इंदौर। कुन्नूर हेलीकॉप्टर क्रैश (Coonoor Helicopter Crash) में शहीद हुए देश के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष और उनकी पत्नी का आज दिल्ली के बरार स्क्वायर श्मशान घाट (Cremation of CDS Bipin Rawat in Brar Square Crematorium) पर अंतिम संस्कार किया जाएगा. चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के साथ काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी भी गमजदा हैं. उनके साथ काम कर चुके कई सैन्य अधिकारी भी उनके साथ बिताए समय को यादगार बताते हैं और जो पूर्व में उनके साथ बात हुई है, उसका जिक्र करते हुए गर्व महसूस करते हैं. ऐसे ही एक रिटायर्ड जनरल से बात हुई तो उनका कहना था कि बिपिन रावत देश के सबसे अच्छे अधिकारियों में से एक थे, उन्होंने सेना को लेकर जिस तरह से योजना बनाई थी, वह कभी भुलाई नहीं जा सकती है, उनका काम करने का तरीका बहुत अच्छा था, सेना में बहुत सारे बदलाव उन्हीं की देन है, ऐसे में अचानक उनके जाने से देश को काफी क्षति हुई है.
नागालैंड हादसे को साथी ने किया याद
रावत के साथ काम कर चुके रिटायर्ड जनरल एमजी दातार का कहना है कि बिपिन रावत अच्छे इंसान थे, वह उनसे काफी अच्छे से मेल मुलाकात करते थे और दोनों एक दूसरे का काफी आदर भी करते थे, साथ ही दातार ने 10 साल पहले नागालैंड में हुई घटना का जिक्र करते हुए बताया कि जब नागालैंड में हुए एक हादसे (CDS Bipin Rawat gave this answer on Nagaland helicopter crash) में बिपिन रावत गंभीर रूप से घायल हो गए थे, लेकिन वह उस हादसे से उबरे और जब मुलाकात हुई, तब हाल पूछने पर बोले- मैं पहाड़ी आदमी हूं, छोटे-मोटे हादसों से मुझे कुछ नहीं होगा. बुधवार को बिपिन रावत के हेलीकॉप्टर क्रैश की सूचना मिली तो ऐसा लगा कि बिपिन रावत को कुछ नहीं होगा और वह इस घटना से भी उबर कर वापस से मैदान संभालेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका. अब उनकी कमी सेना को हमेशा खलती रहेगी.
नम आंखों से शहीदों को दी जा रही विदाई
बुधवार को कुन्नूर में सेना का हेलीकॉप्टर एमआई17वी5 क्रैश हो जाने से सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका के अलावा 11 अन्य अधिकारी-जवान शहीद हो गए थे, इस हादसे से पूरा देश सदमे में है, पूरा देश अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि देकर शहीदों को याद कर रहा है. भारत के पहले सीडीएस जनरल रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 अन्य की बुधवार को यहां पास में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. बाद में शवों को एंबुलेंस के माध्यम से पास के कोयंबटूर स्थित सुलूर एयरबेस लाया गया, जहां से उन्हें राष्ट्रीय राजधानी ले जाया गया. मद्रास रेजिमेंटल सेंटर, वेलिंगटन से कोयंबटूर तक लगभग 90 किलोमीटर के मार्ग में मृतकों के अंतिम दर्शन के लिए सड़क के दोनों ओर लोगों की कतार लगी रही. लोगों ने एम्बुलेंस पर फूल बरसाए.