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23 सालों से प्यून की नौकरी के साथ बच्चों को संस्कृत पढ़ा रहे हैं वासुदेव पांचाल, 'मुख्यमंत्री उत्कृष्ट पुरस्कार' के लिए हुआ चयन

इंदौर के गिरोता गांव के सरकारी स्कूल में प्यून की नौकरी कर रहे वासुदेव पांचाल को उनके काम के लिए 20 सितम्बर को शिक्षा विभाग ने भोपाल बुलाया है. मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा उनका नाम 'मुख्यमंत्री उत्कृष्ट पुरस्कार' के लिए चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया है.

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Published : Sep 19, 2019, 10:17 PM IST

प्यून की नौकरी के साथ बच्चों को दे रहे संस्कृत की शिक्षा वासुदेव

इंदौर। देपालपुर तहसील के गिरोता गांव के सरकारी स्कूल में काम कर रहे प्यून वासुदेव पांचाल ने शिक्षा की अनूठी मिसाल पेश की है. वहां पर पिछले 23 साल से काम करने वाले वासुदेव प्यून की नौकरी के साथ बच्चों को संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं. इतना ही नहीं बच्चे संस्कृत सब्जेक्ट में हर साल परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो रहे हैं. अपने इस सराहनीय काम के चलते वासुदेव को शिक्षा विभाग ने 20 सितम्बर को भोपाल बुलाया है. मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 'मुख्यमंत्री उत्कृष्ट पुरस्कार' चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया है.

प्यून की नौकरी के साथ बच्चों को दे रहे संस्कृत की शिक्षा वासुदेव

वासुदेव पांचाल ने इसी सरकारी स्कूल में शिक्षक अंबाराम सेन से संस्कृत में शिक्षा ली थी और आज इसी स्कूल में प्यून की नौकरी के साथ-साथ बच्चों को संस्कृत का पाठ पढ़ा रहे हैं. वासुदेव अच्छे नंबर लाने वाले छात्रों को प्रथम पुरस्कार के रूप में 3100, द्वितीय पुरस्कार 2100 और तृतीय पुरस्कार 1100 रुपये दे कर हर साल 15 अगस्त को पुरस्कृत करते हैं.

गुरु को मानते है आदर्श

वासुदेव पांचाल अपने शिक्षक अंबाराम सेन को आदर्श मानते हैं. उन्हीं से ही वासुदेव पांचाल ने संस्कृत की शिक्षा ग्रहण की और आज उसी शिक्षा के माध्यम से अपने ही गांव के उसी स्कूल के बच्चों को प्यून की नौकरी करने के साथ-साथ संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं.

शिक्षक को पता चला तो पहुंचे बधाई देने
सम्मानित होने वाले वासुदेव पांचाल के सम्मान प्रक्रिया में चयन के बारे में जब उनके रिटायर्ड शिक्षक अंबाराम सेन को पता चला, तो वो वासुदेव से मिलने पहुंचे. वासुदेव पांचाल ने अपने आदर्श गुरु को माला पहनाकर उनका आशीर्वाद लिया.

इंदौर। देपालपुर तहसील के गिरोता गांव के सरकारी स्कूल में काम कर रहे प्यून वासुदेव पांचाल ने शिक्षा की अनूठी मिसाल पेश की है. वहां पर पिछले 23 साल से काम करने वाले वासुदेव प्यून की नौकरी के साथ बच्चों को संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं. इतना ही नहीं बच्चे संस्कृत सब्जेक्ट में हर साल परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो रहे हैं. अपने इस सराहनीय काम के चलते वासुदेव को शिक्षा विभाग ने 20 सितम्बर को भोपाल बुलाया है. मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 'मुख्यमंत्री उत्कृष्ट पुरस्कार' चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया है.

प्यून की नौकरी के साथ बच्चों को दे रहे संस्कृत की शिक्षा वासुदेव

वासुदेव पांचाल ने इसी सरकारी स्कूल में शिक्षक अंबाराम सेन से संस्कृत में शिक्षा ली थी और आज इसी स्कूल में प्यून की नौकरी के साथ-साथ बच्चों को संस्कृत का पाठ पढ़ा रहे हैं. वासुदेव अच्छे नंबर लाने वाले छात्रों को प्रथम पुरस्कार के रूप में 3100, द्वितीय पुरस्कार 2100 और तृतीय पुरस्कार 1100 रुपये दे कर हर साल 15 अगस्त को पुरस्कृत करते हैं.

