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प्राइवेट अस्पतालों के भरोसे कोरोना संक्रमित मरीज, सरकारी खर्चे पर हो रहा इलाज

इंदौर में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, मरीज सरकारी की बजाय निजी अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं.

Private hospital
प्राइवेट हॉस्पिटल
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Published : Jul 22, 2020, 12:00 PM IST

इंदौर। मध्यप्रदेश के शासकीय अस्पतालों में इलाज की बेहतर सुविधाओं के सरकारी दावों की बीच आलम ये है कि, कोरोना महामारी में प्रदेश के मरीजों की निर्भरता सरकारी नहीं, बल्कि निजी अस्पतालों पर है. यहीं वजह है कि, मार्च में संक्रमण फैलते ही मरीजों को भर्ती करने से लेकर उनके इलाज की जिम्मेदारी निजी अस्पतालों को सौंप दी गई. फिलहाल 80 फीसदी मरीजों का इलाज अब भी निजी अस्पतालों में ही सरकारी खर्चे पर किया जा रहा है.

कोरोना मरीजों का सरकारी खर्चे पर हो रहा इलाज

मार्च में जब कोरोना संक्रमण फैला, तो सरकारी अस्पतालों में सामान्य मरीजों के साथ संक्रमित मरीजों को नहीं रखा जा सकता था, ऐसी स्थिति में विकल्प के तौर पर जब निजी अस्पताल संचालकों से बात हुई, तो वो शासन के खर्चे पर कोरोना मरीजों के लिए अलग वार्ड परिसर और संसाधन उपलब्ध कराने के लिए तैयार हो गए. लिहाजा शासन ने एक निर्धारित मानदेय के अनुसार निजी अस्पतालों से अनुबंध कर लिया. सामान्य तौर पर अधिकांश मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में ही भेजा गया.

तीन कैटेगरी के अस्पतालों में हुआ अलग-अलग इलाज

कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में इंदौर जिला प्रशासन ने अस्पतालों को तीन श्रेणी में बांटा था, इसमें रेड, यलो, और ग्रीन श्रेणी के अलग-अलग अस्पताल थे. रेड कैटेगरी के अस्पताल सिर्फ कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए निर्धारित किए गए, जबकि संभावित मरीजों के लिए यलो कैटेगरी के अस्पताल निर्धारित किए गए. जिनमें करीब 12 निजी अस्पताल थे. हालांकि बाद में शहर के तीन निजी और दो सरकारी अस्पतालों को कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए निर्धारित कर दिया गया. इंदौर में एमआर टीवी हॉस्पिटल और एमडीएच कंपाउंड हॉस्पिटल में कोरोना के इलाज की शासकीय व्यवस्था है, जहां शासकीय स्तर पर मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज किया जा रहा है. वहीं निजी मेडिकल कॉलेज के तौर पर अरविंदो, चोइथराम और इंडेक्स कॉलेज में उपचार किया जा रहा है.

अंतिम चरण में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण

इंदौर में लगातार बढ़ रहे संक्रमित मरीजों की संख्या के अनुसार इंदौर में अब कोरोना मरीजों के लिए सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण अंतिम चरण में है. इंदौर जिला प्रशासन के अनुसार 450 बेड की क्षमता का ये अत्याधुनिक हॉस्पिटल जल्द शुरू कर दिया जाएगा. 365 करोड़ रुपए की लागत से तैयार इस अस्पताल में सतत रूप से कोरोना वायरस का इलाज होगा.

वर्तमान में रिक्त हैं अधिकतर बेड

इंदौर में कोरोना मरीजों के लिए निर्धारित अरविंदो, इंडेक्स, चोइथराम, एमआरटीवी अस्पताल और एमडीएच अस्पताल में कुल उपलब्ध आरक्षित बेड करीब 76 फीसदी खाली हैं. इनकी संख्या करीब 2,310 बताई गई है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि, उपचार के बाद ज्यादातर मरीज डिस्चार्ज हो जा रहे हैं.

