नई दिल्ली: डायबिटीज एक ऐसी समस्या है जो तेजी से बढ़ रही है. इसे कंट्रोल करने के लिए लोगों को कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है. ऐसे में ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करना ही सबसे अहम होता है. अगर डायबिटीज के मरीज के शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाए तो उसे कई समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में आज इस खबर में जानें कि किन लोगों को डायबिटीज होने का खतरा सबसे अधिक होता है और डायबिटीज मरीजों के लिए HbA1c टेस्ट क्यों है बेहद जरूरी...
डायबिटीज होने का रिस्क इन लोगों को अधिक रहता है...
- जिन लोगों का ब्लड टाइप नॉन-O होता है
- जिनका वजन ज्यादा होता है या वे लोग जो मोटे हैं
- वैसे लोग जिनके परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज होता है.
- जिन लोगों की लाइफस्टाइल खराब और आलस से भरी होती है या जिन लोगों को ज्यादा देर तक बैठने की आदत होती है.
- वैसे लोगों को भी डायबिटीज होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है, जिन लोगों का हाई ब्लड प्रेशर है
- जो लोग स्मोकिंग करते हैं, उनके लिए भी हाई रिस्क होता है.
- जिन लोगों का फैमिली हिस्ट्री डायबिटीज का होता है
- डायबिटीज़ आमतौर पर धीरे-धीरे विकसित होती है और 40 साल से ज्यादा एज के लोगों को अधिक प्रभावित करती है. हालांकि, आजकल यह किसी भी उम्र में हो सकती है. कारण है खराब खानपान और अनियमित जीवनशैली.
डायबिटीज मरीजों को HbA1c टेस्ट की आवश्यकता क्यों होती है?
अगर आपको टाइप 2 डायबिटीज का खतरा ज्यादा है, तो आपके डॉक्टर HbA1c टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं, इससे यह साफ पता चल जाएगा कि आपको डायबिटीज है या नहीं. दरअसल, हीमोग्लोबिन A1c टेस्ट, जिसे अक्सर HbA1c टेस्ट के रूप में जाना जाता है, एक रेगुलर ब्लड टेस्ट है जिसका उपयोग शरीर के ब्लड शुगर लेवल को मापने के लिए किया जाता है. HbA1c टेस्ट के रिजल्ट प्रीडायबिटीज, टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज रोग की पहचान करने में मदद करते हैं. मतलब यदि आपको टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण हैं, तो रोग की पहचान करने के लिए और पुष्टि करने के लिए HbA1c परीक्षण भी किया जा सकता है.
कैसे काम करता है यह टेस्ट
ब्लड सेल्स में मौजूद प्रोटीन हीमोग्लोबिन पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने का काम करता है. हीमोग्लोबिन A, हीमोग्लोबिन का एक विशेष रूप, जो ब्लड शुगर के साथ परस्पर क्रिया करता है. ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन इस मिश्रण द्वारा बनाया गया एक अणु है. HbA1c टेस्ट पिछले दो से तीन महीनों में आपके औसत रक्त शर्करा को निर्धारित करने के लिए ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन की मात्रा की जांच करता है. जब ग्लूकोज या ब्लड शुगर का लेवल ज्यादा होता है, तो यह ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन के गठन को बढ़ाता है. दरअसल, औसत रेड ब्लड सेल्स 120 दिनों या लगभग 3-4 महीने तक जीवित रहती है. इसलिए, HbA1c परीक्षण केवल पिछले 2-3 महीनों में ब्लड शुगर के लेवल का उचित अनुमान लगा सकता है.
HbA1C टेस्ट क्या है?
HbA1C टेस्ट को A1C परीक्षण या ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन या हीमोग्लोबिन A1C टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है. यह परीक्षण रक्त में ग्लूकोज से जुड़े हीमोग्लोबिन प्रोटीन की मात्रा को मापता है. HbA1C पिछले 3 महीनों (8 से 12 सप्ताह) में ब्लड में ग्लूकोज के स्तर को संदर्भित करता है. यानि कि कल या परसों हमने जो खाना खाया, उससे नहीं, बल्कि पिछले तीन महीनों में जो खाना हम खाते हैं, उससे खून में शुगर का स्तर पता चलता है.
किसे करवाना चाहिए यह टेस्ट
हीमोग्लोबिन A1c टेस्ट सभी पर किया जा सकता है. यह एक नियमित परीक्षण है जो ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन के स्तर का पता लगाता है. अगरआपको पहले से ही डायबिटीज की बीमारी है, तो आपको रेगुलर तौर पर HbA1c ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है. इस टेस्ट का उपयोग डायबिटीज वाले लोगों में ब्लड शुगर के लेवल की जांच करने के साथ-साथ प्री-डायबिटीज और प्री-डायबिटीज का पता लगाने के लिए किया जा सकता है. इस टेस्ट के लिए उपवास की आवश्यकता नहीं है. इस टेस्ट को करवाने के लिए खाली पेट रहने की भी जरूरत नहीं होती...
यह टेस्ट कब कराना चाहिए?
45 साल से ऊपर के लोगों को साल में एक बार यह टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है. यदि माता-पिता, बहन और भाई को मधुमेह है, तो उम्र की परवाह किए बिना वर्ष में एक बार एचबीए1सी परीक्षण कराने की सलाह दी जाती है. जो लोग अधिक वजन वाले, हाई ब्लड प्रेशर वाले, हृदय रोग से पीड़ित हैं और जिनकी उम्र 30 से 45 वर्ष के बीच है, उन्हें हर दो साल में यह परीक्षण करवाना चाहिए. यदि आपको संदेह है कि आपमें डायबिटीज के कोई लक्षण हैं, तो आपको यह टेस्ट जरूर करवाना चाहिए.
(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)