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मिसालः पिता से बढ़कर निभा रहे जिम्मेदारी, मजदूर के बेटे को करा रहे इंजीनियरिंग

सिविल इंजीनियर राम मोहन त्रिपाठी ने एक मजदूर के बेटे को इंजीनियर बनाने की ठान लिया है. मजदूर राजेन्द्र के सेवा भाव को देखते हुए उसके इकलौते बेटे को बीटेक के लिए ग्वालियर के जाने-माने इंजीनियरिंग संस्थान में दाखिला दिलाया है.

मिसालः पिता से बढ़कर निभा रहे जिम्मेदारी
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Published : Jun 16, 2019, 5:45 PM IST

ग्वालियर। सिविल इंजीनियर राम मोहन त्रिपाठी ने एक मजदूर के बेटे को इंजीनियर बनाने की ठान लिया है. मजदूर राजेन्द्र के सेवा भाव को देखते हुए उसके इकलौते बेटे को बीटेक के लिए ग्वालियर के जाने-माने इंजीनियरिंग संस्थान में दाखिला दिलाया है. राजेन्द्र उन्हें अपना गुरू मानते हैं और कहते है कि उन्होंने हर मुसीबत में उनका साथ दिया है.

मिसालः पिता से बढ़कर निभा रहे जिम्मेदारी

सिविल इंजीनियर राम मोहन त्रिपाठी गाजियाबाद में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे थे. उसी दौरान उनकी मुलाकात बिहार से मजदूरी के लिए आए राजेंद्र प्रसाद चौरसिया से हुई. जिसके बाद से ही ये दोनों एक दूसरे के साथ काम करते हुए करीब आते गये. राजेंद्र का सेवा भाव देख त्रिपाठी ने उसके इकलौते बेटे संदीप को इंजीनियर बनाने की ठानी. उन्होंने बिहार के छपरा निवासी संदीप को उसके गांव से ही इंटरमीडिएट कराया. उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उसे ग्वालियर के जाने-माने इंजीनियरिंग संस्थान में प्रवेश दिलाया.
त्रिपाठी का कहना है कि वे अपने एकदम नजदीकी और अब घर के सदस्य बन चुके राजेंद्र चौरसिया के बेटे संदीप को इंजीनियरिंग की पढ़ाई अपने खर्चे से करा रहे हैं. इतना ही नहीं रोजाना शाम को उसकी पढ़ाई का स्टेटस भी जानते हैं और जरूरत पड़ने पर खुद भी उसे पढ़ाने बैठ जाते हैं.
संदीप के पिता राजेंद्र का कहना है कि यदि गुरू जी नहीं होते तो उनका बेटा शायद गांव में ही रह जाता और हो सकता था कि वह भी मजदूरी ही करता. उन्होंने हर मुसीबत में हमारा साथ दिया, हमारी बहनों की शादी में भी बहुत सहयोग किया है.

ग्वालियर। सिविल इंजीनियर राम मोहन त्रिपाठी ने एक मजदूर के बेटे को इंजीनियर बनाने की ठान लिया है. मजदूर राजेन्द्र के सेवा भाव को देखते हुए उसके इकलौते बेटे को बीटेक के लिए ग्वालियर के जाने-माने इंजीनियरिंग संस्थान में दाखिला दिलाया है. राजेन्द्र उन्हें अपना गुरू मानते हैं और कहते है कि उन्होंने हर मुसीबत में उनका साथ दिया है.

