और मजदूर वर्ग वाले गांवों में जो आंगनबाड़ियां हैं, वहां बच्चे मां-बाप के मजदूरी पर जाने के चलते कम समय के लिए आंगनबाडियां पहुंच पाते हैं. जिसके चलते बच्चों को ना कोई खाना देने वाला होता है ना ही कोई संभालने वाला होता है. ऐसे में बच्चों की शारीरिक स्थिति खराब हो जाती है, वे कुपोषण के मुंह में चले जाते हैं. यही वजह है कि यहां के आंगनबाड़ी केंद्रों के समय में बदलाव किया गया है.

महिला एवं बाल विकास विभाग की नई पहल

आंगनबाड़ियों के सिस्टम में किए गए बदलाव

  • आंगनबाड़ियों को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खोला जाएगा.
  • आंगनबाड़ियों में अनलिमिटेड डाइट कर दी गई है.
  • आंगनबाड़ियों के कार्यकर्ता-सहायिकाओं को परैंटिंग ट्रेनिंग दी जा रही है.
  • आंगनबाड़ियों में बच्चों को बिल्कुल घर जैसा माहौल दिया जाएगा.
  • आंगनबाड़ियों में आने वाले बच्चों मालिश विशेष तेल से मालिश की जाएगी.


जिले के ऐसे क्षेत्रों को महिला एवं बाल विकास विभाग ने चिन्हित किया है, जहां पोषण की ज्यादा जरूरत है. बताया जा रहा है कि चिन्हित आंगनबाड़ी केंद्रों के स्टाफ को पहले ट्रेनिंग दी गई है जिससे यह नए ढांचे के तहत सुपोषण की दिशा में बेहतर काम किया जा सके.

Intro:एंकर- मध्य प्रदेश में दो वक्त की रोटी के लिए हर रोज काम करने वाले गांवों के मजदूरों के बच्चों के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने सकारात्मक पहल शुरू की है। ग्वालियर चम्बल के ऐसे 80 गांव जहां मजदूर और आदिवासी वर्ग के लोग रहते हैं, वहां की 125 आंगनबाड़ियों का सिस्टम ही बदल दिया गया है। इन आंगनबाड़ियों को आंगनबाड़ी के नियत समय पर नहीं बल्कि सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खोला जाएगा। वहीं जो डाइट आंगनबाड़ियों में दी जाती है, वह उतनी ही मात्रा में नहीं बल्कि अनलिमिटेड डाइट कर दी गई है। वहीं माता-पिता के काम पर जाने की स्थिति में आंगनबाड़ियों में कार्यकर्ता-सहायिकाओं को परैंटिंग की ट्रेनिंग भी दी गई है। बच्चों को पालना गृह जैसा माहौल आंगनबाड़ी केद्रों में दिया जाएगा। इसके साथ ही यहां आने वाले बच्चों की विशेष तेल से मालिश भी की जा रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने पहली बार ऐसे क्षेत्रों में यह प्रयोग किया है। Body:हाल ही में घाटीगांव, डबरा, भितरवार और श्योपुर क्षेत्र से अति कुपोषित बच्चों के मामले सामने आए और यहां से केआरएच के पीआईसीयू व एनआरसी में बच्चों की केयर टेकिंग की जा रही है। ऐसे कई केस सामने आने के बाद यह समझ में आया कि ट्रायबल एरिया और मजदूर वर्ग वाले गांवों में जो आंगनबाड़ियां हैं वहां बच्चे कम समय के लिए पहुंच पाते हैं। इसके पीछे कारण यह कि मजूदर माता-पिता दोनों काम पर निकल जाते हैं और बच्चों को देखने वाला कोई नहीं होता है। न उन्हें कोई खाना समय पर देने वाला होता है न संभालने वाला। यही वजह है कि बच्चों की शारीरिक स्थिति खराब हो जाती है,वे कुपोषण के मुंह में चले जाते हैं। जिले के ऐसे क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है।जहां पोषण की ज्यादा जरूरत है।इन क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों के स्टाफ को पहले ट्रेनिंग दी गई है जिससे यह नए ढांचे के तहत सुपोषण की दिशा में बेहतर काम कर सकें। अभी तक आंगनबाड़ियों का समय करीबन चार घंटे का है। इस दौरान बच्चों को आंगनबाड़ियों में डाइट दी जाती है। देहात क्षेत्र में कामगार लोगों के लिए यह संभव नहीं हो पाता है, कुछ बच्चों को छोड़ देते हैं तो कुछ साथ काम पर ले जाते हैं। माता-पिता के अलावा परिवार में कोई न होने वालों के लिए भी नियत समय में जाना संभव नहीं हो पाता है। इसलिए अब 8 घंटे का समय चयनित क्षेत्र की आंगनबाड़ियों के लिए किया गया है।


Conclusion:बाइट- इमरती देवी, मंत्री, महिला बाल विकास
Last Updated : Oct 10, 2019, 10:26 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.