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गजब तकनीक है! फसलों को बचाने के लिए कीट-पतंगों-टिड्डों का मादा कीटों से कराएंगे Love Trap

इंदौर में कीट-पतंगों और टिड्डे से सोयाबीन की फसलों (Soybean farming) को बचाने के लिए कीट पतंगों की मादा की खुशबू (female insect fragrance) का सहारा लिया जा रहा है. दरअसल यहां एक ऐसी फोरेमैन ट्रैप तकनीकी (foremen trap Technique) विकसित की गई है, जिसमें मादा की तरह खुशबू वाले कैप्सूल (Fragrance capsule) से कीट पतंगों को ट्रैप किया जा रहा है.

Love Trap Technique
कीट पतंग कैसे भगाएं
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Published : Sep 25, 2021, 11:21 AM IST

Updated : Sep 25, 2021, 12:01 PM IST

इंदौर। दुनिया भर में खेती की अत्याधुनिक तकनीक (Modern technic of farming) के बीच अब इंदौर में कीट-पतंगों और टिड्डे से सोयाबीन की फसलों (Soybean farming) को बचाने के लिए कीट पतंगों की मादा की खुशबू (female insect fragrance) का सहारा लिया जा रहा है. दरअसल यहां एक ऐसी फोरेमैन ट्रैप तकनीकी (foremen trap Technique) विकसित की गई है, जिसमें मादा की तरह खुशबू वाले कैप्सूल (Fragrance capsule) से कीट पतंगों को ट्रैप किया जा रहा है.

इस विधि से मिलेगा कीट पतंगों से छुटकारा.

फसल को नुकसान पहुंचा रहे कीट-पतंग
दरअसल, मध्यप्रदेश के अलावा देश के विभिन्न राज्यों में इस समय सोयाबीन की फसल कहीं पकने को तैयार है, तो कहीं काटी जा रही है. इस बीच सोयाबीन की पौधों की पत्तियों को खाने वाले इंसेक्टिसाइड (Insecticide) और तरह-तरह के कीट पतंगे फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इनमें कई इंसेक्ट ऐसे भी हैं, जिन पर कीटनाशक दवाइयां भी बेअसर हो चुकी हैं. जबकि कई की पतंगों में कीटनाशक दवाइयों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित हुई है. नतीजतन हर साल सोयाबीन की 10 से 15% फसल कीट पतंगों द्वारा नष्ट कर दी जाती है .

कुल फसल की 15 प्रतिशत फसल हो जाती है खराब
प्रदेश में कुल बोई जाने वाली फसलों के रकबे में से 15 फीसदी नुकसान के आंकड़ों को कम करने के लिए इंदौर स्थित राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में कीट पतंगों के अध्ययन में पाया कि फसल पकने के समय ही इन कीट पतंगों का भी प्रजनन काल होता है. इस दौर में तरह-तरह के कीड़े मादा के साथ मिलकर एक अनुपात 100 अथवा एक अनुपात 1000 की दर से अपनी संख्या बढ़ाते हैं. लिहाजा यह कीड़े बड़ी संख्या में सोयाबीन की पत्तियों अथवा फलियों को खाकर नुकसान कर देते हैं.

मादा के प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं कीट पतंग
इसी आधार पर सोयाबीन अनुसंधान केंद्र (Soybean research center) के वैज्ञानिकों ने पाया कि तमाम कीट पतंगे बारिश के सीजन में मादा के प्रति ज्यादा आकर्षित रहते हैं. इस आकर्षण के केंद्र में एक ऐसा फोरेमैन है, जो नरों को आकर्षित करने के लिए मादा द्वारा इस छोड़ा जाता है. इस फोरमैन की खुशबू से नर कीट पतंगे मादा की तरफ उड़ कर आ जाते हैं. नतीजतन सोयाबीन अनुसंधान केंद्र ने मादा द्वारा छोड़ा जाने वाले फोरेमैन से एक ऐसा कैप्सूल विकसित किया है जो ठीक मादा की तरह ही कीड़ों को अपनी और आकर्षित करता है.

