इंदौर। बंगाली चौराहे पर निर्माणाधीन ब्रिज को लेकर शुरू हुआ विवाद अभी भी जारी है, पहले इस ब्रिज का काम कई महीनों तक माधवराव सिंधिया की प्रतिमा हटाने को लेकर रुका रहा, लेकिन प्रतिमा हटाने के बाद भी इस ब्रिज का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है, जिसके पीछे ब्रिज के डिजाइन में आई तकनीकी समस्या को वजह बताया जा रहा है. वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ ही सांसद शंकर लालवानी ने भी निर्माणाधीन ब्रिज का जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने इस ब्रिज के डिजाइन को भी पीपल्याहाना चौराहे पर बने ब्रिज की तर्ज पर बनाने की बात कही.
माधवराव सिंधिया की प्रतिमा हटने के बाद ब्रिज का काम शुरू होता तो साकेत को कनाडिया से जोड़ने वाली सड़क पर दो बड़े पिलर ब्रिज के सपोर्ट में खड़े करने होंगे, जबकि ब्रिज निर्माण में कहीं न कहीं समझौता करना पड़ सकता है क्योंकि यातायात को सुचारू करने की दृष्टि से ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है. सड़क के बीच में पिलर बनने से उन उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पाएगी. वहीं, क्षेत्रीय विधायक का कहना है कि उन्होंने ब्रिज के डिजाइन को लेकर शुरू से आपत्ति दर्ज कराई है, बावजूद उसके ब्रिज का काम बिना बदलाव के जारी रहा, जिसके कारण परेशानी आई है.
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ब्रिज पर अभी तक करीब 25 करोड़ की राशि खर्च
सांसद ने पीपल्याहाना ब्रिज की तरह इस ब्रिज के निर्माण की बात कही है, अगर ऐसा होता है तो ब्रिज के डिजाइन में कई बदलाव निर्माणाधीन एजेंसी को करने होंगे. 30 करोड़ की लागत से बनने वाले इस ब्रिज पर अभी तक करीब 25 करोड़ की राशि खर्च हो चुकी है और ब्रिज का 80% कार्य पूरा हो चुका है. अब इस नई परेशानी के कारण ब्रिज का काम एक बार फिर बीच में लटक गया है.