ग्वालियर। करीब साढे तीन साल पहले शुरू की गई दीनदयाल रसोई का संचालन अब पूरी तौर पर नगर निगम ने अपने हाथ में ले लिया है. 2018 में सरकार बदलने के बाद इस रसोई को जैसे-तैसे चलाया जा रहा था. कई समाजसेवी संस्थाएं इस दौरान आई और कुछ समय के लिए अपना सहयोग किया, लेकिन बाद में घाटा होने पर संस्थाओं ने हाथ खींच लिए. अब इसे पूरे तौर पर नगर निगम द्वारा संचालित किया जा रहा है.
दरअसल 2016 में ग्वालियर के शासकीय बस स्टैंड परिसर में दीनदयाल रसोई का शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किया गया था. तब इसे गरीबों के लिए सरकार द्वारा उठाया गया एक उल्लेखनीय कदम बताया गया था.
शुरुआत में कुछ संस्थाओं ने भी शासकीय स्तर पर मिलने वाले राशन के गेहूं चावल के अलावा अपनी ओर से मदद की. यह मदद करीब 2 साल तक चलती रही. बाद में संस्थाएं भी बदलती गई और जैसे तैसे इसका संचालन चलता रहा. अब समाजसेवी संस्थाओं द्वारा हाथ खींचे जाने के बाद नगर निगम ने इसकी जिम्मेदारी ली है.
यहां नगर निगम सुबह 11 बजे से 3 बजे तक लोगों को पांच रुपये में सब्जी, दाल, रोटी और चावल उपलब्ध कराता है. लॉकडाउन का भी दीनदयाल रसोई पर असर पड़ा है. सामान्य दिनों में जब बसों और ट्रेनों का संचालन सामान्य था. तब यहां साढे चार सौ से लेकर 500 लोगों तक खाना खाया जाता था, जो घटकर अब सौ या डेढ़ सौ तक ही सिमट गया है. दूरदराज इलाकों से मजदूरी के लिए आए लोग और बस स्टैंड रेलवे स्टेशन पर रहने वाले लोग ही इस रसोई में खाना खाने आ रहे हैं, लेकिन खाने वाले लोग मौजूदा व्यवस्था से खुश है.