इंदौर। शहर के पुलिस कंट्रोल रूम में मंगलवार को जनसुनवाई आयोजित की गई. पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर, एडिशनल पुलिस कमिश्नर और सभी थाना सर्कल के एसीपी, एडिशनल डीसीपी जनसुनवाई में मौजूद थे. जनसुनवाई में 30 लाख से ज्यादा की आबाजी वाले इंदौर जिले से महज 44 शिकायतें ही मिली. इन शिकायतों में पारिवारिक विवाद, धोखाधड़ी और कुछ ऐसी शिकायतें आईं जिनकी सुनवाई थाना स्तर पर नहीं हुई थी. इन सभी शिकायतों को पुलिस कमिश्नर ने सुनकर संबंधित थाना अधिकारियों को जांच करने के दिशा निर्देश दिए. जाहिर है अब कमिश्नर प्रणाली में थानों की नकेल कस गई है और परिणामस्वरुप अधिकारियों को चुस्त दुरुस्त रहना मजबूरी है. इसका सीधा फायदा आम लोगों को मिला है. उनकी सुनवाई नीचले स्तर पर ही तेज हुई है.
पुलिस जनसुनवाई ठंडी पड़ी: पुलिस जनसुनवाई में शिकायतकर्ताओं का ग्राफ धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है. इसकी खास वजह मानी जा रही है इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के लागू होने के बाद सभी अधिकारियों की कार्यशैली में आया बदलाव और कड़ा एक्शन. पुलिस कमिश्नर खुद जनसुनवाई में पीड़ितों की सुनवाई करते हैं तो सभी एडिशनल डीसीपी और एसीपी को भी जनसुनवाई में बुलाने की परंपरा, ताकि जिस भी थाना स्तर से संबंधित शिकायत हो उस थाने के संबंधित अधिकारियों को जिम्मेवार ठहराते हुए निराकरण सुनिश्चित करना.
जनसुनवाई में शिकायतकर्ता हो रहे कम: पुलिस कमिश्नर सिस्टम में बदलती कार्यशैली से जनसुनवाई में पीड़ितों का आना धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है. इससे पहले पिछली जनसुनवाई में जहां 50 शिकायतकर्ता पहुंचे थे तो वहीं इस बार जनसुनवाई में 44 शिकायतकर्ता आवेदन लेकर आए. माना जा रहा है कि पीड़ितों की सुनवाई तेज होने से थाना लेवल पर अधिकारी सतर्क हो गए हैं और उनकी कार्यप्रणाली में भी बदलाव आया है. मजबूरी ही सही मगर लोगों को त्वरित तौर पर पुरानी परिपाटी से हटकर लोगों की शिकायतों पर एक्शन लेने लगे हैं. जनसुनवाई में जमीन के साथ ही ऑनलाइन धोखाधड़ी की वारदातों के मामले ज्यादातर आते हैं.