इंदौर। कभी चाय, कभी मीठा, कभी खाना और पीने वालों का स्वाद बढ़ाने वाले नमकीन के स्वाद पर कोरोना का ग्रहण लग गया और लॉकडाउन ने नमकीन व्यवसाय पर लॉक लगा दिया. जिस नमकीन के चलते दुनियाभर में व्यवसायी मुनाफा कमाते हैं. वही उद्योग आज कोरोना वायरस की वजह से ठप्प पड़ा है. आलम यह है कि इंदौर में इस उद्योग पर लॉकडाउन का इतना असर हुआ है कि कुल व्यापार का 5 प्रतिशत बचा है.
वहीं सरकार के राहत पैकेज से भी इस उद्योग से जुड़े व्यवसायियों को उम्मीदें कम हैं. प्रशासन ने होम डिलीवरी तो सेवा शुरू कर दी है, लेकिन अभी भी नमकीन लोगों का स्वाद नहीं बढ़ा पा रही है. इसके साथ ही इंदौर से विदेशों तक जाने वाला नमकीन उद्योग सब कुछ ठीक होने की राह देख रहा है. इंदौर शहर को पूरे देश भर में स्वच्छता में नंबर वन आने के कारण पहचाना जाता है, लेकिन शहर की पहचान पूरी दुनिया में बहुत पहले से नमकीन के कारण स्थापित हो चुकी है.
कई इकाइयां हुई बंद
इंदौर शहर का नमकीन इतना मशहूर है कि इसकी सप्लाई भारत के अलग-अलग राज्यों के साथ अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया तक होती है. लॉकडाउन की मार सबसे ज्यादा असर इसी उद्योग पर पड़ी है. रोजाना 300 टन से ज्यादा नमकीन का उत्पादन करने वाले शहर की सभी इकाइयां बंद हैं. अकेले इंदौर में इस उद्योग से जुड़े हजारों छोटे-बड़े कारखाने हैं, जिसके कारण शहर में कई लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होता है, लेकिन इंदौर में संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते इन कारखानों के मजदूर भी अपने घर को लौट गए हैं.
बनाया गया नमकीन क्लस्टर
उद्योग को बढ़ावा देने नमकीन क्लस्टर बनाया गया था, जिसमें इंदौर से नमकीन को पूरी दुनिया में पहचान मिली और भारत के साथ अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में इंदौर का नमकीन भेजा जाने लगा. इंदौर में नमकीन की 1000 से ज्यादा बड़ी इकाइयां मौजूद हैं, इनमें मजदूरों से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक के काम की जरूरत पड़ती है. जिससे हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है. अब बड़ी संख्या में मजदूरों के पलायन के कारण इन उद्योगों के सामने काम करने वाले कारीगरों की भी समस्या आ खड़ी हुई है. नमकीन एसोसिएशन के अध्यक्ष ने ईटीवी भारत से बताया कि सरकार के राहत पैकेज से उनके उद्योगों को कोई लाभ नहीं मिलेगा, हालांकि सरकार इंदौर के नमकीन व्यवसाय को बचाने के लिए अगर किसी राहत पैकेज की घोषणा करती है. तो उससे एक बार फिर शहर की पहचान को बचाया जा सकता है.