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शहर का नाम इंदौर कैसे पड़ा ? जानिए इसके पीछे की कहानी - शहर का नाम इंदौर कैसे पड़ा

देश का सबसे स्वच्छ शहर और प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर कई मायनों में खास है, लेकिन शायद कम ही लोग जानते होंगे, कि इंदौर का नाम भगवान शिव के रूप इंद्रेश्वर महादेव के नाम पर पड़ा है. कहा जाता है कि भगवान शिव को मनाने के लिए इंद्रदेव ने इंदौर के इस मंदिर में ही तपस्या की थी, लिहाजा इंदौर के मध्य क्षेत्र में यह प्राचीन मंदिर आज भी शहर की आस्था का प्रमुख केंद्र है.

How the city got its name Indore
शहर का नाम इंदौर कैसे पड़ा
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Published : Aug 2, 2021, 8:32 PM IST

इंदौर। प्राचीन दौर में सरस्वती और कान्हा नदी के तट पर स्थापित इंद्रेश्वर महादेव सदियों बाद भी इंदौर की आस्था का केंद्र है, पंढरीनाथ क्षेत्र में स्थापित यह मंदिर प्राचीन होलकर कालीन निर्माण शैली की दुर्लभ धरोहर है. यहां मंदिर के शिखर से करीब 15 फीट नीचे गर्भ गृह में भगवान इंद्रेश्वर का शिवलिंग स्थापित है, यहां पहुंचने के लिए मंदिर के गर्भ गृह में मौजूद सीढ़ियां मौजूद हैं, इस मंदिर की खासियत यह भी है कि जब अंचल में बारिश नहीं होती, तब मंदिर के गर्भ ग्रह में शुद्ध जल से इंद्रेश्वर महादेव का अभिषेक करते हुए उनकी शिवलिंग को पूरा पानी में डुबा दिया जाता है.

शहर का नाम इंदौर कैसे पड़ा

इंदौर शहर के नाम के पीछे की कहानी

इसके बाद अगले दिन यह पानी बिना किसी निकासी के गायब हो जाता है, यह हर किसी के लिए आश्चर्य का विषय होता है. लेकिन इस अनुष्ठान के बाद ही इंदौर समेत पूरे मालवा अंचल में बारिश का दौर भी शुरू हो जाता है, यही वजह है कि पीढ़ियों से लोग इंदौर में मानसून और बारिश के लिए भगवान इंद्रेश्वर महादेव के मंदिर में अनुष्ठान अभिषेक और पूजन करने पहुंचते हैं, श्रावण सोमवार के अवसर पर मंदिर में नियमित श्रद्धालुओं के अलावा शिव के कई भक्त भी पहुंचते हैं, जो भगवान का अभिषेक गर्भ गृह में पहुंचकर करते हैं.

प्राचीन शिलालेख और प्राचीन मूर्तियां

मंदिर के प्रवेश द्वार पर प्राचीन शिलालेख का जिक्र है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि मानसून और बारिश की कामना इंद्रेश्वर महादेव मंदिर में पूजन और अभिषेक के साथ की जाती है, इसके बाद बारिश होती है, यहां मौजूद लोग बताते हैं कि अभिषेक के दूध और जल से त्वचा के सफेद दाग रोग का भी इलाज होता आया है, ऐसे में कई लोग यहां अभिषेक किया हुआ जल और शिवजी पर अर्पित किया हुआ दूध लेने के लिए आते हैं.

4000 साल पुराने इस मंदिर में रोगमुक्ति के लिए इंद्रदेव ने की थी तपस्या, जुड़ी हैं कई मान्यताएं

इंद्रपुरी के नाम से जाना जाता था इंदौर

इंदौर के इतिहासकार और पुराने दौर के लोग मानते हैं कि इंदौर शहर का नाम पुराने समय में भगवान इंद्रेश्वर के नाम पर ही पड़ा, प्राचीन इंदौर में इंदौर का नाम इंद्रपुरी था और इंदौर को भगवान इंद्र की नगरी के रूप में ही जाना जाता था, इसके बाद होलकर रियासत काल के शुरुआती दौर में इंदौर का नाम इंदुर हुआ और समय बदलने के बाद यह शहर इंदौर कहलाने लगा, इससे प्रमाण के रूप में मंदिर के आसपास आज भी कई साक्ष्य मौजूद हैं, आज भी लोग भगवान इंद्र की पूजा के लिए इसी मंदिर को इंद्र की धरोहर मानकर यहां बारिश की कामना करने पहुंचते हैं.

