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'बेटी की पेटी' को भूल गई पुलिस, अब नहीं खोले जा रहे ताले - बेटी की पेटी

ग्वालियर शहर में महिलाओं की शिकायत सुनने के लिए 'बेटी की पेटी' लगाई गई थी, लेकिन पुलिस योजना को भूल गई हैं. अब पेटियों पर लटक रहे तालों पर जंग भी लग चुकी हैं.

beti ki peti yojna
बेटी की पेटी
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Published : May 7, 2021, 7:00 PM IST

ग्वालियर। शहर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस अलर्ट और तमाम इंतजाम अपनाती हैं, लेकिन खुद के बनाए प्लान को पुलिस भूल रही हैं. वहीं कुछ महीने पहले पुलिस अफसरों ने शहर में दौरा कर गल्र्स कॉलेज, स्कूल और कई जगहों पर पेटियां लटकाई थीं. उन्हें 'बेटी की पेटी' का नाम दिया गया था. पुलिस ने दावा किया गया था कि इस पेटी का मकसद महिलाओं के जरिए उन लोगों के बारे में जानकारी हासिल करना हैं, जो उनके साथ छेड़खानी या गलत हरकत करते हैं.

पीड़ित महिलाएं बदमाशों के खिलाफ सामने आकर शिकायत नहीं कर पाती हैं, लेकिन इन पेटियों में अपनी शिकायतें डाल सकती हैं. पुलिस इन्हें पढ़कर बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई करती हैं.

दरअसल, महिलाओं की सुरक्षा के लिए 'बेटी की पेटी' की शुरुआत तत्कालीन आईजी राजाबाबू सिंह और पूर्व एसपी नवनीत भसीन ने की थी. तब पुलिस ने थाना स्तर पर पेटी को तवज्जो दी थी, लेकिन इन अफसरों के तबादले के बाद इस पेटी से पुलिस ने नजर फेर लीं. ज्यादातर जगहों से यह पेटियां गायब हो गई हैं. जहां पर यह पेटी लटकी हुई गई हैं, उन्हें खोला नहीं जाता हैं. इन पेटियों पर लटक रहे तालों पर जंग भी लग चुकी हैं.

बेटी की पेटी

शिवराज सरकार के खिलाफ महिला कांग्रेस का प्रदर्शन, महिलाओं की सुरक्षा पर पूछा सवाल

पुलिसकर्मी कहते हैं कि महकमें में नए अफसरों के साथ उनका प्लान चलता हैं. पुराने अफसरों ने क्या किया, उनकी प्लानिंग को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया जाता हैं. वहीं ऐसी तमाम योजनाएं हैं, जिन्हें चालू करने वाले अफसरों के तबादले के बाद महकमा बेमतलब की बात मान कर भूल जाता हैं, क्योंकि अफसर के बदलने पर नया अधिकारी अपने प्लान को संचालित और लागू कराता हैं. विभाग पुरानी प्लानिंग को भूलकर नए की बात को अमल में लाता हैं.


एडिशनल एसपी हितिका वासल ने क्या कहा ?
'बेटी की पेटी' को लेकर एडिशनल एसपी हितिका वासल का कहना है कि शहर की महिलाओं के लिए ऑलरेडी प्रोग्राम चल रहे हैं. अभी हाल में ही मध्य प्रदेश के एक बड़े लेवल पर सम्मान प्रोग्राम चालू किया गया था, जिसमें महिलाओं के लिए कई कार्यक्रम करवाए गए थे. ग्वालियर पुलिस ने भी इन प्रोग्राम में बड़ी भागीदारी की थी. ऐसे काफी प्रोग्राम ग्वालियर पुलिस करती रहती हैं. वहीं अभी महिला दिवस के अवसर पर भी पुलिस विभाग ने अपना योगदान दिया था.

उन्होंने कहा कि अभी शहर के सारे थानों में महिला ऊर्जा डेक्स भी शुरू हो चुके हैं, जहां पर महिला अपनी सारी प्रॉब्लम महिला अधिकारी के सामने रख सकती हैं. वहीं एडिशन एसपी ने कहा कि महिलाओं की शिकायतें सुनने के लिए जो 'बेटी की पेटी' की योजना शुरू की गई थी. इस पर भी हम विशेष तौर पर ध्यान देंगे और देखेंगे कि उन पेटियों में क्या-क्या कंप्लेंट आ रही हैं.

