इंदौर। किराए की कोख (सरोगेसी) लेकर कई सेलिब्रिटी ने अपने बच्चों को जन्म दिया. इनमें मशहूर अभिनेता शाहरुख खान, आमिर खान सहित करण जौहर, तुषार कपू आदि शामिल हैं. भारत में 2012 तक किराए की कोख लेने के लिए विश्व के कई देशों के लोग यहां पर आते थे, लेकिन 2012 में इस पर प्रतिबंध लग गया. जिसके कारण अब दबे-छुपे ही किराए की कोख का उपयोग कर बच्चों को जन्म दिया जा रहा है. सरोगेसी पर इंदौर की एडवोकेट रूपाली राठौर द्वारा लिखी गई पुस्तक चर्चा में है.
कई शहरों में महिलाओं का अध्ययन: किताब की लेखिका एडवोकेट रूपाली राठौर ने अपने साथी एडवोकेट कृष्णकुमार कुनहरे के साथ मिलकर मध्यप्रदेश के भोपाल, छत्तीसगढ़ के रायपुर सहित देश के अलग-अलग शहरों में जाकर कई महिलाओं से बात की, जो सरोगेसी के उस दौर से गुजर चुकी हैं. इस दौरान कई अनुभव उनको सुनने को मिले, जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकती. इन्हीं पहलुओं को इस किताब में उन्होंने लिखा है. एडवोकेट रूपाली का कहना है कि किराए की कोख को लेने के लिए एक से डेढ़ करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं.
डाटा जुटाने में 6 माह लगे : रूपाली ने बताया कि किताब के लिए डाटा इकट्ठा करने के लिए उन्हें करीब 6 साल का समय लगा. वह आईवीएफ सेंटर भी गईं. यहां कई डॉक्टरों ने इसको लेकर विरोध जताया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार ऐसी महिलाओं से संपर्क किया, जिन्होंने किराए की कोख उपलब्ध करवाई और उनसे तमाम तरह की जानकारियों को इकट्ठा कर इस किताब में संग्रहित किया. इस किताब में उन महिलाओं का भी जिक्र हैं, जिन्होंने सेलिब्रिटी के बच्चों को जन्म देने के लिए किराए की कोख उपलब्ध करवाई और उन्हीं महिलाओं के चलते उन सेलिब्रिटी के घर पर खुशियां आईं.
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महिलाओं की व्यथा का जिक्र : किताब में लेखिका ने इस बात का भी उल्लेख किया कि 2012 से किराए की कोख का चलन भारत में बैन है. लेकिन अभी भी कई राज्यों में धड़ल्ले से यह काम किया जा रहा है, जोकि गैरकानूनी है. डॉ.रूपाली राठौर का कहना है कि किताब में बताया गया है कि भारत में कमर्शियल सरोगेसी प्रतिबंधित होने के बाद भी किस तरह थोड़े से पैसे लेकर गरीब महिलाओं के शरीर को यूज किया जा रहा है और बाद में उनके शरीर को किस प्रकार के हेल्थ इश्यू का सामना करना पड़ता है, इसे बखूबी बताया गया है. इसी के साथ 9 माह किराए की कोख में रखकर शिशु से किस प्रकार भावनात्मक लगाव हो जाने के बाद अचानक से उसी को दूसरे को देना पड़ता है. इस दर्द को भी इस किताब के माध्यम से उकेरा गया है.