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स्कूल बंद तो घर पर ही इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बना रहे निशक्त बच्चे, शिक्षकों से मिलता है सहयोग

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Published : Aug 12, 2020, 1:18 AM IST

भविष्य निशक्त विशेष विद्यालय होशंगाबाद के बच्चे कोरोना काल में स्कूल बंद होने की वजह से घर पर बच रहे समय में इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं को बना रहे हैं. ये प्रतिमाएं निशक्तजन बच्चों, स्कूल के शिक्षकों और सहयोगियों द्वारा बनाई जाती हैं. बच्चों द्वारा घर पर मिट्टी से प्रतिमाओं को बनाकर भेज दिया जाता है, जिसे स्कूल में एक्सपर्ट द्वारा अंतिम रूप दिया जाता है.

Future friendly special school children are making eco friendly Ganesh idols
भविष्य निशक्त विशेष विद्यालय के बच्चे बना रहे इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं

होशंगाबाद। कोरोना काल के चलते स्कूलों को बंद कर दिया गया है. स्कूल में बच्चों के जाने पर रोक है. ऐसे में फ्री बैठे दिव्यांग और निशक्त बच्चे गणेश प्रतिमा बनाकर अपना हुनर दिखा रहे हैं. ये बच्चे घर पर ही तरह-तरह की गणेश मूर्तियां बना रहे हैं. इसमें बच्चों के साथ पेरेंट्स भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. प्रतिमा बनाने के लिए सामग्री संस्था द्वारा उपलब्ध कराई गई है. ये मूर्तियां पूरी तरह प्राकृतिक रंगों से बनीं हैं. ये इको फ्रेंडली मूर्तियां नर्मदा नदी को प्रदूषित होने से बचाएंगी.

भविष्य निशक्त विशेष विद्यालय के बच्चे बना रहे इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं

भविष्य निशक्त विशेष विद्यालय होशंगाबाद द्वारा पिछले 10 सालों से स्कूल में ही गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कराया जा रहा था. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते आर्थिक रूप से नुकसान के बाद भी गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं. जो कि बिना किसी कीमत तय किए लोगों को स्वेच्छा राशि पर वितरित की जाती हैं.

प्राकृतिक रंगों से इको फ्रेंडली गणेश का निर्माण

बच्चे प्रकृति के प्रति समर्पण और स्वच्छता का संदेश देने के लिए इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का ही निर्माण कर रहे हैं. जिसमें पूर्णता प्राकृतिक रंगों, मिट्टी, वनस्पति का भी उपयोग किया गया है. गणेश प्रतिमाओं में बीजों को भी डाला गया है, जोकि पर्यावरण के लिए फायदेमंद है. वहीं प्राकृतिक रंगों का भी उपयोग किया जा रहा है, जिसका जलीय जीवों पर भी खराब असर नहीं होगा.

स्कूल के अध्यक्ष योगेश शर्मा ने बताया कि मिट्टी के गणेश बनाने में समय अधिक लगता है. लेकिन ये पर्यावरण के लिए वरदान रहती हैं. इस बार कोरोना वायरस के चलते बच्चे स्कूल नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे में घर पर ही बढ़-चढ़कर बच्चे प्रतिमाओं का निर्माण कर रहे हैं, जिनमें परिजनों द्वारा भी मदद की जा रही है.

कई सालों से कर रहे निशुल्क रूप से प्रतिमा का वितरण

आर्थिक रूप से जूझ रहे भविष्य निशक्त विशेष विद्यालय के द्वारा पिछले 10 साल से निशुल्क विकसित किए जा रहे गणेश प्रतिमाओं को इस बार भी पूर्ण रूप से बिना किसी आर्थिक मदद के लोगों को वितरित किया जाएगा. जिसको लेकर स्कूल द्वारा प्रतिभाओं का कोई मूल्य तय नहीं किया जाता है. स्वेच्छा से ही लोगों द्वारा स्कूल को मिलने वाले दान से प्रतिमाओं का निर्माण किया जाएगा.

