ग्वालियर। मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में विधायक बनने का सपना देख रहे ग्वालियर अंचल के टिकट के दावेदार नेता जी...अब धार्मिक आयोजनों का सहारा लेकर अपने मतदाता के बीच पारिवारिक संबंध बनाने में जुटे हुए हैं. साथ ही अपनी पार्टी को भी शक्ति प्रदर्शन दिखाकर टिकट की मांग कर रहे हैं, लेकिन धार्मिक आयोजनों को लेकर कांग्रेस बीजेपी एक दूसरे पर जुबानी हमले कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि "बीजेपी धर्म के नाम भ्रष्टाचार कर जनता का शोषण कर रही है तो वहीं बीजेपी ने कांग्रेस को इच्छाधारी धार्मिक बताया है.
दावेदारों की बढ़ रही धार्मिक आस्था: जैसे-जैसे मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है. वहीं चुनावी मौसम में टिकट के दावेदारों की धार्मिक आस्था भी बढ़ती जा रही है. बात अगर ग्वालियर अंचल की करें तो बीजेपी-कांग्रेस में टिकट के दावेदारों ने जनता जनार्दन के बीच पहुंचने का सबसे आसान रास्ता चुन लिया है. यह रास्ता है धर्म का. धर्म के आयोजनों कर विधायकी का सपना देखने वाले दावेदारों की एक लंबी लिस्ट देखना है तो आप प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की विधानसभा ग्वालियर 15 में देख सकते हैं. जहां एक नहीं दो नहीं बल्कि दोनों ही दलों में दर्जनों उम्मीदवार मैदान में हैं. हर दिन इस विधानसभा में धार्मिक आयोजनों मेला लग रहा है.
कांग्रेस-बीजेपी एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप: इन धार्मिक आयोजनों के सहारे टिकट के दावेदार विधायक बनने का सपना देख रहे हैं, लेकिन इन धार्मिक आयोजनों के चलते बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी जंग भी जारी है. कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि बीजेपी धर्म की आड़ में भ्रष्टाचार कर जनता का शोषण कर रही है.. तो वहीं बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा है कि "हमारा स्वभाव है सभी धर्मों का सम्मान और अपने धर्म का पालन करना, लेकिन कांग्रेस वोट कहां से आ सकता है, सिर्फ उसकी पूजा करती है, कांग्रेस पार्टी इच्छाधारी धार्मिक पार्टी है?
समय बताएगा किसे मिलेगी टिकट: गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी से टिकट पाने की चाह में विधायकी का सपना देख रहे दावेदारों में कोई धार्मिक आयोजन कर रुद्राक्ष बांट रहा है तो कोई प्रसिद्ध कथा वाचक जया किशोरी की कथा का रसपान यहां के मतदाताओं को करा रहा है. कुछ दावेदार तो मथुरा के प्रसिद्ध कथावाचकों को ग्वालियर शहर की विधानसभा के अलग-अलग वार्ड में कथाओं का आयोजन करा रहा है. हर दिन भंडारे और लंगर के आयोजन किए जा रहे हैं, लेकिन इन धार्मिक आयोजनों का लाभ इन दावेदारों को कितना मिल पाता है. यह कह पाना अभी मुश्किल है, क्योंकि चुनाव से पहले टिकट हासिल करना एक बड़ी चुनौती है.