ग्वालियर। शहर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पुलिस अलर्ट और तमाम इंतजाम अपनाती हैं, लेकिन खुद के बनाए प्लान को पुलिस भूल रही हैं. वहीं कुछ महीने पहले पुलिस अफसरों ने शहर में दौरा कर गल्र्स कॉलेज, स्कूल और कई जगहों पर पेटियां लटकाई थीं. उन्हें 'बेटी की पेटी' का नाम दिया गया था. पुलिस ने दावा किया गया था कि इस पेटी का मकसद महिलाओं के जरिए उन लोगों के बारे में जानकारी हासिल करना हैं, जो उनके साथ छेड़खानी या गलत हरकत करते हैं.

पीड़ित महिलाएं बदमाशों के खिलाफ सामने आकर शिकायत नहीं कर पाती हैं, लेकिन इन पेटियों में अपनी शिकायतें डाल सकती हैं. पुलिस इन्हें पढ़कर बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई करती हैं.

दरअसल, महिलाओं की सुरक्षा के लिए 'बेटी की पेटी' की शुरुआत तत्कालीन आईजी राजाबाबू सिंह और पूर्व एसपी नवनीत भसीन ने की थी. तब पुलिस ने थाना स्तर पर पेटी को तवज्जो दी थी, लेकिन इन अफसरों के तबादले के बाद इस पेटी से पुलिस ने नजर फेर लीं. ज्यादातर जगहों से यह पेटियां गायब हो गई हैं. जहां पर यह पेटी लटकी हुई गई हैं, उन्हें खोला नहीं जाता हैं. इन पेटियों पर लटक रहे तालों पर जंग भी लग चुकी हैं.

बेटी की पेटी

शिवराज सरकार के खिलाफ महिला कांग्रेस का प्रदर्शन, महिलाओं की सुरक्षा पर पूछा सवाल

पुलिसकर्मी कहते हैं कि महकमें में नए अफसरों के साथ उनका प्लान चलता हैं. पुराने अफसरों ने क्या किया, उनकी प्लानिंग को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया जाता हैं. वहीं ऐसी तमाम योजनाएं हैं, जिन्हें चालू करने वाले अफसरों के तबादले के बाद महकमा बेमतलब की बात मान कर भूल जाता हैं, क्योंकि अफसर के बदलने पर नया अधिकारी अपने प्लान को संचालित और लागू कराता हैं. विभाग पुरानी प्लानिंग को भूलकर नए की बात को अमल में लाता हैं.


एडिशनल एसपी हितिका वासल ने क्या कहा ?
'बेटी की पेटी' को लेकर एडिशनल एसपी हितिका वासल का कहना है कि शहर की महिलाओं के लिए ऑलरेडी प्रोग्राम चल रहे हैं. अभी हाल में ही मध्य प्रदेश के एक बड़े लेवल पर सम्मान प्रोग्राम चालू किया गया था, जिसमें महिलाओं के लिए कई कार्यक्रम करवाए गए थे. ग्वालियर पुलिस ने भी इन प्रोग्राम में बड़ी भागीदारी की थी. ऐसे काफी प्रोग्राम ग्वालियर पुलिस करती रहती हैं. वहीं अभी महिला दिवस के अवसर पर भी पुलिस विभाग ने अपना योगदान दिया था.

उन्होंने कहा कि अभी शहर के सारे थानों में महिला ऊर्जा डेक्स भी शुरू हो चुके हैं, जहां पर महिला अपनी सारी प्रॉब्लम महिला अधिकारी के सामने रख सकती हैं. वहीं एडिशन एसपी ने कहा कि महिलाओं की शिकायतें सुनने के लिए जो 'बेटी की पेटी' की योजना शुरू की गई थी. इस पर भी हम विशेष तौर पर ध्यान देंगे और देखेंगे कि उन पेटियों में क्या-क्या कंप्लेंट आ रही हैं.

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