गुरु को मानते है आदर्श

वासुदेव पांचाल अपने शिक्षक अंबाराम सेन को आदर्श मानते हैं. उन्हीं से ही वासुदेव पांचाल ने संस्कृत की शिक्षा ग्रहण की और आज उसी शिक्षा के माध्यम से अपने ही गांव के उसी स्कूल के बच्चों को प्यून की नौकरी करने के साथ-साथ संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं.

शिक्षक को पता चला तो पहुंचे बधाई देने
सम्मानित होने वाले वासुदेव पांचाल के सम्मान प्रक्रिया में चयन के बारे में जब उनके रिटायर्ड शिक्षक अंबाराम सेन को पता चला, तो वो वासुदेव से मिलने पहुंचे. वासुदेव पांचाल ने अपने आदर्श गुरु को माला पहनाकर उनका आशीर्वाद लिया.

Intro:देपालपुर के समीप गिरोता का सरकारी स्कूल और वहां पर काम करने वाले भृत्य यानी प्यून आज पूरे क्षेत्र में अपने मेहनत लगन और कार्य के कारण एक आदर्श के रूप में जाने जाने जा रहै यहा गिरोता के शासकीय स्कूल के भृत्य (प्यून)पिछले 23 वर्षों से भृत्य के कार्य के साथ साथ बच्चो को संस्कृत पढ़कर प्रतिवर्ष 100 प्रतिशत परीक्षा परिणाम दे रहे है।
इतना ही नही स्कूल के मेघावी छात्र छात्रों को पिछले 23 वर्षों से स्वयं के व्यय से करते है पुरस्कृत भी करते है
इसीके चलते इन्हें मध्यप्रदेश सामान्य प्रशाशन विभाग द्वारा मुख्यमंत्री उत्कृष्ट पुरुस्कार चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया है !
जो कि शिक्षा विभाग में पेश की अनूठी मिसाल ।


गांव में ही पले गांव में ही पढ़ें और गाँव के ही उसी स्कूल में अपने आदर्श शिक्षक अंबाराम सेन से संस्कृत में शिक्षा दीक्षा लेकर उसी गांव गिरोता में जहां शिक्षा प्राप्त की उसी स्कूल में आज भृत्य की नौकरी के साथ-साथ बच्चों को एक शिक्षक के रूप में वासुदेव पांचाल संस्कृत की पढ़ाई भी कराते हैं जिसके चलते अब उन्हें भोपाल में मध्यप्रदेश सामान्य प्रशाशन विभाग द्वारा मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरुस्कार सम्मान के लिए चयन प्रकिया में शामिल किया है !
जी हां इंदौर जिले व देपालपुर विधानसभा के सबसे अंतिम गांव गिरोता के शाशकीय.उच्चतर. माध्यमिक. विद्यालय. में पदस्थ पीयून वासुदेव पांचाल सन 1996 से कक्षा 9वी व 10 वी में संस्कृत विषय पढ़ा रहे है ओर बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट संस्कृत में 100 प्रतिशत दे रहे है साथ ही वासुदेव पांचाल द्वारा कक्षा 10 वी बोर्ड परीक्षा में प्रतिवर्ष अधिक नंबर लाने मेघावी छात्र छात्राओं को प्रथम पुरस्कार के रूप में 3100 द्वितीय पुरुस्कार 2100 व तृतीय पुरस्कार 1100 रुपये दे कर प्रति वर्ष 15 अगस्त को स्कूल में आमंत्रित मुख्य अतिथि के द्वारा पृस्कृत करवाते आ रहे है ।
Body:
स्कूल के(भृत्य)प्यून होने के बावजूद यह कर्मचारी अपने मुल कर्तव्य को भी साथ साथ बढ़ी ईमानदारी से निर्वाह कर रहे है उक्त कर्मचारी के कार्य के कारण शाला को गुड गवेर्नेन्स हेतु चयन हुआ है जिसमे 20 सितम्बर 2019 को शिक्षा विभाग ने श्री वासुदेव पांचाल एवं प्रभारी प्राचार्य महेश निगवाल को भोपाल बुलाया है जहा ऐसे कर्मठ कर्मचारी को शाला परिवार के द्वारा सम्मानित किया जाएगा ।

