इंदौर। जीतू सोनी के करीबी रहे नरेंद्र रघुवंशी की आत्महत्या मामले में नया खुलासा हुआ है. नरेंद्र रघुवंशी ने अपने घर पर छोड़े सुसाइड नोट के अलावा कोर्ट, मानवाधिकार आयोग, वकीलों सहित 6-7 लोगों को पांच पेज का पत्र भेजा थी, जिसमें खुद को बेगुनाह बताया था. इस खत में लिखा था कि तब की सरकार के दबाव में डीआईजी ने उन पर कार्रवाई की. जबकि वो न तो होटल का मैनेजर थे और ना न सोनी के पार्टनर. उन्हें केवल जीतू सोने से दोस्ती की वजह से झूठे केस में फंसाया गया. बता दें मंगलवार को नरेंद्र रघुवंशी ने अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी थी.
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक और सुसाइड नोट
सुदामा नगर निवासी नरेंद्र रघुवंशी की आत्महत्या के बाद शनिवार को उनका दूसरा सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. पांच पन्नों के सुसाइड नोट हाई कोर्ट के जज, मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग व प्रदेश के चीफ जस्टिस, सीएम हाउस व सुप्रीम कोर्ट के नाम भेजा है.
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पत्र में खुत को बताया बेगुनाह
पत्र में रघुवंशी ने लिखा कि हनीट्रैप मामले में उलझे भोपाल के वल्लभ भवन में बैठे अधिकारियों के बारे में कई बातें अखबार ने लिखी थी. उसी का बदला लेने के लिए कार्रवाई हुई है. सब बेगुनाह हैं. वहां नाच गाना होता था, लेकिन कोई गलत काम नहीं होता था. कई लड़कियां कोलकाता से लाई गई थीं.वे दो-तीन महीने में फ्लाइट से घर जाती थीं. उन्हें तनख्वाह मिलती थी. संगीत से जुड़े लोग भी इंदौर आए थे. यदि माय होम पर गड़बड़ होती तो वे कहीं ना कहीं तो शिकायत दर्ज करवाते. जीतू सोनी के परिवार को भी बिना वजह उलझाया है. रघुवंशी ने यह भी लिखा कि मरता हुआ आदमी कभी झूठ नहीं बोलता, इंदौर में इस केस में 102 परिवारों को फर्जी रूप से फंसाया है. इस केस की उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच कराई जाना चाहिए.
दोबारा जेल जाने के डर से की आत्महत्या
पुलिस के मुताबिक नरेंद्र रघुवंशी पिछले दिनों वृद्ध पिता के स्वास्थ्य को लेकर पैरोल पर सेंट्रल जेल से बाहर आए थे. मंगलवार को उनकी पैरोल खत्म हो रही थी. उसी दिन उन्होंने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. क्योंकि वो दोबार जेल नहीं जाना चाहते थे. माय होम केस में मानव तस्करी और देह व्यापार का केस दर्ज होने के बाद नरेंद्र को जीतू सोनी के बेटे अमित के साथ गिरफ्तार किया गया था.