इंदौर। वाराणसी के ज्ञानवापी विवाद के बाद इंदौर का जूना गणेश मंदिर भी चर्चा में है. मुगल शासक औरंगजेब ने यहां भी हमला किया था. यहां मंदिर की सेवा करने वाले मनोहर लाल पाठक बताते हैं कि मंदिर की पूजा-पाठ और सेवा करते हुए उनके परिवार की कई पीढ़ियां गुजर गईं. एक मौका ऐसा भी आया जब दिल्ली और आगरा के रास्ते इंदौर से गुजरने पर औरंगजेब को इस मंदिर की जानकारी लगी. वह परमार कालीन काले पत्थरों से बने इस भव्य मंदिर को तोड़ने इंदौर के चंद्रभागा क्षेत्र में पहुंचा. इस बात की सूचना मंदिर के पुजारियों को लगी तो सभी लोग मंदिर के द्वार पर ताला लगा कर चले गए.
मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं कर सका औरगंजेब : इसके बाद औरंगजेब ने अपने सैनिकों के बल पर मंदिर के द्वार के ताले तोड़े. इसी दौरान द्वार पर लगी एक छोटी प्राचीन गणेश मूर्ति को भी औरंगजेब ने तोड़ना चाहा, लेकिन वह मूर्ति पूरी तरह टूट नहीं पाई बल्कि उस मूर्ति के नीचे स्थित आंशिक हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ. औरंगजेब जब मंदिर के अंदर द्वार से प्रवेश करने में सफल हो गया. इसी दौरान मंदिर में ऐसी अदृश्य घटना घटी कि औरंगजेब मंदिर की मुख्य मूर्ति तोड़े बिना ही द्वार से वापस लौट गया.
परमारकालीन काले पत्थरों से बना जूना गणेश मंदिर : इंदौर समेत मालवा अंचल के अन्य मंदिरों में औरंगजेब के विध्वंस के प्रमाण मिलते हैं, लेकिन इंदौर का यह प्राचीन मंदिर आज भी अपने शिल्प के भव्य रूप में मौजूद है. पुरातत्व विभाग को भी द्वार पर लगने वाली एक छोटी मूर्ति के अलावा औरंगजेब द्वारा विध्वंस के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि परमार कालीन काले पत्थरों से बना जूना गणेश मंदिर काफी भव्य मंदिर है, जहां श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है.
औरंगजेब बाल भी बांका नहीं कर सका : इतना ही नहीं इस मंदिर की ख्याति देश और दुनिया में है. पुजारी परिवार के लोग आज भी औरंगजेब द्वारा विध्वंस किए गए मंदिर के हिस्से को लेकर पुराने दिनों को याद करते हैं वह बताते हैं कि औरंगजेब ने अधिकांश मंदिर तोड़े, जिनमें से कई मस्जिदों में तब्दील हो गए हैं. हालांकि इंदौर के इस मंदिर का औरंगजेब बाल भी बांका नहीं कर सका.(Aurangzeb also arrived Indore) (Aurangzeb preparing to break Ganesh temple) (Then such a miracle and Mughal ruler ran away)