होशंगाबाद। संत शिरोमणि रामजी समाधि से गौरी शाह बाबा की दरगाह पर चादर चढ़ाई गई. चादर पोशी के बाद संत शिरोमणि रामजी बाबा मेला के शुभारंभ हुआ. वही हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक एवं संत रामजी बाबा और गौरी शाह बाबा की दोस्ती आज भी प्रासंगिक है. जिसकी मिसाल यह मेला है. यहां के लोगों में एक मान्यता है कि बाबा का समाधि स्थान और गौरी शाह बाबा की मजार हूबहू मंदिर जैसी दिखाई देती है.
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यह भी एक मान्यता है कि 19वीं शताब्दी में होशंगाबाद में अंग्रेजों के शासन काल में रेलवे लाइन का जब सर्वे हुआ, तो रामजी बाबा की समाधि स्थल के पास से रेलवे लाइन का निर्णय किया गया, लेकिन जब मजदूरों ने समाधि स्थल पर रेलवे का काम शुरू किया तो मजदूरों को परेशानी होने लगी. इसके बाद अंग्रेजों ने रेल लाइन के निर्माण की दिशा बदल दी.