ग्वालियर। स्वर्णरेखा नदी के मामले में हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि सरकारी रवैया नहीं सुधरता है तो उन्हें काम कराना आता है. एक जमाने की स्वर्ण रेखा नदी ग्वालियर की जीवनदायिनी थी लेकिन अब यह नाले में तब्दील हो चुकी है. इसी की बदहाल हालत को देखते हुए अधिवक्ता विश्वजीत रतौनिया ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है और उन्होंने स्वर्णरेखा नदी के कांक्रीटीकरण का विरोध किया है.
सरकार पर कोर्ट नाराज: अधिवक्ता विश्वजीत ने कहा है कि नदी के कांक्रीटीकरण से शहर का जलस्तर तेजी से घट गया है जबकि पुराने समय में जब स्वर्णरेखा अपने मूल स्वरूप में बहती थी तब शहर का जल स्तर बेहतर था. हाई कोर्ट ने इस मामले में पिछली सुनवाई के दौरान न्याय मित्र और सरकारी अधिवक्ता से स्वर्णरेखा नाले के जीर्णोद्धार के लिए रोडमैप मांगा था. जिसे पेश करने में सरकार नाकाम रही. इसे लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई और कलेक्टर तथा निगम आयुक्त सहित सिंचाई विभाग के अफसरों को तलब कर लिया.
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हाईकोर्ट ने कहा तैयार करें रोडमैप: हाईकोर्ट के तलब करने पर निगमायुक्त हर्ष सिंह हाईकोर्ट पहुंचे. कलेक्टर के दौरे पर होने के कारण उनके स्थान पर एस डी एम एचबी शर्मा हाई कोर्ट पहुंचे. वहीं सिंचाई विभाग के अधिकारी भी पहुंचे. हाईकोर्ट ने सभी से संयुक्त रूप से कहा है कि इस मामले में 4 जुलाई तक एक रोडमैप यानी कार्य योजना कोर्ट में पेश करें. जिससे स्वर्णरेखा नदी में फिर से साफ पानी बहाया जा सके. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंचाई विभाग से स्वर्णरेखा में साफ पानी लाने के विकल्पों पर जानकारी चाही है. निगमायुक्त को कहा है कि वे सीवर युक्त पानी के लिए अलग से व्यवस्था करें. एसडीएम से कहा है कि वह सरकारी एजेंसियों को इस काम में लगाएं और स्वयंसेवी संस्थाओं और समाज सेवी लोगों को भी जोड़ें. इसे आंदोलन के रूप में लें तभी स्वर्णरेखा नदी का कायाकल्प हो सकेगा.