अनुसंधान केंद्र ने बनाया ट्रैप कैप्सूल
नतीजन अनुसंधान केंद्र ने इस कैप्सूल के लिए एक ऐसा ट्रैप सिस्टम विकसित किया है, जो कीट पतंगों की संख्या नियंत्रित करने में प्रभावी है. उसके बाद अनुसंधान केंद्र में बीज उत्पादन और सोयाबीन की अलग-अलग वैरायटी को विकसित करने के लिए जो फसल लगाई गई उसके बीच इस सिस्टम का परीक्षण किया. परीक्षण के बाद पता चला कि ट्रैप सिस्टम पूरी तरह कारगर है, जिसकी जाली में कई कीड़े मकोड़े और पतंगे फंसे पाए गए, जिन्हें नष्ट करके उनकी संख्या बढ़ने से रोका गया.

ऐसा है ट्रैप सिस्टम
दरअसल, ट्रैप सिस्टम में छोटा सा बॉक्स है, जिसमें फोरमैन का कैप्सूल डाला जाता है. यह बॉक्स इस तरह बनाया गया है कि कोई भी इंसेक्टिसाइड अथवा कीट जैसे ही बॉक्स के ढक्कन में प्रवेश करेगा बाहर नहीं निकल पाएगा. इसके बाद सिस्टम में लगी हुई एक नेट में वह गिर जाता है, जो अनुसंधान केंद्र के कर्मचारियों द्वारा नष्ट कर दिया जाता है. इससे फसलों के नुकसान को पहले ही रोक दिया जाता है.

मीनाक्षी की कहानीः ससुर की सेवा के लिए छोड़ी नौकरी, आज संभाल रहीं खुद का बिजनेस

मुख्य तौर पर यह सिस्टम तंबाकू और चने की इल्ली और सोयाबीन के पौधों के लिए कारगर है. इस सिस्टम के कारगर साबित होने के बाद अब कोशिश की जा रही है कि किसानों को भी इस सिस्टम का लाभ दिया जाए. इसके अलावा देश के अन्य सोयाबीन संयंत्रों में भी इस सिस्टम को उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाए. फिलहाल इंदौर में करीब विभिन्न प्रकार की वैरायटी फसलों के बीच इस तरह के सिस्टम लगाए गए हैं, जो पैदावार को नुकसान पहुंचाने वाले कीट पतंगों और इंसेक्ट की वंश वृद्धि को रोकने में कारगर साबित हो रहे हैं.

इंदौर। दुनिया भर में खेती की अत्याधुनिक तकनीक (Modern technic of farming) के बीच अब इंदौर में कीट-पतंगों और टिड्डे से सोयाबीन की फसलों (Soybean farming) को बचाने के लिए कीट पतंगों की मादा की खुशबू (female insect fragrance) का सहारा लिया जा रहा है. दरअसल यहां एक ऐसी फोरेमैन ट्रैप तकनीकी (foremen trap Technique) विकसित की गई है, जिसमें मादा की तरह खुशबू वाले कैप्सूल (Fragrance capsule) से कीट पतंगों को ट्रैप किया जा रहा है.

इस विधि से मिलेगा कीट पतंगों से छुटकारा.

फसल को नुकसान पहुंचा रहे कीट-पतंग
दरअसल, मध्यप्रदेश के अलावा देश के विभिन्न राज्यों में इस समय सोयाबीन की फसल कहीं पकने को तैयार है, तो कहीं काटी जा रही है. इस बीच सोयाबीन की पौधों की पत्तियों को खाने वाले इंसेक्टिसाइड (Insecticide) और तरह-तरह के कीट पतंगे फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इनमें कई इंसेक्ट ऐसे भी हैं, जिन पर कीटनाशक दवाइयां भी बेअसर हो चुकी हैं. जबकि कई की पतंगों में कीटनाशक दवाइयों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित हुई है. नतीजतन हर साल सोयाबीन की 10 से 15% फसल कीट पतंगों द्वारा नष्ट कर दी जाती है .

