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यहां चंबल नदी ने धरा त्रिशूल का रूप, आसमानी नजरों से करें धाम के दर्शन

भगवान महादेव की महिमा अपरम्पार है. यहां चंबल नदी के बीचों बीच बाबा विराजे हैं. इनका ओज इतना कि स्वयं नदी ने अपना रूप त्रिशूल आकार में बदल लिया है. ड्रोन की नजरों से करें बाबा जलेश्वर धाम के दर्शन.

Jaleshwar baba
जलेश्वर बाबा का प्रताप
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Published : Jul 25, 2021, 1:32 PM IST

Updated : Jul 25, 2021, 2:28 PM IST

इंदौर। चम्बल नदी, की धारा के बीचों बीच विराजमान हैं श्री जलेश्वर बाबा. यहां चंबल नदी त्रिशूल के आकार में बहती है. प्रकृति की खूबसूरती कहें या बाबा का प्रताप. बाएं ओर से देखने पर ॐ स्वरूप में पावन धारा के दर्शन होते हैं. आसमानी नजर यानी ड्रोन से ली गई तस्वीरें बेहद लुभावनी हैं.
तस्वीरों में देखिए बाबा महाकाल की सतरंगी छटा

यहां है ये धाम

इंदौर जिले के आखिरी छोर पर गौतमपुरा से 9 किलोमीटर दूर इंगोरिया रोड से 300 मीटर की दूरी पर स्थित नरसिंगा में चंबल नदी के बीचो बीच है जलेश्वर धाम. भक्तगण यहां आकर सेवा, पूजा, अर्चना करते हैं. बाबा तक पहुंचने के लिए नावों का सहारा लेते हैं.

8 महीनों तक जलमग्न रहते हैं बाबा भोलेनाथ

महादेव के भक्त व नरसिंगा के निवासी मदन सिंह चावड़ा बताते हैं कि जुलाई- अगस्त माह से 8 महीने यह जलेश्वर बाबा जलमग्न रहते हैं. दर्शनाभिलाषियों को पहुंचने के लिए जुगत करनी पड़ती है. पहुंचने के लिए एक पुलिया का प्रयोग किया जाता है.लोगों को विश्वास है कि यहां सच्चे भाव से की गई सेवा कभी खाली नहीं जाती. मन मांगी हर कामना पूरी होती है.

ड्रोन ने दिखाया नजारा
चंबल नदी की खूबसूरत तस्वीरों के जरिए बाबा जलेश्वर धाम से रूबरू कराया 500 फीट की ऊंचाइयों पर तैनात ड्रोन ने. साफ दिखता है कि नदी एक धारा त्रिशूल के आकार की है तो बाईं ओर की धारा ओम का आकार लेती है. यहीं मौजूद हैं बाबा भोलेनाथ.

अद्भुत है ये कहानी
इस शिवलिंग की विशेषता है कि बारिश के दौरान जब चंबल नदी उफान पर होती है तब जलेश्वर महादेव अपना स्थान छोड़ देते हैं. वो अंर्तध्यान हो जाते हैं. जब पानी उतर आता है तो यह शिवलिंग उफान की धारा के विपरीत दिशा में मिलते हैं. मंदिर के पुजारी ईश्वर लाल प्रमाण देते हैं इस बात का. कहते हैं 70 वर्षो से वह यहाँ पूजा कर रहे है. इसके पहले उनके दादा परदादा भी यही पूजा करते थे पर हर वर्ष यहाँ चंम्बल नदी उफ़ान पर आती है. जलेश्वर बाबा कभी भी यहाँ से आगे नही बहे.

एक बार में एक ही व्यक्ति कर सकता है दर्शन
इस स्थान की एक विशेषता यह भी है कि सावन के महीने में हर कोई व्यक्ति मंदिर के ओटले तक पहुंच कर दर्शन नही कर सकता. जिसे भी दर्शन करना होता है उसे चंबल नदी के बीचों बीच विराजित जलेश्वर महादेव के इस छोटे से स्थान तक पहुंचना होता है. एक छोटी सी नाव है, जिसे चलाने वाले पुनिया केवट के साथ 1 ही व्यक्ति सवार हो सकता है. जो नहीं पहुंत पाता वो पुलिया से दर्शन कर आगे बढ़ जाता है.

