इंदौर। देपालपुर तहसील के गिरोता गांव के सरकारी स्कूल में काम कर रहे प्यून वासुदेव पांचाल ने शिक्षा की अनूठी मिसाल पेश की है. वहां पर पिछले 23 साल से काम करने वाले वासुदेव प्यून की नौकरी के साथ बच्चों को संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं. इतना ही नहीं बच्चे संस्कृत सब्जेक्ट में हर साल परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो रहे हैं. अपने इस सराहनीय काम के चलते वासुदेव को शिक्षा विभाग ने 20 सितम्बर को भोपाल बुलाया है. मध्यप्रदेश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 'मुख्यमंत्री उत्कृष्ट पुरस्कार' चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया है.
वासुदेव पांचाल ने इसी सरकारी स्कूल में शिक्षक अंबाराम सेन से संस्कृत में शिक्षा ली थी और आज इसी स्कूल में प्यून की नौकरी के साथ-साथ बच्चों को संस्कृत का पाठ पढ़ा रहे हैं. वासुदेव अच्छे नंबर लाने वाले छात्रों को प्रथम पुरस्कार के रूप में 3100, द्वितीय पुरस्कार 2100 और तृतीय पुरस्कार 1100 रुपये दे कर हर साल 15 अगस्त को पुरस्कृत करते हैं.
गुरु को मानते है आदर्श
वासुदेव पांचाल अपने शिक्षक अंबाराम सेन को आदर्श मानते हैं. उन्हीं से ही वासुदेव पांचाल ने संस्कृत की शिक्षा ग्रहण की और आज उसी शिक्षा के माध्यम से अपने ही गांव के उसी स्कूल के बच्चों को प्यून की नौकरी करने के साथ-साथ संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं.
शिक्षक को पता चला तो पहुंचे बधाई देने
सम्मानित होने वाले वासुदेव पांचाल के सम्मान प्रक्रिया में चयन के बारे में जब उनके रिटायर्ड शिक्षक अंबाराम सेन को पता चला, तो वो वासुदेव से मिलने पहुंचे. वासुदेव पांचाल ने अपने आदर्श गुरु को माला पहनाकर उनका आशीर्वाद लिया.