*गुरु को मानते है आदर्श*- गिरोता के सरकारी स्कूल के यह प्रत्यय वासुदेव पांचाल अपने शिक्षक यानी गुरु अंबाराम सेन को आदर्श मानते हैं क्योंकि उन्हीं से ही वासुदेव पांचाल ने संस्कृत की शिक्षा ग्रहण की ओर आज उसी शिक्षा के माध्यम से अपने ही गांव के उसी स्कूल के बच्चों को भृत्य (प्यून) की नौकरी करने के साथ-साथ संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं जिसके चलते उस स्कूल के बच्चे संस्कृत में 100% परिणाम दे रहे हैं


Conclusion:*प्रतिदिन करते है भृत्य ओर शिक्षक के रूप में पढ़ाने का काम*

वासुदेव पांचाल प्रतिदिन नियमित रूप से अपना कर्म निभाते हुए पहले तो सबसे जल्दी स्कूल पहुंचकर स्कूल खोलने से लेकर साफ सफाई और आने जाने वालों के लिए भृत्य के रूप में चाय पानी सब की व्यवस्था करते हैं और साथ ही एक शिक्षक के रूप में वहां पढ़ने वाले बच्चों को संस्कृत की शिक्षा भी देते हैं वे भृत्य और शिक्षक दोनों का काम बखूबी निभाते हैं जिसमें वह कोई संकोच नहीं करते झाड़ू पहुंचे से लेकर साफ सफाई और चाय पानी नाश्ता कराना सभी भूमिका निभाते हैं

*स्कूल के बच्चो ओर गाँव में खुशी*
वासुदेव पांचाल का सम्मान प्रक्रिया में नाम आने से स्कूल के बच्चों के साथ साथ स्कूल के स्टाफ और गांव में भी काफी खुशी का माहौल है क्योंकि जिस गांव में पल बढ़कर शिक्षा हासिल कर वासुदेव ने नौकरी के साथ-साथ बच्चों को शिक्षा देने का काम किया जिससे गांव के लोग भी काफी खुश हैं!

*शिक्षक को पता चला तो पहुचे बधाई देने*

सम्मानित होने वाले वासुदेव पांचाल के सम्मान प्रक्रिया में चयन के बारे में जब उनके रिटायर्ड शिक्षक अंबाराम सेन जिन्हें व्यापम आदर्श मानते हैं जब उन्हें वासुदेव के सम्मान के बारे में पता चला तो खुद को रोक नहीं पाए और वासुदेव से मिलने वह भी स्कूल पहुंचे जहां दोनों का मिलना अपने आप में एक अलग ही अंदाज में नजर आया जिसमें वासुदेव पांचाल ने अपने आदर्श गुरु को माला पहनाकर उनका आशीर्वाद लिया !




बाइट - स्कूल की छात्रा   mp_ind_01_varsho_se_school_ka_piun_pada_raha_sanskrit_06_pkg_10064 
बाइट -महेश निगवाल  स्कूल प्राचार्य   mp_ind_01_varsho_se_school_ka_piun_pada_raha_sanskrit_07_pkg_10064  बाइट - वासुदेव पांचाल स्कूल का पिऊन (भ्रत ) mp_ind_01_varsho_se_school_ka_piun_pada_raha_sanskrit_08_pkg_10064
बाइट -अम्बाराम सेन जिन्होंने पिऊन वासुदेव को संस्कृत पढ़ाई थी  mp_ind_01_varsho_se_school_ka_piun_pada_raha_sanskrit_09_pkg_10064
बाइट - चंदर सिह जाधव वरिष्ठ ग्रामीण mp_ind_01_varsho_se_school_ka_piun_pada_raha_sanskrit_10_pkg_10064Dear
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