इंदौर। प्राचीन दौर में सरस्वती और कान्हा नदी के तट पर स्थापित इंद्रेश्वर महादेव सदियों बाद भी इंदौर की आस्था का केंद्र है, पंढरीनाथ क्षेत्र में स्थापित यह मंदिर प्राचीन होलकर कालीन निर्माण शैली की दुर्लभ धरोहर है. यहां मंदिर के शिखर से करीब 15 फीट नीचे गर्भ गृह में भगवान इंद्रेश्वर का शिवलिंग स्थापित है, यहां पहुंचने के लिए मंदिर के गर्भ गृह में मौजूद सीढ़ियां मौजूद हैं, इस मंदिर की खासियत यह भी है कि जब अंचल में बारिश नहीं होती, तब मंदिर के गर्भ ग्रह में शुद्ध जल से इंद्रेश्वर महादेव का अभिषेक करते हुए उनकी शिवलिंग को पूरा पानी में डुबा दिया जाता है.

शहर का नाम इंदौर कैसे पड़ा

इंदौर शहर के नाम के पीछे की कहानी

इसके बाद अगले दिन यह पानी बिना किसी निकासी के गायब हो जाता है, यह हर किसी के लिए आश्चर्य का विषय होता है. लेकिन इस अनुष्ठान के बाद ही इंदौर समेत पूरे मालवा अंचल में बारिश का दौर भी शुरू हो जाता है, यही वजह है कि पीढ़ियों से लोग इंदौर में मानसून और बारिश के लिए भगवान इंद्रेश्वर महादेव के मंदिर में अनुष्ठान अभिषेक और पूजन करने पहुंचते हैं, श्रावण सोमवार के अवसर पर मंदिर में नियमित श्रद्धालुओं के अलावा शिव के कई भक्त भी पहुंचते हैं, जो भगवान का अभिषेक गर्भ गृह में पहुंचकर करते हैं.

प्राचीन शिलालेख और प्राचीन मूर्तियां

मंदिर के प्रवेश द्वार पर प्राचीन शिलालेख का जिक्र है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि मानसून और बारिश की कामना इंद्रेश्वर महादेव मंदिर में पूजन और अभिषेक के साथ की जाती है, इसके बाद बारिश होती है, यहां मौजूद लोग बताते हैं कि अभिषेक के दूध और जल से त्वचा के सफेद दाग रोग का भी इलाज होता आया है, ऐसे में कई लोग यहां अभिषेक किया हुआ जल और शिवजी पर अर्पित किया हुआ दूध लेने के लिए आते हैं.

4000 साल पुराने इस मंदिर में रोगमुक्ति के लिए इंद्रदेव ने की थी तपस्या, जुड़ी हैं कई मान्यताएं

इंद्रपुरी के नाम से जाना जाता था इंदौर

इंदौर के इतिहासकार और पुराने दौर के लोग मानते हैं कि इंदौर शहर का नाम पुराने समय में भगवान इंद्रेश्वर के नाम पर ही पड़ा, प्राचीन इंदौर में इंदौर का नाम इंद्रपुरी था और इंदौर को भगवान इंद्र की नगरी के रूप में ही जाना जाता था, इसके बाद होलकर रियासत काल के शुरुआती दौर में इंदौर का नाम इंदुर हुआ और समय बदलने के बाद यह शहर इंदौर कहलाने लगा, इससे प्रमाण के रूप में मंदिर के आसपास आज भी कई साक्ष्य मौजूद हैं, आज भी लोग भगवान इंद्र की पूजा के लिए इसी मंदिर को इंद्र की धरोहर मानकर यहां बारिश की कामना करने पहुंचते हैं.

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