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Guru Nanak Jayanti 2022: यहां आज भी मौजूद है सातवें गुरु द्वारा लिखित गुरु ग्रंथ, स्वर्ण स्याही का हुआ था उपयोग

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Published : Nov 8, 2022, 7:02 AM IST

Updated : Nov 8, 2022, 11:43 AM IST

हुशंगशाह बादशाह के समय पर गुरु नानक देव नर्मदापुरम पहुंचे थे. (Guru Nanak Jayanti 2022) यहां प्रचार के दौरान वह मध्यप्रदेश में भोपाल,जबलपुर होते समय नर्मदापुरम में भी रुके थे. तभी नर्मदापुरम का बादशाह हुशंगशाह को किसी बात की शंका को लेकर वह गुरु नानक साहब से निराकरण के लिए उनसे मिलने पहुंचे थे. दूसरी ओर देखा जाए तो श्री गुरु ग्रंथ साहिब का भी एक नर्मदापुरम में इतिहास मिलता है. यहां पुरातन स्वरूप प्राचीन ग्रंथ आज भी रखा हुआ है. संवत 1718 में सातवें गुरु हर राय साहिब हुआ करते थे. उनके समय का यहां गुरु ग्रंथ आज भी रखा हुआ है. यह पंजाब के किरतपुर में लिखा गया था.

Guru Nanak Jayanti 2022
नर्मदापुरम गुरु ग्रंथ में स्वर्ण स्याही का उपयोग

नर्मदापुरम। नर्मदापुरम में गुरुनानक देव 500 वर्ष पहले पहुंचे थे. प्राचीन इतिहास के अनुसार एक ग्रंथ आज भी यहां रखा हुआ है. पांच सामग्री एवं कुछ मात्रा में स्वर्ण से इसके अक्षरों को लिखने के लिये उपयोग किया गया था. इस गुरुद्वारे में यह आज भी सुरक्षित स्थान पर रखा हुआ है. 1973 की बाढ़ में सब बह गया था, लेकिन वह आज भी इसी मंगलवारा घाट स्थित प्राचीन गुरुद्वारे में धरोहर के रूप में है. जिसकी जानकारी ग्रंथ साहिब में आखरी पेज पर भी मिलती है. (Guru Nanak Sahib Narmadapuram)

नर्मदापुरम गुरु ग्रंथ में स्वर्ण स्याही का उपयोग

बाढ़ में मिला था गुरु ग्रंथ: 1973 में नर्मदा नदी में विकराल बाढ़ आई थी. यह छोटा सा रूम जैसा गुरुद्वारा इस जगह में आज भी सुशोभित है. यह गुरु ग्रंथ इसी जगह पर मिला था. आज गुरुद्वारा उसके बाद से ही यह गुरुद्वारा यहां पर स्थापित किया गया. करीब यह करीब 500 साल पुराना है. यह गुरु ग्रंथ है जिस समय गुरु ग्रंथ साहिब को लिखने की लिए स्याही का उपयोग किया गया. वह भी एक अलग किस्म की है. इसका वर्णन गुरु ग्रंथ साहिब के अंतिम पेज पर इसका वर्णन मिलता है.

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सोने की स्याही का उपयोग: गुरुद्वारे के सेवादार हरभनज सिंह ने बताया कि, 500 साल पहले जगत के उद्धार के लिए भोपाल जबलपुर रास्ते से यहां गुरुनानक देव पहुंचे थे. गुरुनानक देव के पहुंचते समय उस समय का राजा हुशंगासाह (Narmadapuram King Hushangshah) की शंका को भी उन्होंने दूर किया था. 1973 में इस क्षेत्र में बाढ़ के दौरान गुरु ग्रंथ मिला था. जो बाढ़ के दौरान गीला हुआ लेकिन स्याही नहीं फैली. इस ग्रंथ में 5 जड़ी बूटियों और सोने की स्याही का उपयोग किया गया है. जो आज भी सुरक्षित रखा हुआ है.

नर्मदापुरम। नर्मदापुरम में गुरुनानक देव 500 वर्ष पहले पहुंचे थे. प्राचीन इतिहास के अनुसार एक ग्रंथ आज भी यहां रखा हुआ है. पांच सामग्री एवं कुछ मात्रा में स्वर्ण से इसके अक्षरों को लिखने के लिये उपयोग किया गया था. इस गुरुद्वारे में यह आज भी सुरक्षित स्थान पर रखा हुआ है. 1973 की बाढ़ में सब बह गया था, लेकिन वह आज भी इसी मंगलवारा घाट स्थित प्राचीन गुरुद्वारे में धरोहर के रूप में है. जिसकी जानकारी ग्रंथ साहिब में आखरी पेज पर भी मिलती है. (Guru Nanak Sahib Narmadapuram)

नर्मदापुरम गुरु ग्रंथ में स्वर्ण स्याही का उपयोग

बाढ़ में मिला था गुरु ग्रंथ: 1973 में नर्मदा नदी में विकराल बाढ़ आई थी. यह छोटा सा रूम जैसा गुरुद्वारा इस जगह में आज भी सुशोभित है. यह गुरु ग्रंथ इसी जगह पर मिला था. आज गुरुद्वारा उसके बाद से ही यह गुरुद्वारा यहां पर स्थापित किया गया. करीब यह करीब 500 साल पुराना है. यह गुरु ग्रंथ है जिस समय गुरु ग्रंथ साहिब को लिखने की लिए स्याही का उपयोग किया गया. वह भी एक अलग किस्म की है. इसका वर्णन गुरु ग्रंथ साहिब के अंतिम पेज पर इसका वर्णन मिलता है.

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सोने की स्याही का उपयोग: गुरुद्वारे के सेवादार हरभनज सिंह ने बताया कि, 500 साल पहले जगत के उद्धार के लिए भोपाल जबलपुर रास्ते से यहां गुरुनानक देव पहुंचे थे. गुरुनानक देव के पहुंचते समय उस समय का राजा हुशंगासाह (Narmadapuram King Hushangshah) की शंका को भी उन्होंने दूर किया था. 1973 में इस क्षेत्र में बाढ़ के दौरान गुरु ग्रंथ मिला था. जो बाढ़ के दौरान गीला हुआ लेकिन स्याही नहीं फैली. इस ग्रंथ में 5 जड़ी बूटियों और सोने की स्याही का उपयोग किया गया है. जो आज भी सुरक्षित रखा हुआ है.

Last Updated : Nov 8, 2022, 11:43 AM IST
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