इंदौर। कोरोना के कारण हर फील्ड में मंदी का दौर फिर शुरू हो गया है. इस दौरान कंस्ट्रक्शन बिजनेस में काफी मंदी देखने को मिल रही है. मजदूरों के पलायन और कच्चे सामान के बढ़ते दाम ने बिल्डर्स और प्रापर्टी का व्यवसाय करने वालों की परेशानी बढ़ा दी है. इसके अलावा बैंकों के बढ़ते कर्ज के कारण भी बिल्डर्स और प्रापर्टी ब्रोकर्स पर बोझ बढ़ रहा है. कई बिल्डर्स का कहना है कि अगर ऐसी ही स्थितियां रही तो आने वाले दिनों में उन्हें कई प्रोजेक्ट बंद करना पड़ेंगे.
कोरोना के कारण अटके कई प्रोजेक्ट
मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में कई मल्टीनेशनल कंपनी अपने बिल्डर्स के साथ बड़े-बडे कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट चलाती है. इसी के साथ कई छोटे प्रॉपर्टी ब्रोकर भी है और कई बिल्डर भी इंदौर शहर में अपना काम करते हैं. लेकिन कोरोना महामारी से प्रॉपर्टी व्यवसायी काफी परेशान नजर आ रहे हैं. कई प्रॉपर्टी व्यवसायी का कहना है कि जो भी प्रोजेक्ट उन्होंने चालू किए थे. कोरोना महामारी को देखते हुए उन सभी प्रोजेक्ट को या बंद कर दिया है, या कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया है. वहीं अब जैसे-जैसे आगे स्थितियां बनेगी इन प्रोजेक्ट को शुरू किया जाएगा.
कच्चे माल के भाव में बढ़ोत्तरी
इंदौर शहर के प्रॉपर्टी व्यवसायी का कहना है कि मकान को बनाने में उपयोग होने वाली वस्तुएं जैसे सरिया, ईंट से लेकर गिट्टी मोरम तक सभी के भाव में दोगुना इजाफा हुआ है. यह सब कोरोना की लहर के कारण हुआ है. एक प्रापर्टी व्यवसायी ने बताया कि इंदौर शहर में सरिया का भाव 45 हजार रुपए के आसपास था जो अब बढ़कर 60 हजार के आसपास हो गया है. 40 रुपए प्रति फीट के भाव से मिलने वाली रेती का भाव 80 रुपए फीट तक पहुंच गया है. पहले 5500 रुपए की एक हजार ईंट मिलती थी जिसका भाव अब 6500 तक पहुंच गया है. इसका सीधा असर मकान की कुल लागत पर पड़ रहा है. पहले 500 स्क्वेयर फीट का मकान 15 लाख के आसपास मिलता था जो अब 20 से 22 लाख में मिल रहा है.
मजदूरों का पलायन बना समस्या
वहीं दूसरी तरफ इंदौर के प्रॉपर्टी व्यवसाय करने वालों के सामने मजदूरों का पलायन भी बड़ी समस्या है. महामारी को देखते हुए उत्तर प्रदेश और बिहार से इंदौर आने वाले मजदूरों ने पलायन कर लिया है. बिल्डर्स का मानना है कि स्थानीय मजदूर ज्यादा पैसों की डिमांड करते हैं. कुछ बिल्डर्स ने अपने खर्चे पर बाहर के मजदूरों को रोक रखा है. इस दौरान वो उनके खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि थोड़ी दिनों में स्थितियां सामान्य हो सकती है और उनके काम फिर से शुरू हो सकते हैं.
बैंक और रजिस्ट्री को लेकर भी बिल्डर परेशान
बिल्डरों का कहना है कि एक तरफ तो कोरोना महामारी उनके व्यापार को नुकसान पहुंचा रही है वहीं दूसरी तरफ बैंक और रजिस्ट्री नहीं होने के कारण भी उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. बिल्डरों का कहना है कि बैंक से कई प्रोजेक्ट पर लोन अप्रूव हो गया है लेकिन रजिस्ट्री नहीं हो रही है, जिसके कारण बैंक भी लोन नहीं दे रही है. जिसके कारण बिल्डर्स पर खर्चों का बोझ आ गया है. बिल्डर्स को बिजली का बिल, नगर निगम का टैक्स समेच कई तरह के खर्चे खुद उठाना पड़ रहे हैं.
जल्द ही हालात ठीक होने की उम्मीद
बिल्डरों का कहना है कि जिस तरह से पिछले दिनों प्रधानमंत्री योजना के तहत पहला मकान खरीदने वाले हर व्यक्ति को निश्चित तौर पर सब्सिडी दी जा रही थी. इसके कारण काफी अच्छे से व्यापार भी शुरू हो गया था. लेकिन अचानक से उस सब्सिडी के लिए भी अब कई तरह की गाइड लाइन आ गई. कई लोग जो अपने मकान का सपना सजोए बैठे थे उनको भी इसकी वजह से परेशानी उठाना पड़ रही है. लेकिन बिल्डरों को विश्वास है कि जल्द ही इंदौर शहर में प्रापर्टी के व्यापार में एक बार फिर उछाल आ जाएगा.