नर्मदापुरम। जिले के केसला ब्लॉक में 9 साल की बच्ची के रेप और मर्डर के दोषी फूफा को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने बताया कि इटारसी कोर्ट ने 3 महीने में यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि यह बहुत ही कम उम्र की पीड़िता के साथ किया गया कृत्य है. समाज को सख्त संदेश जाना चाहिए, ताकि इस प्रकार का कृत्य समाज में दोबारा न हो. श्री नेमा ने बताया कि केसला थाने के प्रभारी रहे गौरव बुंदेला ने इस केस में सिर्फ 10 दिन में चालान कोर्ट में पेश कर दिया था. वहीं आरोपी को किसी तरह की रियायत नहीं मिले, इसके लिए भी बहुत से सबूत जुटाए थे.
पुलिस ने दिखाई तत्परता : जिला अभियोजन अधिकारी राजकुमार नेमा ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में शुरू से ही गंभीरता से जांच की और सबूत जुटाए. साइंटिफिक एविडेंस और परिस्थिति के आधार पर कोर्ट में चालान पेश हुआ. अभियोजन ने पूरी मेहनत से जितने भी सबूत थे, उन्हें पेश कराया. 34 गवाही हुईं. पॉक्सो, रेप, मर्डर जैसी धाराओं में कोर्ट ने अपराध को सिद्ध पाते हुए दोषी को फांसी की सजा सुनाई. 26 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. बच्ची के मां-बाप को भी कोर्ट ने प्रतिकर के रूप में 5-5 लाख रुपए देने का आदेश दिया है.
यह है पूरा मामला : केसला में 18 नवंबर 9 साल की बच्ची को 22 साल के सगे फूफा ने चॉकलेट का लालच देकर उसे घर से दूर जंगल में ले गया. आरोपी फूफा ने नशा कर जंगल में पीड़िता से रेप किया. फिर जंगल में ही पीड़िता का गला घोंटकर उसकी जान ले ली. मासूस का शव जंगल में ही छोड़कर दोपहर में अपनी ससुराल आ गया था. बेटी साथ में न आने पर घर वालों ने फूफा से सवाल किए. शक न हो, इसलिए आरोपी ने खुद डॉयल 100 को कॉल करके बुलाया था. पुलिस ने छानबीन की तो पड़ोसियों से पता चला कि फूफा के साथ बच्ची को जाते हुए देखा था.
सख्ती की तो टूट गया आरोपी : पुलिस ने आरोपी से पूछताछ की तो पहले उसने गुमराह करने की कोशिश की. जब सख्ती हुई तो उसने बताया कि उसने बच्ची को मार डाला है. ये जघन्य कांड 18 नवंबर को हुआ था और 30 नवंबर को पुलिस ने चालान पेश किया. उसी दिन चार्जशीट भी तैयार हुई. 15 दिन में मामले में ट्रायल भी शुरू गया था. द्वितीय अपर सत्र मजिस्ट्रेट सविता जडिया की कोर्ट में सुनवाई चली. कोर्ट ने तीन मामलों में मृत्युदंड जबकि एक धारा में आजीवन लड़की के माता-पिता को पांच-पांच लाख रुपए प्रतिकर के आदेश दिये. आरोपी कोर्ट में जेल से ही उपस्थित हुआ था. यह इटारसी के इतिहास में पहली फांसी की सजा है.