इंदौर। दुनिया भर में खेती किसानी में पेस्टिसाइड और रासायनिक खाद के बढ़ते उपयोग के मद्देनजर दूषित खान पान से कैंसर जैसी भयावह बीमारियां उभर रही हैं. यही वजह है कि अब कृषि सेक्टर का एक बड़ा तबका रासायनिक खेती छोड़ कर जैविक खेती की तरफ आगे बढ़ रहा है. इंदौर में ऐसे ही उन्नत किसानों ने 'स्वच्छ शहर के साथ अब स्वस्थ शहर' के नारे के साथ अपने उत्पादों का जैविक मेला लगाया है (Healthy life message in Kisan Mela). जहां बीमारी से बचाने के लिए लोगों को जैविक उत्पाद और खाद पदार्थों से रूबरू कराया जा रहा है.
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जैविक खेती के आगे आ रहे किसान: दरअसल खेती किसानी को रासायनिक प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए किसान खुद भी आगे आ रहे हैं. ऐसे तमाम किसानों को कृषि आधारित तकनीकी सहयोग और कृषि के तमाम संसाधन राज्य सरकार और केंद्र सरकार की मदद से किए जा रहे हैं. जिसके फलस्वरूप अब किसानों के पास जो जैविक उत्पाद तैयार हो रहे हैं उसे ग्राहकों तक किसानों के द्वारा सीधे पहुंचाया जा रहा है. कोशिश यही है कि किसानों का उत्पाद सीधे ग्राहकों तक पहुंचे जिससे कि जैविक उत्पाद तैयार करने वाले किसानों को उनकी मेहनत मिल सके.
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जैविक महोत्सव में तरह-तरह के शोध: लिहाजा इंदौर में आयोजित तीन दिवसीय जैविक महोत्सव के दौरान तरह-तरह के शोध उत्पाद महोत्सव में बिक्री के लिए मौजूद हैं. वही मिलेट फसलों को भोजन में शामिल करने के लाभ भी बताए जा रहे हैं. इसके अलावा उद्यानिकी विभाग भारत सरकार के मिलेट उत्पादन अभियान के लिए भी किसानों को यहां प्रोत्साहित कर रहा है. दरअसल इंदौर में जैविक कृषि करने वाले किसानों के साथ भारत सरकार की आत्मा परियोजना अधिकारियों का संयुक्त प्रयास है, जिसमें किसानों को जैविक उत्पाद बेचने वाली कंपनी और ग्राहकों के बीच आधार के लिए सेतु का निर्माण करना है, इसके अलावा जैविक उत्पादों की तकनीकी और खेती किसानी से संबंधित जानकारी भी जैविक महोत्सव में विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही है.