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हर साल नाग पंचमी पर दुर्गम रास्ता तय कर श्रद्धालु पहुंचते हैं नाग मंदिर

सतपुड़ा के जंगलों में स्थित नाग मंदिर की हरि नागद्वार यात्रा के दर्शन का मौका साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी को ही मिलता है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में होने के चलते रिजर्व फॅारेस्ट प्रबंधन यहां आने-जाने का रास्ता बंद रखता है.

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Published : Aug 5, 2019, 1:54 PM IST

सतपुड़ा के जंगलों में नाग मंदिर पहुंचे श्रद्धालु

होशंगाबाद। सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच एक ऐसा रहस्मयी रास्ता है, जो सीधे नागलोक में प्रवेश दिलाता है, जहां पहुंचने के लिये खतरनाक पहाड़ों की चढ़ाई और बारिश में भीगे जंगलों से होकर जाना पड़ता है, तब कहीं नाग देवता की नगरी 'नागद्वार' पहुंचा जा सकता है.

सतपुड़ा के जंगलों में नाग मंदिर
प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी के जंगलों में स्थित नाग मंदिर में साल में सिर्फ एक बार हरि की नागद्वार यात्रा दर्शन का मौका मिलता है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने के चलते यहां प्रवेश वर्जित है. रिजर्व फॅारेस्ट प्रबंधन यहां आने-जाने का गेट बंद कर देता है. हर साल नाग पंचमी पर यहां पर एक मेला लगता है, जिसमें भाग लेने के लिए लोग जोखिम उठाकर18 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं.नाग पंचमी के दिन आसपास लगने वाले मेले के लिए 10 दिन पहले से ही कई राज्यों के श्रद्धालु खासतौर पर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के भक्तों का आना शुरू हो जाता है. नागद्वार के अंदर चिंतामणि की गुफा है, जोकि 100 मीटर लंबी है. इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं, जहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 12 किलोमीटर पैदल पहाड़ी की यात्रा करना पड़ता है. ये यात्रा सैकड़ों साल से जारी है, जहां नाग पंचमी के दिन श्रद्धालु सुबह से यात्रा शुरू करते हैं ताकि देर शाम तक पहुंच जाएं.इस साल ज्यादा बारिश नहीं होने के चलते ये यात्रा मात्र 5 दिन की कर दी गई है. एक अगस्त से नाग पंचमी तक चलने वाली इस यात्रा में करीब चार लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं. यहां श्रद्धालु पूरी तरह प्रकृति पर ही निर्भर हैं. यहां पीने के लिए पहाड़ से गिरने वाले पानी का उपयोग किया जाता है.

होशंगाबाद। सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच एक ऐसा रहस्मयी रास्ता है, जो सीधे नागलोक में प्रवेश दिलाता है, जहां पहुंचने के लिये खतरनाक पहाड़ों की चढ़ाई और बारिश में भीगे जंगलों से होकर जाना पड़ता है, तब कहीं नाग देवता की नगरी 'नागद्वार' पहुंचा जा सकता है.

सतपुड़ा के जंगलों में नाग मंदिर
प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी के जंगलों में स्थित नाग मंदिर में साल में सिर्फ एक बार हरि की नागद्वार यात्रा दर्शन का मौका मिलता है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र होने के चलते यहां प्रवेश वर्जित है. रिजर्व फॅारेस्ट प्रबंधन यहां आने-जाने का गेट बंद कर देता है. हर साल नाग पंचमी पर यहां पर एक मेला लगता है, जिसमें भाग लेने के लिए लोग जोखिम उठाकर18 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचते हैं.नाग पंचमी के दिन आसपास लगने वाले मेले के लिए 10 दिन पहले से ही कई राज्यों के श्रद्धालु खासतौर पर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के भक्तों का आना शुरू हो जाता है. नागद्वार के अंदर चिंतामणि की गुफा है, जोकि 100 मीटर लंबी है. इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं, जहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 12 किलोमीटर पैदल पहाड़ी की यात्रा करना पड़ता है. ये यात्रा सैकड़ों साल से जारी है, जहां नाग पंचमी के दिन श्रद्धालु सुबह से यात्रा शुरू करते हैं ताकि देर शाम तक पहुंच जाएं.इस साल ज्यादा बारिश नहीं होने के चलते ये यात्रा मात्र 5 दिन की कर दी गई है. एक अगस्त से नाग पंचमी तक चलने वाली इस यात्रा में करीब चार लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं. यहां श्रद्धालु पूरी तरह प्रकृति पर ही निर्भर हैं. यहां पीने के लिए पहाड़ से गिरने वाले पानी का उपयोग किया जाता है.
Intro:होशंगाबाद सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच घने जंगलों के बीच एक ऐसा रहस्मयी रास्ता जो नाग सीधे नागलोक के लिये जाता है जहॉ पहुंचने के लिये खतरनाक पहाड़ो को चढ़ाई ओर बारीश मे भीगे जंगलो मे से जाना होता है । तब नाग देवता के स्थान नगद्वारी पहुंच पाते है ।


Body:यह मौजूद है मध्य प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन पचमढ़ी के जंगलों में 10 साल में सिर्फ कुछ दिनों के लिए मिलती है यहां जाने की परमिशन साल में सिर्फ एक बार बात तो हरि की नागद्वारी की यात्रा दर्शन का मौका मिलता है सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के होने के कारण यहां प्रवेश वर्जित होता है रिजर्व फॉरेस्ट प्रबंधन यहां आने-जाने का रेट बंद कर देता है हर साल नाग पंचमी पर यहां पर एक मेला भर आता है जिसमें भाग लेने के लिए लोग जोखिम में डालकर 18 किलोमीटर की पैदल चलकर पहुंचते हैं नाग पंचमी के लिए क्या आसपास लगने वाले मेले के लिए 10 दिन पहले से ही कई राज्यों के श्रद्धालु खासतौर पर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के भक्तों का आना प्रारंभ हो जाता है नागदेव की कई मूर्तियां हैं यहां मौजूद नागद्वारी के अंदर चिंतामणि की गुफा है यह गुफा 100 मीटर लंबी है इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां है यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 12 किलोमीटर पैदल पहाड़ी यात्रा का पहुंचना पड़ता है यह यात्रा करीब 100 साल से चालू है श्रद्धालु सुबह से यात्रा शुरू करते हैं काकी शाम तक फा तक पहुंच जाए


Conclusion:इस बार बारिश नहीं होने के कारण यह यात्रा मात्र 5 दिन की कर दी गई 1 अगस्त से नाग पंचमी तक आज तक चलने वाली इस यात्रा में करीब 400000 से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं यहां श्रद्धालु पूरी तरह प्राकृतिक पर ही निर्भर होते हैं यहां पीने के लिए पहाड़ से गिरने वाले पानी का ही उपयोग किया जाता है आज भी यह यात्रा पूरी तरीके से वातावरण पर निर्भर है

बाइट -रमेश शर्मा (मंदिर पुजारी)
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