वहीं स्कूल संचालक अफरोज खान का कहना है कि पिछले कई सालों से इसी सिद्धांतों पर गणेश प्रतिमाओं का वितरण किया जा रहा है. गणेश प्रतिमाएं मई से लगातार बच्चों द्वारा निर्मित की जा रही हैं.

होशंगाबाद। कोरोना काल के चलते स्कूलों को बंद कर दिया गया है. स्कूल में बच्चों के जाने पर रोक है. ऐसे में फ्री बैठे दिव्यांग और निशक्त बच्चे गणेश प्रतिमा बनाकर अपना हुनर दिखा रहे हैं. ये बच्चे घर पर ही तरह-तरह की गणेश मूर्तियां बना रहे हैं. इसमें बच्चों के साथ पेरेंट्स भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. प्रतिमा बनाने के लिए सामग्री संस्था द्वारा उपलब्ध कराई गई है. ये मूर्तियां पूरी तरह प्राकृतिक रंगों से बनीं हैं. ये इको फ्रेंडली मूर्तियां नर्मदा नदी को प्रदूषित होने से बचाएंगी.

भविष्य निशक्त विशेष विद्यालय के बच्चे बना रहे इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं

भविष्य निशक्त विशेष विद्यालय होशंगाबाद द्वारा पिछले 10 सालों से स्कूल में ही गणेश प्रतिमाओं का निर्माण कराया जा रहा था. लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते आर्थिक रूप से नुकसान के बाद भी गणेश प्रतिमाएं बनाई जा रही हैं. जो कि बिना किसी कीमत तय किए लोगों को स्वेच्छा राशि पर वितरित की जाती हैं.

प्राकृतिक रंगों से इको फ्रेंडली गणेश का निर्माण

बच्चे प्रकृति के प्रति समर्पण और स्वच्छता का संदेश देने के लिए इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का ही निर्माण कर रहे हैं. जिसमें पूर्णता प्राकृतिक रंगों, मिट्टी, वनस्पति का भी उपयोग किया गया है. गणेश प्रतिमाओं में बीजों को भी डाला गया है, जोकि पर्यावरण के लिए फायदेमंद है. वहीं प्राकृतिक रंगों का भी उपयोग किया जा रहा है, जिसका जलीय जीवों पर भी खराब असर नहीं होगा.

स्कूल के अध्यक्ष योगेश शर्मा ने बताया कि मिट्टी के गणेश बनाने में समय अधिक लगता है. लेकिन ये पर्यावरण के लिए वरदान रहती हैं. इस बार कोरोना वायरस के चलते बच्चे स्कूल नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे में घर पर ही बढ़-चढ़कर बच्चे प्रतिमाओं का निर्माण कर रहे हैं, जिनमें परिजनों द्वारा भी मदद की जा रही है.

कई सालों से कर रहे निशुल्क रूप से प्रतिमा का वितरण

आर्थिक रूप से जूझ रहे भविष्य निशक्त विशेष विद्यालय के द्वारा पिछले 10 साल से निशुल्क विकसित किए जा रहे गणेश प्रतिमाओं को इस बार भी पूर्ण रूप से बिना किसी आर्थिक मदद के लोगों को वितरित किया जाएगा. जिसको लेकर स्कूल द्वारा प्रतिभाओं का कोई मूल्य तय नहीं किया जाता है. स्वेच्छा से ही लोगों द्वारा स्कूल को मिलने वाले दान से प्रतिमाओं का निर्माण किया जाएगा.

वहीं स्कूल संचालक अफरोज खान का कहना है कि पिछले कई सालों से इसी सिद्धांतों पर गणेश प्रतिमाओं का वितरण किया जा रहा है. गणेश प्रतिमाएं मई से लगातार बच्चों द्वारा निर्मित की जा रही हैं.

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