अगस्त में अपने चरम पर होगा संक्रमण

इंदौर में करीब 6 हजार संक्रमित पाए जाने के बाद जुलाई के अंत या अगस्त की शुरुआत तक संक्रमण के चरम पर पहुंचने की आशंका है. इसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अस्पतालों में करीब 10 हजार से अधिक बेड आरक्षित करने की तैयारी की है. फिलहाल जिले में करीब डेढ़ हजार संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जबकि अस्पतालों में ऐसे मरीजों के लिए करीब 7 हजार बेड आरक्षित हैं. जिन्हें जल्द ही 10 हजार तक ले जाया जाएगा. इंदौर में 6,225 मरीजों में से 4,366 मरीज ठीक हो चुके हैं, वहीं करीब डेढ़ हजार से ज्यादा पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

इंदौर। मध्यप्रदेश के शासकीय अस्पतालों में इलाज की बेहतर सुविधाओं के सरकारी दावों की बीच आलम ये है कि, कोरोना महामारी में प्रदेश के मरीजों की निर्भरता सरकारी नहीं, बल्कि निजी अस्पतालों पर है. यहीं वजह है कि, मार्च में संक्रमण फैलते ही मरीजों को भर्ती करने से लेकर उनके इलाज की जिम्मेदारी निजी अस्पतालों को सौंप दी गई. फिलहाल 80 फीसदी मरीजों का इलाज अब भी निजी अस्पतालों में ही सरकारी खर्चे पर किया जा रहा है.

कोरोना मरीजों का सरकारी खर्चे पर हो रहा इलाज

मार्च में जब कोरोना संक्रमण फैला, तो सरकारी अस्पतालों में सामान्य मरीजों के साथ संक्रमित मरीजों को नहीं रखा जा सकता था, ऐसी स्थिति में विकल्प के तौर पर जब निजी अस्पताल संचालकों से बात हुई, तो वो शासन के खर्चे पर कोरोना मरीजों के लिए अलग वार्ड परिसर और संसाधन उपलब्ध कराने के लिए तैयार हो गए. लिहाजा शासन ने एक निर्धारित मानदेय के अनुसार निजी अस्पतालों से अनुबंध कर लिया. सामान्य तौर पर अधिकांश मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में ही भेजा गया.

तीन कैटेगरी के अस्पतालों में हुआ अलग-अलग इलाज

कोरोना संक्रमण के शुरुआती दौर में इंदौर जिला प्रशासन ने अस्पतालों को तीन श्रेणी में बांटा था, इसमें रेड, यलो, और ग्रीन श्रेणी के अलग-अलग अस्पताल थे. रेड कैटेगरी के अस्पताल सिर्फ कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए निर्धारित किए गए, जबकि संभावित मरीजों के लिए यलो कैटेगरी के अस्पताल निर्धारित किए गए. जिनमें करीब 12 निजी अस्पताल थे. हालांकि बाद में शहर के तीन निजी और दो सरकारी अस्पतालों को कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए निर्धारित कर दिया गया. इंदौर में एमआर टीवी हॉस्पिटल और एमडीएच कंपाउंड हॉस्पिटल में कोरोना के इलाज की शासकीय व्यवस्था है, जहां शासकीय स्तर पर मरीजों को भर्ती कर उनका इलाज किया जा रहा है. वहीं निजी मेडिकल कॉलेज के तौर पर अरविंदो, चोइथराम और इंडेक्स कॉलेज में उपचार किया जा रहा है.

अंतिम चरण में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण

इंदौर में लगातार बढ़ रहे संक्रमित मरीजों की संख्या के अनुसार इंदौर में अब कोरोना मरीजों के लिए सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण अंतिम चरण में है. इंदौर जिला प्रशासन के अनुसार 450 बेड की क्षमता का ये अत्याधुनिक हॉस्पिटल जल्द शुरू कर दिया जाएगा. 365 करोड़ रुपए की लागत से तैयार इस अस्पताल में सतत रूप से कोरोना वायरस का इलाज होगा.

वर्तमान में रिक्त हैं अधिकतर बेड

इंदौर में कोरोना मरीजों के लिए निर्धारित अरविंदो, इंडेक्स, चोइथराम, एमआरटीवी अस्पताल और एमडीएच अस्पताल में कुल उपलब्ध आरक्षित बेड करीब 76 फीसदी खाली हैं. इनकी संख्या करीब 2,310 बताई गई है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि, उपचार के बाद ज्यादातर मरीज डिस्चार्ज हो जा रहे हैं.

अगस्त में अपने चरम पर होगा संक्रमण

इंदौर में करीब 6 हजार संक्रमित पाए जाने के बाद जुलाई के अंत या अगस्त की शुरुआत तक संक्रमण के चरम पर पहुंचने की आशंका है. इसके मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अस्पतालों में करीब 10 हजार से अधिक बेड आरक्षित करने की तैयारी की है. फिलहाल जिले में करीब डेढ़ हजार संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जबकि अस्पतालों में ऐसे मरीजों के लिए करीब 7 हजार बेड आरक्षित हैं. जिन्हें जल्द ही 10 हजार तक ले जाया जाएगा. इंदौर में 6,225 मरीजों में से 4,366 मरीज ठीक हो चुके हैं, वहीं करीब डेढ़ हजार से ज्यादा पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

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