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मासूम के इलाज के लिए चाहिए 16 करोड़ का इंजेक्शन, सरकार से मांगी मदद

9 महीने का बच्चा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 बिमारी से जूझ रही है. बच्चे के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए के इंंजेक्शन की जरूरत बताई गई है. ऐसे में पीड़ित के माता पिता ने सोशल मीडिया पर लोगों से मदद की गुहार लगाई है.

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जबलपुर न्यूज
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Published : May 23, 2021, 8:11 AM IST

जबलपुर। 9 महीने का मासूम बच्चा एक ऐसी दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है, जिसके इलाज का खर्च सुनकर हर कोई हैरान है. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू केयर में भर्ती बच्चे आयुष अर्खेल का इलाज चल रहा है, जहां वह वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है. बच्चा आयुष अर्खेल एसएमए टाइप 1 (एसएमए टाईप 1) यानी स्पाइनल एट्रोफी नामक गंभीर बीमारी से जूझ रहा है. इस बीमारी से ठीक होने के लिए बच्चे को एक ऐसे इंजेक्शन की जरूरत है, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

इलाज के लिए चाहिए 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन

16 करोड़ की कीमत के इंजेक्शन की जरूरत
मिली जानकारी के अनुसार, इस बीमारी के इलाज में जो इंजेक्शन कारगर है, वह अमेरिका में मिलेगा. इस इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ बताई जा रही है. बच्चे आयुष अर्खेल के माता-पिता इतने सक्षम नहीं है कि वे इतने महंगे इंजेक्शन को खरीद सकें. इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगाई है. सोशल मीडिया पर जानकारी शेयर कर बच्चे आयुष के अभिभावक सभी से मदद की गुहार लगा रहे हैं, ताकि उनके बेटे का जीवन बच सके.

क्या है बीमारी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 एक दुर्लभ बीमारी है, जो बच्चे इस बीमारी पीड़ित होते हैं, उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं. शरीर में पानी की कमी होने लगती है. साथ ही बच्चो को स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है. इस बीमारी के कारण बच्चा पूरी तरह से निष्क्रिय सा हो जाता है.

पिता निजी स्कूल में है शिक्षक
बच्चे के पिता ने बताया कि उनका नाम अमर कुमार अर्खेल है. वह जबलपुर जिले अंतर्गत आने वाले झण्डा चौक, प्रेमसागर चौकी के पास रहते हैं. वह अपने 9 महीने के बेटे आयुष अर्खेल के लिए सबसे मदद की गुहार लगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह एक निजी स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. जिससे उनका मात्र परिवार का पालन पोषण हो पाता है. अब अगर वह खुद को बेच देंगे, तब भी वह इतने पैसे नहीं जुटा पाएंगे. इसलिए उन्होंने सभी से मदद की गुहार लगाई है.

हजारों में से किसी एक को होती है यह बीमारी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी मांसपेशियों की बर्बादी और कमजोरी का कारण बनता है. हर 10,000 में से 1 बच्चे को जन्म से ही यह बिमारी हो सकती है. जिसमें से एक वर्तमान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू केयर में भर्ती है. फिलहाल, आयुष अर्खेल को वेंटिलेटर पर रखा गया है.

मंत्री अरविंद भदौरिया से भी मदद की गुहार
पीड़ित परिवार ने मंत्री अरविंद भदौरिया से भी मदद की गुहार लगाई है. अरविंद भदौरिया ने मुख्यमंत्री से चर्चा करने की बात कही है. फिलहाल, देखना ये होगा कि आयुष तक मदद कर तक पहुंचती है. पीड़ित परिवार सरकार से आस लगा कर बैठा है.

जबलपुर। 9 महीने का मासूम बच्चा एक ऐसी दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है, जिसके इलाज का खर्च सुनकर हर कोई हैरान है. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू केयर में भर्ती बच्चे आयुष अर्खेल का इलाज चल रहा है, जहां वह वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है. बच्चा आयुष अर्खेल एसएमए टाइप 1 (एसएमए टाईप 1) यानी स्पाइनल एट्रोफी नामक गंभीर बीमारी से जूझ रहा है. इस बीमारी से ठीक होने के लिए बच्चे को एक ऐसे इंजेक्शन की जरूरत है, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपए बताई जा रही है.

इलाज के लिए चाहिए 16 करोड़ रुपए का इंजेक्शन

16 करोड़ की कीमत के इंजेक्शन की जरूरत
मिली जानकारी के अनुसार, इस बीमारी के इलाज में जो इंजेक्शन कारगर है, वह अमेरिका में मिलेगा. इस इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ बताई जा रही है. बच्चे आयुष अर्खेल के माता-पिता इतने सक्षम नहीं है कि वे इतने महंगे इंजेक्शन को खरीद सकें. इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगाई है. सोशल मीडिया पर जानकारी शेयर कर बच्चे आयुष के अभिभावक सभी से मदद की गुहार लगा रहे हैं, ताकि उनके बेटे का जीवन बच सके.

क्या है बीमारी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 एक दुर्लभ बीमारी है, जो बच्चे इस बीमारी पीड़ित होते हैं, उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं. शरीर में पानी की कमी होने लगती है. साथ ही बच्चो को स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है. इस बीमारी के कारण बच्चा पूरी तरह से निष्क्रिय सा हो जाता है.

पिता निजी स्कूल में है शिक्षक
बच्चे के पिता ने बताया कि उनका नाम अमर कुमार अर्खेल है. वह जबलपुर जिले अंतर्गत आने वाले झण्डा चौक, प्रेमसागर चौकी के पास रहते हैं. वह अपने 9 महीने के बेटे आयुष अर्खेल के लिए सबसे मदद की गुहार लगा रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह एक निजी स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. जिससे उनका मात्र परिवार का पालन पोषण हो पाता है. अब अगर वह खुद को बेच देंगे, तब भी वह इतने पैसे नहीं जुटा पाएंगे. इसलिए उन्होंने सभी से मदद की गुहार लगाई है.

हजारों में से किसी एक को होती है यह बीमारी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी मांसपेशियों की बर्बादी और कमजोरी का कारण बनता है. हर 10,000 में से 1 बच्चे को जन्म से ही यह बिमारी हो सकती है. जिसमें से एक वर्तमान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू केयर में भर्ती है. फिलहाल, आयुष अर्खेल को वेंटिलेटर पर रखा गया है.

मंत्री अरविंद भदौरिया से भी मदद की गुहार
पीड़ित परिवार ने मंत्री अरविंद भदौरिया से भी मदद की गुहार लगाई है. अरविंद भदौरिया ने मुख्यमंत्री से चर्चा करने की बात कही है. फिलहाल, देखना ये होगा कि आयुष तक मदद कर तक पहुंचती है. पीड़ित परिवार सरकार से आस लगा कर बैठा है.
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