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IIT मद्रास ने सटीक इलाज को बढ़ावा देने के लिए भारत कैंसर जीनोम एटलस किया लॉन्च - INDIA CANCER GENOME ATLAS LAUNCHED

यह शोध आईआईटी मद्रास ने मुंबई स्थित कार्किनोस हेल्थकेयर, चेन्नई ब्रेस्ट क्लिनिक और कैंसर रिसर्च एंड रिलीफ ट्रस्ट चेन्नई के साथ सहयोग से किया.

INDIA CANCER GENOME ATLAS LAUNCHED
भारत कैंसर जीनोम एटलस लॉन्च (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 3, 2025, 4:57 PM IST

चेन्नई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने सोमवार को "भारत कैंसर जीनोम एटलस" का अनावरण किया, एक ऐसा कदम जिससे कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा और इस घातक रोग के लिए व्यक्तिगत उपचार के रास्ते खुलेंगे. आईआईटी मद्रास ने 2020 में इस महत्वाकांक्षी कैंसर जीनोम कार्यक्रम को शुरू किया था. इस पहल के तहत, देश भर से 480 स्तन कैंसर रोगियों के ऊतक के नमूनों का गहन विश्लेषण किया गया है, और 960 पूरे एक्सोम परीक्षण किए गए हैं.

संस्थान ने इस विस्तृत डेटाबेस को अनुसंधानकर्ताओं और चिकित्सकों के लिए सार्वजनिक रूप से सुलभ बना दिया है. आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटी ने कहा, "हमें उम्मीद है कि यह डेटा कैंसर के अंतर्निहित कारणों को गहराई से समझने और शुरुआती हस्तक्षेप रणनीतियों को लागू करने में मदद करेगा. यह एटलस भारत में विभिन्न कैंसर प्रकारों के जीनोमिक परिदृश्य को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है."

प्रो. कामकोटी ने यह भी खुलासा किया कि भारतीय स्तन कैंसर जीनोम अनुक्रमण का कार्य कुशलतापूर्वक पूरा हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय स्तन कैंसर रोगियों में आनुवंशिक विविधताओं का एक व्यापक संग्रह तैयार हुआ है. उन्होंने आगे कहा, "इस संग्रह से रोग के शुरुआती पहचान, विकास को प्रभावित करने वाले कारकों और उपचार प्रतिक्रियाओं की हमारी समझ को गहरा करने में मदद मिलेगी."

इस शोध प्रयास में आईआईटी मद्रास ने मुंबई स्थित "कार्किनोस हेल्थकेयर," "चेन्नई ब्रेस्ट क्लिनिक," और "कैंसर रिसर्च एंड रिलीफ ट्रस्ट, चेन्नई" के साथ सहयोग किया. इन सहयोगी संस्थानों ने भारतीय स्तन कैंसर के नमूनों से आनुवंशिक विविधताओं का विश्लेषण और संकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत और विश्व स्तर पर कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता बनी हुई है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कैंसर से जूझ रहे लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है.

राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर नौ लोगों में से एक को अपने जीवनकाल में कैंसर होने की आशंका है, और वर्तमान में 14,61,427 व्यक्ति इस बीमारी से जूझ रहे हैं. 2022 के बाद से हर साल कैंसर के मामलों में 12.8% की वृद्धि हुई है. कैंसर की बढ़ती घटनाओं के बावजूद, भारत में कैंसर से संबंधित जीनोम अनुसंधान अपेक्षाकृत सीमित रहा है.भारत में कैंसर से संबंधित जीनोमिक डेटाबेस की कमी के कारण, यहां की विशिष्ट आनुवंशिक विशेषताओं का उचित पहचान और प्रलेखन नहीं हो पाया है. इसके कारण, प्रभावी कैंसर पहचान किट और दवाइयों के विकास में बाधा आई है.

आईआईटी मद्रास में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन कैंसर जीनोमिक्स एंड मॉलिक्यूलर थेरैप्यूटिक्स के प्रमुख और परियोजना के समन्वयक प्रो. एस. महालिंगम ने कहा, "यह नया डेटाबेस भारत में कैंसर से जुड़े विशिष्ट बायोमार्कर की पहचान करने की हमारी क्षमता को बढ़ाएगा, जिससे स्तन कैंसर का शीघ्र पता लगाने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह नई दवा लक्ष्यों और भारतीय आबादी के लिए बेहतर उपचार रणनीतियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा."

उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि, "इस डेटा का इस्तेमाल जोखिम वाले समूहों की पहचान करने, कैंसर के बढ़ने पर नजर रखने, हर व्यक्ति के लिए अलग उपचार रणनीति बनाने और उपचार के असर को समझने में किया जाएगा." इसके साथ ही, यह जीनोम एटलस कैंसर के बढ़ने और उसके विकसित होने से जुड़ी आनुवंशिक जानकारी भी देगा. इससे भारतीय बायोमेडिकल रिसर्च और स्वास्थ्य प्रणाली को "पर्सनलाइज्ड मेडिसिन" की तरफ बढ़ने में मदद मिलेगी। इस प्रक्रिया में मरीज की जेनेटिक और मॉलिक्यूलर जानकारी को ध्यान में रखकर इलाज की योजना बनाई जाएगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर और भी बेहतर हो पाएगा.

