इंदौर। पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी (Paschim Electricity Distribution Company) की कार्यप्रणाली हमेशा सवालों के घेरे में है. इसी कड़ी में इंदौर में एक और अनोखा मामला सामने आया है. जहां 21 झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले उपभोक्ताओं को तकरीबन लाखों रुपये का बिल थमा दिया है. वहीं बिल नहीं भरने के कारण उपभोक्ताओं की बिजली काट दी गई, जिसके कारण दिवाली (Diwali Celebration) आने से पहले ही उनके घर अंधेरे में डूब गए हैं. फिलहाल उनकी सुध लेने के लिए अभी विभाग ने किसी तरह की कोई योजना नहीं बनाई है. वहां रहने वाले तकरीबन 21 परिवार लगातार परेशान भी हो रहे हैं.
बिजली कटने से अंधेरे में रहने को मजबूर लोग
बता दें कि 21 परिवारों की झुग्गी झोपड़ियों के लिए एकमात्र मीटर का बिजली बिल 1,58,000 रुपये आया है और जब भर नहीं पाए, तो बिजली को काट दिया गया. यह कहानी है इंदौर के गांधी नगर जोन के देव नगर बस्ती में रहने वाले परिवार की. बिजली काटने के कारण देव नगर बस्ती में रहने वाले परिवार अंधेरे में जी रहे हैं. पैसा भरने को नहीं है इसलिए दीपावली अंधेरे में मनाने की स्थिति है. यह परिवार बिजासन माता मंदिर के सामने बसे हैं. जहां एक ही परिवार के सदस्य 21 झोपड़ियों में अलग-अलग रहते हैं और मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं यह सभी आदिवासी हैं.
1,58,245 रुपये का आया बिल
सभी परिवार करीब 40 साल से यहां रह रहे हैं. इनके पास बिजली का मीटर नहीं था और इनके आवेदन के बाद करीब 10 वर्ष पूर्व जहां मीटर लगाया गया, तब से लेकर आज तक इनका बिजली का बिल 9600 के आसपास ही आ रहा था. कभी यह बिल 4000 से कम आया तो कभी 10 हजार के आसपास, लेकिन अब परिवार के मुखिया रामलाल सोमाया के नाम से जो बिल आया उसमें राशि 1,58,245 रुपये लिखी है. यह राशि 27 अक्टूबर तक भरनी थी लेकिन जब पीड़ित परिवार बिल नहीं भर पाया तो बिजली विभाग ने उनका कनेक्शन काट दिया.
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सही हुई करवाई
अचानक से बिजली कट जाने को लेकर जब विभाग के अधिकारियों से पूछताछ की गई तो उनका कहना था कि नियम अनुसार ही कार्रवाई की गई है. बिल का भुगतान समय पर नहीं किया गया जिसके कारण बिजली काट दी गई. वहीं गांधी नगर जोन के एई रमाकांत केलकर का कहना है कि बिजासन के सामने रहने वाले झुग्गी झोपड़ी के रहवासियों को पहले एवरेज बिल भेजा जा रहा था. इस बार हमने एवरेज बिल करके वास्तविक बिल बनाया है. इसे भरना तो पड़ेगा. पहले इन लोगों ने मीटर झोपड़ियों के पीछे लगा रखे थे, जिसे हमने निकालकर खम्बे पर टांग दिया.