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चुनावी रण में समधी-समधन की जोड़ी, कोई हराने तो कोई जिताने में लगा, पढ़िए MP के चुनाव की अजब-गजब राजनीति

MP Samadhi Samadhan Politics: एमपी के चुनावी मैदान में इस बार फिर समधी और समधन की जोड़ी देखने मिलेगी. यह जोड़ी कहीं जीतने में एक-दूसरे का साथ देगी, तो कहीं वह एक-दूसरे को हराने की जो तोड़ कोशिश कर रहे हैं. पढ़िए ग्वालियर से संवाददाता अनिल गौर की यह रिपोर्ट...

MP Samadhi Samadhan Politics
मैदान में समधी और समधन की जोड़ी
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 17, 2023, 5:54 PM IST

मैदान में समधी और समधन की जोड़ी

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस में अपनी उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. इसी को लेकर कई विधानसभा में बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच चुनावी जंग छिड़ी है, तो वही कुछ सीटों पर रिश्तों की दिलचस्प जंग देखने के लिए मिल रही है. जिले के डबरा सीट पर तीसरी बार भाजपा और कांग्रेस ने समधी-समधन को मैदान में उतारा है. यहां भाजपा की इमरती देवी का मुकाबला कांग्रेस के सुरेश राजे के साथ होगा. समधि और समधन के बीच लगातार तीसरी बार मुकाबला होगा.

मैदान में समधी-समधन: इसके अलावा अबकी बार चुनाव में एक और समधी और समधन की जोड़ी मैदान में है. भिंड जिले के लहार विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर गोविंद सिंह 8वीं बार मैदान में उतरे हैं, तो वहीं अबकी बार उनकी समधन खरगापुर विधानसभा से चंदा सिंह गौर को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है. मतलब समाधि और समधन की एक जोड़ी एक दूसरे को हराने में लगी है, तो वही एक जोड़ी एक दूसरे को जिताने में लगी है.

ग्वालियर की डबरा विधानसभा सीट पर रिश्तों के बीच सियासी टकराव होगा. विधानसभा चुनाव में जहां इमरती देवी भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, तो उनके सामने कांग्रेस ने उनके ही समधी सुरेश राजे को फिर से मैदान में उतारा है. डबरा सीट के इतिहास में यह तीसरा मौका होगा. जब समधी-समधन आपस में चुनावी मैदान में लड़ रहे हैं.

कांग्रेस का गढ़ डबरा: डबरा विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. यहां से इमरती देवी ने कांग्रेस के टिकट पर साल 2008, 2013 और 2018 में लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीते हैं. तो वहीं 2020 में कांग्रेस छोड़ भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी इमरती देवी को उनके समधि कांग्रेस के सुरेश राजे के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. डबरा सीट के कांग्रेसी नेचर को देखते हुए कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे इस बार भी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी शिवराज-मोदी सरकारों के विकास और इमरती देवी के पुराने रिकॉर्ड का हवाला देकर अपनी जीत की दावेदारी कर रही है.

यहां पढ़ें...

एक दूसरे को हरा चुके हैं समधी-समधन: 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की इमरती देवी ने अपने समधी बीजेपी के सुरेश राजे को 32 हजार वोट से हराया और 2020 के विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के सुरेश राजे ने समधन बीजेपी की इमरती देवी को 8 हजार वोट से हराया था. इसके साथ ही 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने MLA सुरेश राजे को फिर से मैदान में उतरा, तो वहीं भाजपा ने भी समधन इमरती देवी को टिकट दिया.

कांग्रेस-बीजेपी का पलटवार: 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस बीजेपी के बीच हार जीत का अंतर 8 हजार वोट के करीब रहा था. लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस बार भी डबरा सीट पर मुकाबला कड़ा मानकर चल रही है. यही वजह है कि इस सीट पर समधी-समधन के बीच दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद जता रहे हैं. इसी को लेकर समधी यानी कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेश राजे का कहना है कि "इस बार फिर कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला है. उन्होंने कहा कि उन्होंने अब समधी मानने से इनकार कर दिया है, जब मैं उनका चुनाव हराया तो उन्होंने कहा कि अब समधी नहीं बचे हैं, लेकिन रिश्ता अपनी जगह और राजनीति अपनी है." वहीं इसको लेकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के अंदर परिवारवाद और वंशवाद आदिकाल से चला रहा है, नेता फिर उसका बेटा फिर उसका बेटा वही राजनीति चलती है.

