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यहां सांस लेना है खतरनाक, फिजाओं में घुला जहर - Poison dissolves in fun

प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की हवा भी जहरीली हो गई है. यह खुलासा अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी के एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स में हुआ है.

इंदौर की हवा
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Published : Nov 6, 2019, 12:03 AM IST

इंदौर। देश की राजधानी दिल्ली की तरह ही प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की हवा भी जहरीली हो गई है. जिसका असर आम लोगों की जिंदगी के पौने 3 साल घटा रही है. यह खुलासा अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी की शोध संस्था द्वारा तैयार किए गए वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक में हुआ है.

जहरीली हुई आर्थिक राजधानी इंदौर की हवा

इस एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा जहरीली हवा भिंड की है, जिसके बाद मुरैना, ग्वालियर, दतिया, रीवा, छतरपुर, शिवपुरी, और सतना जैसे शहर आते हैं. वहीं पश्चिमी मध्य प्रदेश के प्रदूषित शहरों में मंदसौर, उज्जैन, नीमच, देवास, इंदौर, रतलाम, खरगोन, धार और बड़वानी भी प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हैं.

प्रदूषण से होने वाली बीमारियां

प्रदूषण के कारण मोतियाबिंद, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक डायबिटीज और लंग कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं. इसके कारण बड़ी संख्या में लोग अस्पताल भी पहुंच रहे हैं, मेडिकल जनरल 'द लेजेंड' के एक आंकड़े के मुताबिक 2017 में मध्यप्रदेश के करीब 83 हजार लोगों की जान वायु प्रदूषण के कारण जा चुकी है.

शहरों की हवा प्रदूषित होने के कारण लोगों की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है लेकिन प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने शिकागो यूनिवर्सिटी के सर्वे को खारिज कर दिया. प्रदूषण नियंत्रण मंडल का कहना है कि दिल्ली समेत अन्य राज्यों की तुलना में इंदौर और मध्य प्रदेश की स्थिति अलग है, यहां पर फिलहाल प्रदूषण की स्थिति खतरे से बाहर है.

ऐसे में लोगों को कब तक प्रदूषित हवा में जीने पर मजबूर होना पड़ेगा. अब समय आ गया है कि सच्चाई से मुंह मोड़ने की जगह आम लोगों और हुक्मरानों को अपनी जिम्मेदारी समझकर लोग स्वच्छ हवा में सांस ले सकें, इस तरफ काम करना चाहिए.

इंदौर। देश की राजधानी दिल्ली की तरह ही प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की हवा भी जहरीली हो गई है. जिसका असर आम लोगों की जिंदगी के पौने 3 साल घटा रही है. यह खुलासा अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी की शोध संस्था द्वारा तैयार किए गए वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक में हुआ है.

जहरीली हुई आर्थिक राजधानी इंदौर की हवा

इस एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा जहरीली हवा भिंड की है, जिसके बाद मुरैना, ग्वालियर, दतिया, रीवा, छतरपुर, शिवपुरी, और सतना जैसे शहर आते हैं. वहीं पश्चिमी मध्य प्रदेश के प्रदूषित शहरों में मंदसौर, उज्जैन, नीमच, देवास, इंदौर, रतलाम, खरगोन, धार और बड़वानी भी प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हैं.

प्रदूषण से होने वाली बीमारियां

प्रदूषण के कारण मोतियाबिंद, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक डायबिटीज और लंग कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं. इसके कारण बड़ी संख्या में लोग अस्पताल भी पहुंच रहे हैं, मेडिकल जनरल 'द लेजेंड' के एक आंकड़े के मुताबिक 2017 में मध्यप्रदेश के करीब 83 हजार लोगों की जान वायु प्रदूषण के कारण जा चुकी है.

शहरों की हवा प्रदूषित होने के कारण लोगों की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है लेकिन प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने शिकागो यूनिवर्सिटी के सर्वे को खारिज कर दिया. प्रदूषण नियंत्रण मंडल का कहना है कि दिल्ली समेत अन्य राज्यों की तुलना में इंदौर और मध्य प्रदेश की स्थिति अलग है, यहां पर फिलहाल प्रदूषण की स्थिति खतरे से बाहर है.

