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प्रेग्नेंट महिलाओं को जीवनदान दे रहा कार्बेटोसिन इंजेक्शन, रिजल्ट देखकर डॉक्टर्स हैरान - CARBETOCIN INJECTION

देवास जिला अस्पताल में कार्बेटोसिन इंजेक्शन को लेकर दिया गया प्रशिक्षण, कम हो रही है प्रसूति महिलाओं की मृत्यु दर.

DEWAS CARBETOCIN INJECTION
जिला अस्पताल में डॉक्टरों से बातचीत करती हुई यूएसएआईडी टीम (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 16, 2024, 10:07 AM IST

देवास: मध्य प्रदेश के देवास जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत जिला अस्पताल में कार्बेटोसिन इंजेक्शन को लेकर डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया गया. शुक्रवार को यह प्रशिक्षण यूएसएआईडी संवेग की टीम ने दिया है. साथ ही टीम ने जिला चिकित्सालय में प्रसूति व शिशु स्वास्थ्य सेवाओं का निरीक्षण किया. मध्य प्रदेश में करीब 2 सालों से उपयोग में लिए जा रहे कार्बेटोसिन इंजेक्शन की वजह से प्रसूति महिलाओं की मृत्यु दर में कमी आई है.

कार्बेटोसिन इंजेक्शन के लेकर विशेष ट्रेनिंग

टीम ने सर्व प्रथम जिला चिकित्सालय के लेबर रूम सहित वार्डों में भ्रमण कर डॉक्टरों व स्टॉफ से कार्बेटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग करने, रख रखाव और प्रशिक्षण की जानकारी ली. इसके बाद टीम ने बैठक कर इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तृत चर्चा की. यूएसएआईडी संवेग में अमेरिका के जैकब्स जेफरी अमेरिका, स्विट्जरलैंड के ओलेग झूरोव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. हरिश कुमार, डॉ. अनिल नागेन्द्र शामिल थे. मध्य प्रदेश में देवास जिला पहला जिला है, जहां जिला चिकित्सालय सहित अन्य शासकीय प्रसव केन्द्रों में प्रसव की तीसरी अवस्था में कार्बेटोसिन इंजेक्शन का उपयोग जुलाई 2022 से किया जा रहा है. इस दौरान प्रसव केन्द्रों के 115 नर्सिंग ऑफिसर, 7 विशेषज्ञ, 20 मेडिकल ऑफिसर को प्रशिक्षित किया गया. विगत 02 वर्षों में 32 प्रसव केंद्रों में 41,321 प्रसव हुए. जिनमें 39,628 महिलाओं को कार्बेटोसिन इंजेक्शन लगाए गए.

जानकारी देती हुईं देवास सीएमएचओ डॉ. बेक (ETV Bharat)

आखिर कैसे काम करता है कार्बेटोसिन इंजेक्शन?

भारत सरकार ने शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में कार्बेटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग प्रारंभ करने के लिए सबसे पहले देवास जिले को पायलेट प्रोजेक्ट में शामिल किया है. कार्बेटोसिन एक दवा है, जिसका उपयोग प्रसवोत्तर रक्तस्राव, जन्म देने के बाद रक्तस्राव को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. यह ऑक्सीटोसिन का एक एनालॉग है और इसकी क्रिया ऑक्सीटोसिन के समान है. यह गर्भाशय के संकुचन (सिकुड़ने) में मदद करता है. ऑक्सीटोसिन का उपयोग पहले से ही सभी प्रसव केन्द्रों पर किया जा रहा है.

प्रसूति महिलाओं का रक्तस्राव कम करता है ये इंजेक्शन

दरअसल, बच्चे को जन्म देने के बाद प्रसूति महिला रक्तस्राव के कारण परेशान होती थी और ज्यादातर मामलों में इसी वजह से महिलाओं की मौत भी होती थी. इसीलिए कार्बेटोसिन इंजेक्शन पहली बार भारत में इजाद किया गया है, जिससे महिलाओं को ज्यादा रक्तस्राव की समस्या से राहत मिलती है. इस इंजेक्शन को मध्य प्रदेश में सबसे पहले देवास में ही पायलेट प्रोजेक्ट के तहत लगाया जा रहा है. डॉक्टरों के मुताबिक, इस इंजेक्शन की वजह से प्रसूति महिलाओं की मृत्यु दर काफी कम हुई है.