यह भी पढ़ें- 'ट्रक ड्राइवरों की कमी से बढ़ रहे हैं हादसे': बोले, नितिन गडकरी

चेन्नई: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने सोमवार को "भारत कैंसर जीनोम एटलस" का अनावरण किया, एक ऐसा कदम जिससे कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा और इस घातक रोग के लिए व्यक्तिगत उपचार के रास्ते खुलेंगे. आईआईटी मद्रास ने 2020 में इस महत्वाकांक्षी कैंसर जीनोम कार्यक्रम को शुरू किया था. इस पहल के तहत, देश भर से 480 स्तन कैंसर रोगियों के ऊतक के नमूनों का गहन विश्लेषण किया गया है, और 960 पूरे एक्सोम परीक्षण किए गए हैं.

संस्थान ने इस विस्तृत डेटाबेस को अनुसंधानकर्ताओं और चिकित्सकों के लिए सार्वजनिक रूप से सुलभ बना दिया है. आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटी ने कहा, "हमें उम्मीद है कि यह डेटा कैंसर के अंतर्निहित कारणों को गहराई से समझने और शुरुआती हस्तक्षेप रणनीतियों को लागू करने में मदद करेगा. यह एटलस भारत में विभिन्न कैंसर प्रकारों के जीनोमिक परिदृश्य को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है."

प्रो. कामकोटी ने यह भी खुलासा किया कि भारतीय स्तन कैंसर जीनोम अनुक्रमण का कार्य कुशलतापूर्वक पूरा हो गया है, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय स्तन कैंसर रोगियों में आनुवंशिक विविधताओं का एक व्यापक संग्रह तैयार हुआ है. उन्होंने आगे कहा, "इस संग्रह से रोग के शुरुआती पहचान, विकास को प्रभावित करने वाले कारकों और उपचार प्रतिक्रियाओं की हमारी समझ को गहरा करने में मदद मिलेगी."

इस शोध प्रयास में आईआईटी मद्रास ने मुंबई स्थित "कार्किनोस हेल्थकेयर," "चेन्नई ब्रेस्ट क्लिनिक," और "कैंसर रिसर्च एंड रिलीफ ट्रस्ट, चेन्नई" के साथ सहयोग किया. इन सहयोगी संस्थानों ने भारतीय स्तन कैंसर के नमूनों से आनुवंशिक विविधताओं का विश्लेषण और संकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. भारत और विश्व स्तर पर कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता बनी हुई है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कैंसर से जूझ रहे लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है.

राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर नौ लोगों में से एक को अपने जीवनकाल में कैंसर होने की आशंका है, और वर्तमान में 14,61,427 व्यक्ति इस बीमारी से जूझ रहे हैं. 2022 के बाद से हर साल कैंसर के मामलों में 12.8% की वृद्धि हुई है. कैंसर की बढ़ती घटनाओं के बावजूद, भारत में कैंसर से संबंधित जीनोम अनुसंधान अपेक्षाकृत सीमित रहा है.भारत में कैंसर से संबंधित जीनोमिक डेटाबेस की कमी के कारण, यहां की विशिष्ट आनुवंशिक विशेषताओं का उचित पहचान और प्रलेखन नहीं हो पाया है. इसके कारण, प्रभावी कैंसर पहचान किट और दवाइयों के विकास में बाधा आई है.

आईआईटी मद्रास में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन कैंसर जीनोमिक्स एंड मॉलिक्यूलर थेरैप्यूटिक्स के प्रमुख और परियोजना के समन्वयक प्रो. एस. महालिंगम ने कहा, "यह नया डेटाबेस भारत में कैंसर से जुड़े विशिष्ट बायोमार्कर की पहचान करने की हमारी क्षमता को बढ़ाएगा, जिससे स्तन कैंसर का शीघ्र पता लगाने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह नई दवा लक्ष्यों और भारतीय आबादी के लिए बेहतर उपचार रणनीतियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा."

उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि, "इस डेटा का इस्तेमाल जोखिम वाले समूहों की पहचान करने, कैंसर के बढ़ने पर नजर रखने, हर व्यक्ति के लिए अलग उपचार रणनीति बनाने और उपचार के असर को समझने में किया जाएगा." इसके साथ ही, यह जीनोम एटलस कैंसर के बढ़ने और उसके विकसित होने से जुड़ी आनुवंशिक जानकारी भी देगा. इससे भारतीय बायोमेडिकल रिसर्च और स्वास्थ्य प्रणाली को "पर्सनलाइज्ड मेडिसिन" की तरफ बढ़ने में मदद मिलेगी। इस प्रक्रिया में मरीज की जेनेटिक और मॉलिक्यूलर जानकारी को ध्यान में रखकर इलाज की योजना बनाई जाएगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर और भी बेहतर हो पाएगा.

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