कुल फसल की 15 प्रतिशत फसल हो जाती है खराब
प्रदेश में कुल बोई जाने वाली फसलों के रकबे में से 15 फीसदी नुकसान के आंकड़ों को कम करने के लिए इंदौर स्थित राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में कीट पतंगों के अध्ययन में पाया कि फसल पकने के समय ही इन कीट पतंगों का भी प्रजनन काल होता है. इस दौर में तरह-तरह के कीड़े मादा के साथ मिलकर एक अनुपात 100 अथवा एक अनुपात 1000 की दर से अपनी संख्या बढ़ाते हैं. लिहाजा यह कीड़े बड़ी संख्या में सोयाबीन की पत्तियों अथवा फलियों को खाकर नुकसान कर देते हैं.

मादा के प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं कीट पतंग
इसी आधार पर सोयाबीन अनुसंधान केंद्र (Soybean research center) के वैज्ञानिकों ने पाया कि तमाम कीट पतंगे बारिश के सीजन में मादा के प्रति ज्यादा आकर्षित रहते हैं. इस आकर्षण के केंद्र में एक ऐसा फोरेमैन है, जो नरों को आकर्षित करने के लिए मादा द्वारा इस छोड़ा जाता है. इस फोरमैन की खुशबू से नर कीट पतंगे मादा की तरफ उड़ कर आ जाते हैं. नतीजतन सोयाबीन अनुसंधान केंद्र ने मादा द्वारा छोड़ा जाने वाले फोरेमैन से एक ऐसा कैप्सूल विकसित किया है जो ठीक मादा की तरह ही कीड़ों को अपनी और आकर्षित करता है.

अनुसंधान केंद्र ने बनाया ट्रैप कैप्सूल
नतीजन अनुसंधान केंद्र ने इस कैप्सूल के लिए एक ऐसा ट्रैप सिस्टम विकसित किया है, जो कीट पतंगों की संख्या नियंत्रित करने में प्रभावी है. उसके बाद अनुसंधान केंद्र में बीज उत्पादन और सोयाबीन की अलग-अलग वैरायटी को विकसित करने के लिए जो फसल लगाई गई उसके बीच इस सिस्टम का परीक्षण किया. परीक्षण के बाद पता चला कि ट्रैप सिस्टम पूरी तरह कारगर है, जिसकी जाली में कई कीड़े मकोड़े और पतंगे फंसे पाए गए, जिन्हें नष्ट करके उनकी संख्या बढ़ने से रोका गया.

ऐसा है ट्रैप सिस्टम
दरअसल, ट्रैप सिस्टम में छोटा सा बॉक्स है, जिसमें फोरमैन का कैप्सूल डाला जाता है. यह बॉक्स इस तरह बनाया गया है कि कोई भी इंसेक्टिसाइड अथवा कीट जैसे ही बॉक्स के ढक्कन में प्रवेश करेगा बाहर नहीं निकल पाएगा. इसके बाद सिस्टम में लगी हुई एक नेट में वह गिर जाता है, जो अनुसंधान केंद्र के कर्मचारियों द्वारा नष्ट कर दिया जाता है. इससे फसलों के नुकसान को पहले ही रोक दिया जाता है.

मीनाक्षी की कहानीः ससुर की सेवा के लिए छोड़ी नौकरी, आज संभाल रहीं खुद का बिजनेस

मुख्य तौर पर यह सिस्टम तंबाकू और चने की इल्ली और सोयाबीन के पौधों के लिए कारगर है. इस सिस्टम के कारगर साबित होने के बाद अब कोशिश की जा रही है कि किसानों को भी इस सिस्टम का लाभ दिया जाए. इसके अलावा देश के अन्य सोयाबीन संयंत्रों में भी इस सिस्टम को उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जाए. फिलहाल इंदौर में करीब विभिन्न प्रकार की वैरायटी फसलों के बीच इस तरह के सिस्टम लगाए गए हैं, जो पैदावार को नुकसान पहुंचाने वाले कीट पतंगों और इंसेक्ट की वंश वृद्धि को रोकने में कारगर साबित हो रहे हैं.

Last Updated : Sep 25, 2021, 12:01 PM IST
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