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MPPSC और सामान्य प्रशासन विभाग को इंदौर खंडपीठ ने जारी किया नोटिस

इंदौर खंडपीठ ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर राज्य सेवा परीक्षा 2019 के घोषित परिणाम में आरक्षण व्यवस्था को लेकर दायर एक याचिका पर जवाब तलब किया है.

Indore Bench
इंदौर खंडपीठ
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Published : Jan 13, 2021, 6:15 AM IST

इंदौर। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में एक याचिकाकर्ता के द्वारा एक याचिका दायर की गई थी. जिसमें पिछले दिनों एमपीपीएससी के घोषित परीक्षा परिणाम में विभिन्न तरह की विसंगतियां को लेकर याचिकाकर्ता की ओर से सवाल खड़े किए गए थे. अतः याचिकाकर्ता ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. इंदौर हाई कोर्ट से पूरे मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई थी इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए इंदौर हाई कोर्ट ने एमपीपीएससी व सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं.

इंदौर खंडपीठ ने दो विभागों को जारी किया नोटिस

इंदौर खंडपीठ ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर राज्य सेवा परीक्षा 2019 के घोषित परिणाम में आरक्षण व्यवस्था को लेकर दायर एक याचिका पर जवाब तलब किया है. न्यायधीश सुजॉय पॉल और न्यायधीश शैलेंद्र शुक्ला की युगल पीठ ने एमपीपीएससी को आज नोटिस जारी किया है. युगल पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर कहा कि एमपीपीएससी के द्वारा राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2019 का आयोजन किया गया था, जिसके हाल ही में परिणाम घोषित किए गए हैं. याचिका के माध्यम से एमपीपीएससी पर आरोप लगाए गए कि अनारक्षित वर्ग के परीक्षार्थियों के बराबर नंबर लाने वाले आरक्षित वर्ग के परीक्षार्थियों को अनारक्षित वर्ग में स्थान नहीं दिया गया है. जिससे उनके अनारक्षित वर्ग में किसी भी वर्ग के परीक्षार्थी को शामिल करने के संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन किया गया है.

इसी के साथ याचिका में कहा गया है कि एमपीएससी ने ऐसा 17 फरवरी 2020 को संशोधित नियमों के आधार पर किया है, जबकि 2019 के परीक्षार्थियों पर इन नियमों को लागू नहीं किया जाना असंवैधानिक है. याचिका में संशोधित नियमों को वैधानिकता को भी चुनौती दी गई है. अतः दोनों पक्षों को सुनने के बाद इंदौर हाई कोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग के मुख्य सचिव और एमपीपीएससी के सचिव को 4 सप्ताह में जवाब देने के नोटिस जारी किए हैं.

इस तरह के मामले में पहले भी हाई कोर्ट हस्तक्षेप कर चुकी है

बता दे इंदौर हाई कोर्ट ने एमपीपीएससी को लेकर जिस तरह से नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं. इस तरह के मामले इंदौर हाईकोर्ट के समक्ष पहले भी आ चुके हैं. इंदौर हाई कोर्ट भी दोनों पक्षों को सुनने के बाद संबंधित विभाग को जवाब तलब कर सकता है. अतः इस पूरे मामले में भी इंदौर हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद एमपीपीएससी व सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी किया है.

इंदौर। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में एक याचिकाकर्ता के द्वारा एक याचिका दायर की गई थी. जिसमें पिछले दिनों एमपीपीएससी के घोषित परीक्षा परिणाम में विभिन्न तरह की विसंगतियां को लेकर याचिकाकर्ता की ओर से सवाल खड़े किए गए थे. अतः याचिकाकर्ता ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. इंदौर हाई कोर्ट से पूरे मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई थी इस पूरे मामले में याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए इंदौर हाई कोर्ट ने एमपीपीएससी व सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं.

इंदौर खंडपीठ ने दो विभागों को जारी किया नोटिस

इंदौर खंडपीठ ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी कर राज्य सेवा परीक्षा 2019 के घोषित परिणाम में आरक्षण व्यवस्था को लेकर दायर एक याचिका पर जवाब तलब किया है. न्यायधीश सुजॉय पॉल और न्यायधीश शैलेंद्र शुक्ला की युगल पीठ ने एमपीपीएससी को आज नोटिस जारी किया है. युगल पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर कहा कि एमपीपीएससी के द्वारा राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2019 का आयोजन किया गया था, जिसके हाल ही में परिणाम घोषित किए गए हैं. याचिका के माध्यम से एमपीपीएससी पर आरोप लगाए गए कि अनारक्षित वर्ग के परीक्षार्थियों के बराबर नंबर लाने वाले आरक्षित वर्ग के परीक्षार्थियों को अनारक्षित वर्ग में स्थान नहीं दिया गया है. जिससे उनके अनारक्षित वर्ग में किसी भी वर्ग के परीक्षार्थी को शामिल करने के संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन किया गया है.

इसी के साथ याचिका में कहा गया है कि एमपीएससी ने ऐसा 17 फरवरी 2020 को संशोधित नियमों के आधार पर किया है, जबकि 2019 के परीक्षार्थियों पर इन नियमों को लागू नहीं किया जाना असंवैधानिक है. याचिका में संशोधित नियमों को वैधानिकता को भी चुनौती दी गई है. अतः दोनों पक्षों को सुनने के बाद इंदौर हाई कोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग के मुख्य सचिव और एमपीपीएससी के सचिव को 4 सप्ताह में जवाब देने के नोटिस जारी किए हैं.

इस तरह के मामले में पहले भी हाई कोर्ट हस्तक्षेप कर चुकी है

बता दे इंदौर हाई कोर्ट ने एमपीपीएससी को लेकर जिस तरह से नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं. इस तरह के मामले इंदौर हाईकोर्ट के समक्ष पहले भी आ चुके हैं. इंदौर हाई कोर्ट भी दोनों पक्षों को सुनने के बाद संबंधित विभाग को जवाब तलब कर सकता है. अतः इस पूरे मामले में भी इंदौर हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद एमपीपीएससी व सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी किया है.

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