मंत्री ने किया था वादा
बीते 1 माह पहले जलेश्वर महादेव के दर्शन के लिए मंत्री उषा ठाकुर भी यहां आईं. उन्होंने पुलिया से ही जलेश्वरमहादेव का दर्शन किया. मंत्री ने वादा किया कि इस देव स्थान के विकास कार्य के लिए काम करेंगी. सो लोगों को उम्मीद है कि वो बड़ी तादाद में बाबा की पूजा कर पाएंगे.

इंदौर। चम्बल नदी, की धारा के बीचों बीच विराजमान हैं श्री जलेश्वर बाबा. यहां चंबल नदी त्रिशूल के आकार में बहती है. प्रकृति की खूबसूरती कहें या बाबा का प्रताप. बाएं ओर से देखने पर ॐ स्वरूप में पावन धारा के दर्शन होते हैं. आसमानी नजर यानी ड्रोन से ली गई तस्वीरें बेहद लुभावनी हैं.
तस्वीरों में देखिए बाबा महाकाल की सतरंगी छटा

यहां है ये धाम

इंदौर जिले के आखिरी छोर पर गौतमपुरा से 9 किलोमीटर दूर इंगोरिया रोड से 300 मीटर की दूरी पर स्थित नरसिंगा में चंबल नदी के बीचो बीच है जलेश्वर धाम. भक्तगण यहां आकर सेवा, पूजा, अर्चना करते हैं. बाबा तक पहुंचने के लिए नावों का सहारा लेते हैं.

8 महीनों तक जलमग्न रहते हैं बाबा भोलेनाथ

महादेव के भक्त व नरसिंगा के निवासी मदन सिंह चावड़ा बताते हैं कि जुलाई- अगस्त माह से 8 महीने यह जलेश्वर बाबा जलमग्न रहते हैं. दर्शनाभिलाषियों को पहुंचने के लिए जुगत करनी पड़ती है. पहुंचने के लिए एक पुलिया का प्रयोग किया जाता है.लोगों को विश्वास है कि यहां सच्चे भाव से की गई सेवा कभी खाली नहीं जाती. मन मांगी हर कामना पूरी होती है.

ड्रोन ने दिखाया नजारा
चंबल नदी की खूबसूरत तस्वीरों के जरिए बाबा जलेश्वर धाम से रूबरू कराया 500 फीट की ऊंचाइयों पर तैनात ड्रोन ने. साफ दिखता है कि नदी एक धारा त्रिशूल के आकार की है तो बाईं ओर की धारा ओम का आकार लेती है. यहीं मौजूद हैं बाबा भोलेनाथ.

अद्भुत है ये कहानी
इस शिवलिंग की विशेषता है कि बारिश के दौरान जब चंबल नदी उफान पर होती है तब जलेश्वर महादेव अपना स्थान छोड़ देते हैं. वो अंर्तध्यान हो जाते हैं. जब पानी उतर आता है तो यह शिवलिंग उफान की धारा के विपरीत दिशा में मिलते हैं. मंदिर के पुजारी ईश्वर लाल प्रमाण देते हैं इस बात का. कहते हैं 70 वर्षो से वह यहाँ पूजा कर रहे है. इसके पहले उनके दादा परदादा भी यही पूजा करते थे पर हर वर्ष यहाँ चंम्बल नदी उफ़ान पर आती है. जलेश्वर बाबा कभी भी यहाँ से आगे नही बहे.

एक बार में एक ही व्यक्ति कर सकता है दर्शन
इस स्थान की एक विशेषता यह भी है कि सावन के महीने में हर कोई व्यक्ति मंदिर के ओटले तक पहुंच कर दर्शन नही कर सकता. जिसे भी दर्शन करना होता है उसे चंबल नदी के बीचों बीच विराजित जलेश्वर महादेव के इस छोटे से स्थान तक पहुंचना होता है. एक छोटी सी नाव है, जिसे चलाने वाले पुनिया केवट के साथ 1 ही व्यक्ति सवार हो सकता है. जो नहीं पहुंत पाता वो पुलिया से दर्शन कर आगे बढ़ जाता है.

मंत्री ने किया था वादा
बीते 1 माह पहले जलेश्वर महादेव के दर्शन के लिए मंत्री उषा ठाकुर भी यहां आईं. उन्होंने पुलिया से ही जलेश्वरमहादेव का दर्शन किया. मंत्री ने वादा किया कि इस देव स्थान के विकास कार्य के लिए काम करेंगी. सो लोगों को उम्मीद है कि वो बड़ी तादाद में बाबा की पूजा कर पाएंगे.

Last Updated : Jul 25, 2021, 2:28 PM IST
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