जबलपुर: माध्यमिक शिक्षक भर्ती की चयन प्रक्रिया में उर्दू विषय को शामिल नहीं करने पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में छिंदवाड़ा की एक उर्दू शिक्षिका ने याचिका दायर की थी. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन ने इस विषय पर सुनवाई की. दलीलों को सुनने के बाद युगलपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि माध्यमिक शिक्षक भर्ती चयन प्रक्रिया में उर्दू विषय के उम्मीदवारों को भी मौका दिया जाए और उर्दू स्कूलों में खाली पदों पर भर्ती की जाए.
उर्दू शिक्षकों की भर्ती नहीं होने पर याचिका
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में छिंदवाड़ा की एक उर्दू शिक्षिका फातिमा अंजुम ने राज्य सरकार के माध्यमिक शिक्षक भर्ती पर सवाल खड़े करते हुए एक याचिका पेश की थी. इसमें उर्दू की शिक्षिका ने आरोप लगाया था कि "उर्दू शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा रही है. प्रारंभिक परीक्षा में तो उर्दू को शामिल किया गया था लेकिन चयन प्रक्रिया में उर्दू को शामिल नहीं किया गया. इस वजह से उर्दू शिक्षकों के पद खाली हैं."
हाईकोर्ट की युगलपीठ ने दिया आदेश
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन ने इस याचिका को सुना और राज्य सरकार को आदेश दिया है कि "माध्यमिक शिक्षक भर्ती में चयन प्रक्रिया में उर्दू विषय के उम्मीदवारों को भी मौका दिया जाए और उर्दू स्कूलों में खाली पदों पर भर्ती की जाए."
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'5000 से ज्यादा अभ्यर्थियों को मिल सकता है लाभ'
हाईकोर्ट के एडवोकेट आकाश सिंघई का कहना है कि "माध्यमिक शिक्षा मंडल की चयन परीक्षा में उर्दू विषय को शामिल नहीं किया गया था, इसी को लेकर फातिमा अंजुम ने याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ता का कहना है कि एलिजिबिली टेस्ट में उर्दू विषय को शामिल किया लेकिन चयन प्रक्रिया में इसे शामिल नहीं किया गया. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश किया है कि उर्दू शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए उर्दू शिक्षकों की भर्ती की जाए. इस फैसले से 5000 से ज्यादा अभ्यर्थियों को लाभ मिल सकता है."