मैदान में समधी और समधन की जोड़ी

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस में अपनी उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. इसी को लेकर कई विधानसभा में बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच चुनावी जंग छिड़ी है, तो वही कुछ सीटों पर रिश्तों की दिलचस्प जंग देखने के लिए मिल रही है. जिले के डबरा सीट पर तीसरी बार भाजपा और कांग्रेस ने समधी-समधन को मैदान में उतारा है. यहां भाजपा की इमरती देवी का मुकाबला कांग्रेस के सुरेश राजे के साथ होगा. समधि और समधन के बीच लगातार तीसरी बार मुकाबला होगा.

मैदान में समधी-समधन: इसके अलावा अबकी बार चुनाव में एक और समधी और समधन की जोड़ी मैदान में है. भिंड जिले के लहार विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी डॉक्टर गोविंद सिंह 8वीं बार मैदान में उतरे हैं, तो वहीं अबकी बार उनकी समधन खरगापुर विधानसभा से चंदा सिंह गौर को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है. मतलब समाधि और समधन की एक जोड़ी एक दूसरे को हराने में लगी है, तो वही एक जोड़ी एक दूसरे को जिताने में लगी है.

ग्वालियर की डबरा विधानसभा सीट पर रिश्तों के बीच सियासी टकराव होगा. विधानसभा चुनाव में जहां इमरती देवी भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, तो उनके सामने कांग्रेस ने उनके ही समधी सुरेश राजे को फिर से मैदान में उतारा है. डबरा सीट के इतिहास में यह तीसरा मौका होगा. जब समधी-समधन आपस में चुनावी मैदान में लड़ रहे हैं.

कांग्रेस का गढ़ डबरा: डबरा विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. यहां से इमरती देवी ने कांग्रेस के टिकट पर साल 2008, 2013 और 2018 में लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीते हैं. तो वहीं 2020 में कांग्रेस छोड़ भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी इमरती देवी को उनके समधि कांग्रेस के सुरेश राजे के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. डबरा सीट के कांग्रेसी नेचर को देखते हुए कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे इस बार भी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी शिवराज-मोदी सरकारों के विकास और इमरती देवी के पुराने रिकॉर्ड का हवाला देकर अपनी जीत की दावेदारी कर रही है.

यहां पढ़ें...

एक दूसरे को हरा चुके हैं समधी-समधन: 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की इमरती देवी ने अपने समधी बीजेपी के सुरेश राजे को 32 हजार वोट से हराया और 2020 के विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के सुरेश राजे ने समधन बीजेपी की इमरती देवी को 8 हजार वोट से हराया था. इसके साथ ही 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने MLA सुरेश राजे को फिर से मैदान में उतरा, तो वहीं भाजपा ने भी समधन इमरती देवी को टिकट दिया.

कांग्रेस-बीजेपी का पलटवार: 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस बीजेपी के बीच हार जीत का अंतर 8 हजार वोट के करीब रहा था. लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस बार भी डबरा सीट पर मुकाबला कड़ा मानकर चल रही है. यही वजह है कि इस सीट पर समधी-समधन के बीच दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद जता रहे हैं. इसी को लेकर समधी यानी कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेश राजे का कहना है कि "इस बार फिर कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला है. उन्होंने कहा कि उन्होंने अब समधी मानने से इनकार कर दिया है, जब मैं उनका चुनाव हराया तो उन्होंने कहा कि अब समधी नहीं बचे हैं, लेकिन रिश्ता अपनी जगह और राजनीति अपनी है." वहीं इसको लेकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के अंदर परिवारवाद और वंशवाद आदिकाल से चला रहा है, नेता फिर उसका बेटा फिर उसका बेटा वही राजनीति चलती है.

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