इंदौर। एक बार फिर से सिंधी समाज व सिख समाज में विवाद बढ़ता जा रहा है. दोनों धर्मों के बीच एक बार फिर कानूनी विवाद छिड़ने के आसार हैं. दरअसल, दोनों समाज के बीच विवाद की शुरुआत तब हुई जब 9 जनवरी को अमृतसर के गुड्डा दल के सदस्य बताए जाने एक निहंग जत्थे ने इंदौर के अन्नपूर्णा रोड स्थित सिंधी समाज के मंदिर से गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी दर्शाई. इसके बाद वे गुरुग्रंथ साहिब अपने साथ ले गए. इस घटना से आहत सिंधी समाज ने इंदौर अंचल के सिंधी मंदिरों से करीब 95 गुरु ग्रंथ साहिब सिख समाज को लौटा दिया था.
मामले की न्यायिक जांच की मांग : अब सिंधी समाजसेवी एवं विसलब्लोअर्स किशोर कोडवानी ने पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है. वह इंदौर में हुई इस घटना को लेकर सांसद शंकर लालवानी के हस्तक्षेप के साथ गुरु ग्रंथ ले जाने वाले सिख समाज के निहंग जत्थे के खिलाफ एफआईआर की मांग कर रहे हैं. अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर किशोर कोडवानी इंदौर के सिंधी कॉलोनी क्षेत्र में धरना भी दे रहे हैं. उन्होंने मांग की है कि सिंधी समाज के धर्म स्थलों में भगवान झूलेलाल की मूर्ति, जल कलश और अखंड ज्योत की स्थापना की जाए. इसके अलावा सिंधी धर्म स्थलों को प्राप्त होने वाली धनराशि का धार्मिक कार्यों में उपयोग किया जाए. सिंधियों को भारत में शरणार्थी नहीं, बल्कि सेनानी माना जाए.
MP: 'बेअदबी पर बवाल', सिंधी समाज ने सिख समाज को लौटाए 92 गुरु ग्रंथ साहिब
पहले सिंधी समाज का अधिकार : किशोर कोडवानी ने अब मामले को हाईकोर्ट में ले जाने की तैयारी की है. कोडवानी का कहना है कि जिस गुरु ग्रंथ साहिब में देश के 33 गुरुओं की वाणी है, वह ग्रंथ किसी एक पंच या समाज का नहीं हो सकता. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि गुरु ग्रंथ साहिब पर सिख समाज से पहले सिंधी समाज का अधिकार है. अब यदि सिख समाज के प्रतिनिधि बेअदबी के आरोप लगाकर गुरु ग्रंथ साहिब वापस ले रहे हैं तो वे खुद इसके लिए अधिकृत नहीं हैं. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जल्द ही पूरे मामले को हाईकोर्ट में दाखिल किए जाएगा. जिससे कि गुरु ग्रंथ साहिब के अधिकार से लेकर पूजा अर्चना एवं सम्मान पर वैधानिक रूप से गाइडलाइन अथवा प्रक्रिया तय की जा सके.