देवास सीएमएचओ डॉ. बेक ने बताया, ''कार्बेटोसिन इंजेक्शन देवास में बीते दो सालों से लगाया जा रहा है. इस इंजेक्शन को लगाने से मातृ मृत्यु दर में काफी कमी आई है. इस इंजेक्शन को लगाने से महिलाओं को ज्यादा रक्तस्राव की समस्या से राहत मिलती है.''

देवास: मध्य प्रदेश के देवास जिले में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत जिला अस्पताल में कार्बेटोसिन इंजेक्शन को लेकर डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया गया. शुक्रवार को यह प्रशिक्षण यूएसएआईडी संवेग की टीम ने दिया है. साथ ही टीम ने जिला चिकित्सालय में प्रसूति व शिशु स्वास्थ्य सेवाओं का निरीक्षण किया. मध्य प्रदेश में करीब 2 सालों से उपयोग में लिए जा रहे कार्बेटोसिन इंजेक्शन की वजह से प्रसूति महिलाओं की मृत्यु दर में कमी आई है.

कार्बेटोसिन इंजेक्शन के लेकर विशेष ट्रेनिंग

टीम ने सर्व प्रथम जिला चिकित्सालय के लेबर रूम सहित वार्डों में भ्रमण कर डॉक्टरों व स्टॉफ से कार्बेटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग करने, रख रखाव और प्रशिक्षण की जानकारी ली. इसके बाद टीम ने बैठक कर इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तृत चर्चा की. यूएसएआईडी संवेग में अमेरिका के जैकब्स जेफरी अमेरिका, स्विट्जरलैंड के ओलेग झूरोव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. हरिश कुमार, डॉ. अनिल नागेन्द्र शामिल थे. मध्य प्रदेश में देवास जिला पहला जिला है, जहां जिला चिकित्सालय सहित अन्य शासकीय प्रसव केन्द्रों में प्रसव की तीसरी अवस्था में कार्बेटोसिन इंजेक्शन का उपयोग जुलाई 2022 से किया जा रहा है. इस दौरान प्रसव केन्द्रों के 115 नर्सिंग ऑफिसर, 7 विशेषज्ञ, 20 मेडिकल ऑफिसर को प्रशिक्षित किया गया. विगत 02 वर्षों में 32 प्रसव केंद्रों में 41,321 प्रसव हुए. जिनमें 39,628 महिलाओं को कार्बेटोसिन इंजेक्शन लगाए गए.

जानकारी देती हुईं देवास सीएमएचओ डॉ. बेक (ETV Bharat)

आखिर कैसे काम करता है कार्बेटोसिन इंजेक्शन?

भारत सरकार ने शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में कार्बेटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग प्रारंभ करने के लिए सबसे पहले देवास जिले को पायलेट प्रोजेक्ट में शामिल किया है. कार्बेटोसिन एक दवा है, जिसका उपयोग प्रसवोत्तर रक्तस्राव, जन्म देने के बाद रक्तस्राव को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. यह ऑक्सीटोसिन का एक एनालॉग है और इसकी क्रिया ऑक्सीटोसिन के समान है. यह गर्भाशय के संकुचन (सिकुड़ने) में मदद करता है. ऑक्सीटोसिन का उपयोग पहले से ही सभी प्रसव केन्द्रों पर किया जा रहा है.

प्रसूति महिलाओं का रक्तस्राव कम करता है ये इंजेक्शन

दरअसल, बच्चे को जन्म देने के बाद प्रसूति महिला रक्तस्राव के कारण परेशान होती थी और ज्यादातर मामलों में इसी वजह से महिलाओं की मौत भी होती थी. इसीलिए कार्बेटोसिन इंजेक्शन पहली बार भारत में इजाद किया गया है, जिससे महिलाओं को ज्यादा रक्तस्राव की समस्या से राहत मिलती है. इस इंजेक्शन को मध्य प्रदेश में सबसे पहले देवास में ही पायलेट प्रोजेक्ट के तहत लगाया जा रहा है. डॉक्टरों के मुताबिक, इस इंजेक्शन की वजह से प्रसूति महिलाओं की मृत्यु दर काफी कम हुई है.

देवास सीएमएचओ डॉ. बेक ने बताया, ''कार्बेटोसिन इंजेक्शन देवास में बीते दो सालों से लगाया जा रहा है. इस इंजेक्शन को लगाने से मातृ मृत्यु दर में काफी कमी आई है. इस इंजेक्शन को लगाने से महिलाओं को ज्यादा रक्तस्राव की समस्या से राहत मिलती है.''

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