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इंदौर में महंगा हुआ पीने का पानी, हर महीने चुकाने होंगे 400 रुपये

इंदौर शहर में सबसे महंगा पीने का पानी हुआ. अब हर महीने लोगों को 400 रुपये चुकाने होंगे. वहीं व्यवसायिक पानी के कनेक्शन लेने पर हर महीने यह राशि 1500 रुपये तक गो जायेगी.

Indore Municipal Corporation
इंदौर नगर निगम
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Published : Mar 31, 2021, 12:36 PM IST

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर में अब पानी पीने के लिए हर महीने 400 रुपये चुकाने होंगे. वहीं व्यवसायिक पानी के कनेक्शन लेने पर हर महीने यह राशि 1500 रुपये तक होगी. इसके अलावा पानी की अलग-अलग सप्लाई की श्रेणियों में शहरवासियों को प्रति महीने 400 से लेकर 241000 रुपये चुकाने होंगे. प्रदेश में पानी की दरों को लेकर भी अब इंदौर सबसे महंगा शहर है, जहां पानी पीने के लिए साल भर में आम लोगों को न्यूनतम 6000 रुपये चुकाने होंगे.

बीते साल जल प्रदाय सेवाओं के तहत 302 करोड़ 46 लाख रुपए खर्च किए गए. नगर निगम की दलील है कि इस राशि के अनुपात में जल प्रदाय सेवाओं से प्राप्त आय की राशि बहुत कम होने के कारण जल की दरों में भी परिवर्तन आवश्यक हो गया है. लिहाजा नगर निगम ने शहर में विभिन्न श्रेणियों में जो प्रभार लगाया है, वह मध्य प्रदेश में सर्वाधिक है.

निगम ने काटे गरीबों के नल कनेक्शन, बूंद-बूंद पानी को मोहताज

नगर निगम राज्य शासन के गजट नोटिफिकेशन पर गौर किया जाए, तो घरेलू रूप से नलों के लिए होने वाले आधा इंच कनेक्शन के लिए उपभोक्ताओं को 400 रुपए चुकाने होंगे. इसके अलावा व्यवसाई कनेक्शन पर 1500 रुपए औद्योगिक के लिए 2180 रुपये और शासकीय-अशासकीय कनेक्शन के लिए 400 रुपये की दरें निर्धारित की गई हैं. इसके अलावा एक इंच कनेक्शन से लेकर 6 इंची तक के औद्योगिक कनेक्शन के लिए हर महीने 241000 रुपये तक की दरें तय की गई हैं. शहर में नई दरों को एक अप्रैल से लागू कर दिया जाएगा.

तमाम खर्चों का भार जनता पर
नगर निगम ने स्वच्छता से लेकर पानी और ड्रेनेज के अलावा संपत्ति कर का अत्यधिक भोज आम जनता पर डाल दिया है. इसके अलावा शहर के उन नागरिकों को यह तमाम खर्चे भुगतने होंगे, जो नियमित रूप से कर चुकाते हैं, जबकि चंदननगर, खजराना और शिरपुर जैसे कई इलाके ऐसे हैं, जहां तमाम सुविधाओं के बावजूद नगर निगम के अधिकारी वसूली ही नहीं कर पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में डिफाल्टर लोगों का खर्च भी अब शहर की आम जनता पर थोप दिया गया है.

नगर निगम द्वारा शुल्क बढ़ाने को लेकर निगम के अपर आयुक्त एस कृष्ण चैतन्य के मुताबिक, शहर में खर्च होने वाले तमाम व्यय के हिसाब से नगर निगम ने 5 गुना तक रेट बढ़ाए जाने की मांग राज्य शासन से की थी, जिसमें राज्य शासन ने निगम को अधिकतम दोगना रेट बढ़ाए जाने की अनुमति दी है. इस आशय का प्रस्ताव हाल ही में नगर निगम प्रशासक संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा के पास स्वीकृति के लिए भेजा था. इसे अब एक अप्रैल से लागू कर दिया जाएगा.

इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर में अब पानी पीने के लिए हर महीने 400 रुपये चुकाने होंगे. वहीं व्यवसायिक पानी के कनेक्शन लेने पर हर महीने यह राशि 1500 रुपये तक होगी. इसके अलावा पानी की अलग-अलग सप्लाई की श्रेणियों में शहरवासियों को प्रति महीने 400 से लेकर 241000 रुपये चुकाने होंगे. प्रदेश में पानी की दरों को लेकर भी अब इंदौर सबसे महंगा शहर है, जहां पानी पीने के लिए साल भर में आम लोगों को न्यूनतम 6000 रुपये चुकाने होंगे.

बीते साल जल प्रदाय सेवाओं के तहत 302 करोड़ 46 लाख रुपए खर्च किए गए. नगर निगम की दलील है कि इस राशि के अनुपात में जल प्रदाय सेवाओं से प्राप्त आय की राशि बहुत कम होने के कारण जल की दरों में भी परिवर्तन आवश्यक हो गया है. लिहाजा नगर निगम ने शहर में विभिन्न श्रेणियों में जो प्रभार लगाया है, वह मध्य प्रदेश में सर्वाधिक है.

निगम ने काटे गरीबों के नल कनेक्शन, बूंद-बूंद पानी को मोहताज

नगर निगम राज्य शासन के गजट नोटिफिकेशन पर गौर किया जाए, तो घरेलू रूप से नलों के लिए होने वाले आधा इंच कनेक्शन के लिए उपभोक्ताओं को 400 रुपए चुकाने होंगे. इसके अलावा व्यवसाई कनेक्शन पर 1500 रुपए औद्योगिक के लिए 2180 रुपये और शासकीय-अशासकीय कनेक्शन के लिए 400 रुपये की दरें निर्धारित की गई हैं. इसके अलावा एक इंच कनेक्शन से लेकर 6 इंची तक के औद्योगिक कनेक्शन के लिए हर महीने 241000 रुपये तक की दरें तय की गई हैं. शहर में नई दरों को एक अप्रैल से लागू कर दिया जाएगा.

तमाम खर्चों का भार जनता पर
नगर निगम ने स्वच्छता से लेकर पानी और ड्रेनेज के अलावा संपत्ति कर का अत्यधिक भोज आम जनता पर डाल दिया है. इसके अलावा शहर के उन नागरिकों को यह तमाम खर्चे भुगतने होंगे, जो नियमित रूप से कर चुकाते हैं, जबकि चंदननगर, खजराना और शिरपुर जैसे कई इलाके ऐसे हैं, जहां तमाम सुविधाओं के बावजूद नगर निगम के अधिकारी वसूली ही नहीं कर पा रहे हैं. ऐसी स्थिति में डिफाल्टर लोगों का खर्च भी अब शहर की आम जनता पर थोप दिया गया है.

नगर निगम द्वारा शुल्क बढ़ाने को लेकर निगम के अपर आयुक्त एस कृष्ण चैतन्य के मुताबिक, शहर में खर्च होने वाले तमाम व्यय के हिसाब से नगर निगम ने 5 गुना तक रेट बढ़ाए जाने की मांग राज्य शासन से की थी, जिसमें राज्य शासन ने निगम को अधिकतम दोगना रेट बढ़ाए जाने की अनुमति दी है. इस आशय का प्रस्ताव हाल ही में नगर निगम प्रशासक संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा के पास स्वीकृति के लिए भेजा था. इसे अब एक अप्रैल से लागू कर दिया जाएगा.

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