भोपाल : मध्यप्रदेश बीजेपी का बहुप्रतीक्षित अध्यक्ष के नाम का ऐलान इसी माह के दूसरे हफ्ते तक होने की संभावना है. इस पद की रायशुमारी के लिए लिस्ट भी केन्द्रीय हाईकमान तक पहुंच गई है. प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केन्द्र से पर्यवेक्षक के तौर पर आ रहे केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के मध्यप्रदेश दौरे के साथ ही चुनाव में और गति आ जाएगी. प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में किस फार्मूले पर जा सकती है पार्टी? फिनिशिंग लाइन पर पहुंच रही प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में कौन सा चेहरा क्यों और कितना दमदार है? क्या शांतिकाल के लिए चुने जा रहे प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कोई प्रयोग भी कर सकती है पार्टी? ये चेहरा केन्द्र की राईट च्वाईस होगा या सीएम के साथ बेहतर समन्व्य के हिसाब से होगा? इन सवालों पर ही बीजेपी नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा है.
15 फरवरी तक नाम का ऐलान होने की संभावना
सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान फरवरी के दूसरे हफ्ते तक होने की संभावना है. माना जा रहा है 15 फरवरी तक पार्टी हाईकमान की ओर से मध्यप्रदेश को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा. बता दें कि इससे पहले अनुमान था कि फरवरी के पहले हफ्ते में भी ऐलान हो जाएगा. लेकिन अब माना जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ये तारीख आगे खिसका दी गई है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं "देखिए अभी पार्टी के लिए सामने बड़ी चुनौती के तौर पर दिल्ली का विधानसभा चुनाव है. मध्यप्रदेश यूं भी पार्टी के आदर्श संगठनों में गिना जाता है. लिहाजा, यहां प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नेतृत्व के लिए कोई बहुत कठिन टास्क नहीं है. निगाह इस पर है कि पार्टी का चुनाव फार्मूला क्या होता है. चूंकि शांतिकाल है, अभी मध्यप्रदश चुनाव के लिए पूरे 4 साल का समय है. लिहाजा, इस तरह की अटकलें भी हैं कि पार्टी कोई नया प्रयोग भी कर सकती है."
तय फार्मूले पर चली बीजेपी तो चेहरा सवर्ण होगा
पार्टी 2003 से अब तक जिस फार्मूले पर चली है, उसमें सरकार का चेहरा पिछड़ा वर्ग से चुना गया है और संगठन में अमूमन सवर्ण को ही मौका दिया गया है. 2002-03 में जब पार्टी 10 साल के कांग्रेस शासन में विपक्ष में रहने के बाद सत्ता में आई थी, उस समय भी पार्टी की कमान वरिष्ठ दिवंगत नेता कैलाश जोशी के हाथ में थी. उनके बाद फिर ये जिम्मदारी फिर सवर्ण नेता नरेन्द्र सिंह तोमर ने संभाली. तोमर के बाद फिर प्रभात झा हों या राकेश सिंह या फिर वीडी शर्मा 2003 से 2024 तक तक सवर्ण चेहरे को ही मौका पार्टी ने दिया है.
आदिवासी चेहरे पर हर बार होती है चर्चा
आदिवासी वर्ग को साधने के मद्देनजर पहले भी आदिवासी चेहरे को कमान देने की बात हुई थी. फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम एक बार प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सबसे मजबूत माना जा रहा था. लेकिन आखिरी समय में पत्ता कट गया था. इस बार फिर आदिवासी चेहरे के तौर पर फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम सुर्खियो में हैं. इनके अलावा नए आदिवासी चेहरे के तौर पर सुमेर सिंह सोलंकी का भी नाम भी चर्चा में है.
ऐसे होता है बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव
बीजेपी में चरणबद्ध तरीके से जो चुनाव होते हैं, उसमें जिलाअध्यक्ष के चुनाव के बाद प्रदेशअध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया शुरू होती है. इसके लिए प्रदेश परिषद के सदस्य चुने जाते हैं. जिनमें 4 सांसदों के अलावा 16 विधायक होते हैं. जिसमें से चयन इस तरह से होता है कि हर असेम्बली से एक रिप्रजेंटेशन हो. फिर दो विधानसभा के हिसाब से क्लस्टर बनाया जाता है. सारे जिलाध्यक्ष भी इसमें शामिल किए जाते हैं. इन सदस्यों के जरिए प्रदेशअध्यक्ष का निर्वाचन पूरा होता है. बीजेपी प्रवक्ता कर्नल ईशान कहते हैं "देखिए सब कुछ अपनी प्रक्रिया से चल रहा है. तय समय आने पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान भी हो जाएगा."
- वीडी शर्मा की विदाई! नरोत्तम मिश्रा या फग्गन सिंह कौन होगा मध्य प्रदेश का नया 'सेनापति'
- अपनों के निशाने पर वीडी शर्मा, अजय विश्नोई ने लगाया बड़ा आरोप, संघ के बड़े नेता ने किया समर्थन
ये हैं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जिन चेहरों को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है. उनमें सबसे मजबूत नाम बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल का है. उनके अलावा पूर्व मंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा, आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते, सुमेर सिंह सोलंकी के नाम भी दौड़ में हैं. इनके अलावा महिला कोटे से अर्चना चिटणीस और कविता पाटीदार का भी नाम है. वहीं पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया का नाम भी इस पद के लिए चल रहा है.