मिसालः पिता से बढ़कर निभा रहे जिम्मेदारी

सिविल इंजीनियर राम मोहन त्रिपाठी गाजियाबाद में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे थे. उसी दौरान उनकी मुलाकात बिहार से मजदूरी के लिए आए राजेंद्र प्रसाद चौरसिया से हुई. जिसके बाद से ही ये दोनों एक दूसरे के साथ काम करते हुए करीब आते गये. राजेंद्र का सेवा भाव देख त्रिपाठी ने उसके इकलौते बेटे संदीप को इंजीनियर बनाने की ठानी. उन्होंने बिहार के छपरा निवासी संदीप को उसके गांव से ही इंटरमीडिएट कराया. उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उसे ग्वालियर के जाने-माने इंजीनियरिंग संस्थान में प्रवेश दिलाया.
त्रिपाठी का कहना है कि वे अपने एकदम नजदीकी और अब घर के सदस्य बन चुके राजेंद्र चौरसिया के बेटे संदीप को इंजीनियरिंग की पढ़ाई अपने खर्चे से करा रहे हैं. इतना ही नहीं रोजाना शाम को उसकी पढ़ाई का स्टेटस भी जानते हैं और जरूरत पड़ने पर खुद भी उसे पढ़ाने बैठ जाते हैं.
संदीप के पिता राजेंद्र का कहना है कि यदि गुरू जी नहीं होते तो उनका बेटा शायद गांव में ही रह जाता और हो सकता था कि वह भी मजदूरी ही करता. उन्होंने हर मुसीबत में हमारा साथ दिया, हमारी बहनों की शादी में भी बहुत सहयोग किया है.

Intro:ग्वालियर
वे उस होनहार इंजीनियर के जैविक पिता भले ही नहीं हो लेकिन जिम्मेवारी उससे भी बढ़कर निभा रहे हैं। मजदूर के बेटे को गांव के माहौल से निकाल कर उसे सभ्य समाज का हिस्सा बनाने वाले राम मोहन त्रिपाठी को अब सभी लोग सम्मानीय मानते हैं।


Body:दरअसल सिविल इंजीनियर राम मोहन त्रिपाठी ग्वालियर के कंपू इलाके में रहते हैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वे गाजियाबाद में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे थे उसी दौरान उनकी मुलाकात बिहार से मजदूरी के लिए आए राजेंद्र प्रसाद चौरसिया से हुई। कुछ दिन बाद राजेंद्र चौरसिया को उसके ठेकेदार ने भुगतान नहीं किया तो वह त्रिपाठी के पास पहुंचा और खाने के लिए पैसे मांगे मांगे। धीरे-धीरे यह सिलसिला प्रगाढ़ संबंधों में बदल गया राजेंद्र प्रसाद चौरसिया की सेवा भावना को देखते हुए इंजीनियर राम मोहन त्रिपाठी ने उसके इकलौते बेटे संदीप को इंजीनियर बनाने की ठानी उन्होंने बिहार के छपरा में रहने वाले संदीप को उसके गांव से ही इंटरमीडिएट कराया उसके बाद पिता के साथ उच्च शिक्षा के लिए उसे ग्वालियर के जाने-माने इंजीनियरिंग संस्थान में प्रवेश दिला दिया।


Conclusion:आज संदीप सिक्स सेमेस्टर बिना किसी रुकावट के फर्स्ट क्लास में पास कर चुका है उसकी 4 ईयर चालू हो चुकी है छुट्टी होने पर वह इन दिनों अपने गांव गया हुआ है राम मोहन त्रिपाठी बताते हैं कि उनके पिता के बड़े भाई निसंतान थे लेकिन उनमें सेवा भाव बेहद था इसका असर उनके दिलो-दिमाग पर रहा और उन्होंने भी कुछ अलग करने की ठानी इसलिए वे अपने एकदम नजदीकी और अब घर के सदस्य बन चुके राजेंद्र चौरसिया के बेटे संदीप को इंजीनियरिंग की पढ़ाई अपने खर्चे से करा रहे हैं इतना ही नहीं पर रोजाना शाम को उसकी पढ़ाई का स्टेटस भी लेते हैं और जरूरत पड़ने पर खुद भी उसे पढ़ाने बैठ जाते हैं संदीप के पिता राजेंद्र कहते हैं कि यदि त्रिपाठी नहीं होते तो उनका बेटा शायद गांव में ही रह जाता और हो सकता था वह मजदूरी ही करता।
बाइट राम मोहन त्रिपाठी... सिविल इंजीनियर
बाइट... राजेंद्र प्रसाद चौरसिया.. संदीप के पिता
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