ऐसे में लोगों को कब तक प्रदूषित हवा में जीने पर मजबूर होना पड़ेगा. अब समय आ गया है कि सच्चाई से मुंह मोड़ने की जगह आम लोगों और हुक्मरानों को अपनी जिम्मेदारी समझकर लोग स्वच्छ हवा में सांस ले सकें, इस तरफ काम करना चाहिए.

Intro:इंदौर , देश की राजधानी दिल्ली की तरह ही प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर में भी जहरीली हवा के कारण आम लोगों की जिंदगी के पौने 3 साल घट गए हैं यहां की आबोहवा के दूषित होने के चलते शहर में प्रदूषण अभी भी लगातार चुनौती बना हुआ है, हालांकि इंदौर में स्वच्छता अभियान जारी रहने से फिलहाल यहां के हालात सामान्य बने हुए हैं


Body:दरअसल लगातार फैलते वायु प्रदूषण समेत अन्य प्रदूषण के कारण प्रदेश में रहने वाले लोगों की उम्र करीब 3:30 साल घट चुकी है इसका खुलासा हाल ही में अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी की शोध संस्था द्वारा तैयार किए गए वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक में हुआ था इस सर्वे के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा जहरीली हवा भिंड की है इसके बाद मुरैना ग्वालियर दतिया रीवा छतरपुर शिवपुर सतना जैसे शहरों की स्थिति है इधर पश्चिमी मध्य प्रदेश के प्रदूषित शहरों में मंदसौर उज्जैन नीमच देवास इंदौर रतलाम खरगोन धार बड़वानी भी प्रदूषित शहरों की सूची में शुमार हैं जहां के लोगों की औसत आयु साले 3 साल से करीब पौने 3 साल तक घट चुकी है हालांकि नीति आयोग के अनुसार प्रदेश के लोगों की औसत आयु 64 वर्ष है इधर प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने इस सर्वे को खारिज करते हुए कहा है की दिल्ली समेत अन्य राज्यों की तुलना में इंदौर और मध्य प्रदेश की स्थिति अलग है यहां पर फिलहाल प्रदूषण की स्थिति खतरे से बाहर है

यह है प्रदूषण के कारक

हवा के साथ उड़ती बारी धूल और वाहनों से निकलने वाला धुआं हमारी सेहत के लिए इतना खतरनाक होने के बावजूद ना तो राज्य सरकारें चुनते थे और ना ही स्थानीय निकायों को कोई परवाह है इसके अलावा उखड़ी हुई सड़कें डिवाइडर पर फैली मिट्टी अनियंत्रित तरीकों से होती भवनों की चौड़ाई और निर्माण कचरे को जलाकर नष्ट करने की प्रवृत्ति प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मानी गई है ग्रामीण क्षेत्रों में घर के अंदर ठोस ईंधन का इस्तेमाल भी प्रदूषित वायु से होने वाली बीमारियों का कारण है

प्रदूषण से होने वाली बीमारियां

आंखों का कैटरेक्ट, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डीसी इस्केमिक हार्ट डिजीज स्ट्रोक और डायबिटीज लंग कैंसर लोअर रेस्पिरेट्री इनफेक्शन जैसी घातक बीमारियां प्रदूषण की मुख्य बजा है इसके कारण बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं मेडिकल जनरल द लेजेंड एक आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2017 में मध्यप्रदेश के करीब 83000 लोगों की जान वायु प्रदूषण के कारण जा चुकी है

स्वास्थ्य के लिए खतरनाक pm10

pm10 यानी हवा में मौजूद 10 माइक्रोमीटर व्यास जाने वालों के व्यास से लगभग 5 गुना छोटे वह कौन है जो सांस के साथ शरीर में जाकर कई तरह की बीमारियां पैदा करते हैं धूल और धुआं इसका सबसे प्रमुख उदाहरण है आंखों में 90 फ़ीसदी स्थिति में इसका प्रदूषण नहीं देखा जा सकता मानकों के लिहाज से हवा में इसका स्तर 51% से कम होना चाहिए


Conclusion:बाइट डॉ दिलीप बाघेला प्रेक्षण अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण मंडल इंदौर
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