इंदौर। मध्यप्रदेश राज्य में पहली बार वीसी डिस्टेंस प्वाइंट को मान्यता प्रदान कर मुख्य न्यायाधिपति द्वारा लोकार्पित किया गया है.(Inauguration of Madhya Pradesh E Court Center) जिससे ऐसे मेडिको लीगल केस जिनमें मरीजों का चिकित्सीय परीक्षण इंदौर के चिकित्सालयों में हुआ या मृत्यु उपरांत शव परीक्षण प्रतिवेदन इंदौर चिकित्सालय में किसी चिकित्सक द्वारा निर्मित किया गया है. उसमें डॉक्टर की चिकित्सीय साक्ष्य की आवश्यकता होगी तो राज्य के किसी भी न्यायालय में चल रहे आपराधिक प्रकरण में संबंधित चिकित्सक को साक्ष्य देने के लिए न्यायालय तक नहीं जाना होगा. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पॉइंट से ही वे अपनी न्यायालयीन साक्ष्य अंकित करा सकेंगे. इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग डिस्टेंस पॉइंट का लोकार्पण मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति रवि मलिमठ ने किया.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से साक्ष्य होंगे अंकित: इस सुविधा से चिकित्सकों की साक्ष्य अभाव से लंबित प्रकरण का विलम्ब समाप्त होकर शीघ्र विचारण सुनिश्चित होगा चिकित्सकों मरीजों तथा समाज को लाभ मिलेगा. जिला कोर्ट, एमजीएम मेडिकल कॉलेज एवं फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के सहयोग से सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरंभ किए गए ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट के तहत रविवार को मध्य प्रदेश के डॉक्टरों के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साक्ष्य अंकित कराए जाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग डिस्टेंस पॉइंट का लोकार्पण मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति रवि मलिमठ ने किया.
इनकी उपस्थिति में हुआ लोकार्पण: इस अवसर पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधिपति शील नागू, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर के प्रशासनिक न्यायाधिपति विवेक रूसिया, इंदौर बेंच के न्यायाधिपतिगण, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबोध जैन, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित एवं विभागाध्यक्ष फोरेंसिक मेडिसिन विभाग इन्दौर डॉ. पीएस ठाकुर भी मौजूद थे.
न्यायालयीन प्रक्रिया में होगी सुविधा: इससे चिकित्सकों को उपचार के लिए समय मिलेगा. साथ ही उन्हें न्यायालय नहीं जाना होगा. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबोध जैन ने कहा कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इस पहल से प्रदेश के चिकित्सकों को विभिन्न जिलों तक की यात्रा करने में लगने वाला समय शक्ति व श्रम बचेगा इससे वे अपने समय का उपयोग मरीजों के उपचार के प्राथमिक काम कर सकेंगे.