ग्वालियर। जिले में कलाकार और कलाकारों का एक अनूठा संगम इन दिनों देखने को मिल रहा है. ग्वालियर की विरासत और हेरिटेज को अपने कैनवास पर कूची, ब्रश और पेंटिंग के माध्यम से उतार रहे हैं. सबका प्रयास है कि ग्वालियर की धरोहर और संस्कृति आमजन के बीच अधिक से अधिक पहुंचे. इस कला और कलाकृतियों का प्रमोशन तो हो ही साथ ही कला और कलाकारों को भी महत्व मिले. इस कला को प्लेटफार्म भी दिया है, एक कलाकार पत्नी के निधन के बाद उसके कला प्रेमी पति ने. आइए समझते हैं पूरी कहानी...
बसंती जोशी की स्मृति में लगा शिविर: ग्वालियर के ऐतिहासिक बैजाताल परिसर में अलग-अलग विद्या के कलाकार अपना एक-एक ऑब्जेक्ट और थीम लेकर बैठे हैं. सबकी कोशिश है कि सामने जो तस्वीर असल में दिखाई दे रही है, उसे कैनवास पर उतारा जाए. ताकि ग्वालियर के हेरिटेज के स्वरूप को और अधिक महत्व मिले. पेंटिंग्स के माध्यम से उसका प्रमोशन भी हो. यह पूरा खुला रंगमंच और खुली कार्यशाला एक समय की जाने-माने कलाकार डॉ. बसंती जोशी (बक्षी) की स्मृति में कला रंगोत्सव के तहत कला शिविर में देखने को मिल रहा है.
इंडोर-आउटडोर कार्यशाला चल रही: अलग-अलग विद्या के इन चित्रकारों और कलाकारों की जो इंडोर और आउटडोर कार्यशाला चल रही है. उसमें अधिकतर कोल्हापुर, मुंबई और स्थानीय कलाकारों ने पेंटिंग्स बनाई है. सीन यह है कि वहां कई कलाकार पुरुष और स्त्रियों को सामने बैठा कर पोट्रेट बना रहे. वहीं, कुछ कलाकार लैंडस्केप, अमूर्त और अपनी विशेष शैली में समकालीन चित्रण कर रहे हैं.
जिला कलेक्टर ने की शिरकत: इस कला में गीले सूखे कलर हैं और कुछ कैलीग्राफी तकनीक से भी पेंटिंग करने का प्रयास कलाकार कर रहे हैं. इसमें चिकित्सक भी हैं और पेशेवर के साथ शोकिया पेंटिंग बनाने वाले देश भर के कलाकारों भी शामिल है. ग्वालियर में देश भर के कलाकारों और चित्रकारों का जमावड़ा है. ग्वालियर के हेरिटेज स्वरूप को उभारने की कोशिश की जा रही है. तो ऐसे में ग्वालियर के कलेक्टर भी इन कलाकारों की हौसला अफ़ज़ाई करने के लिए पहुंचे. इस तरह के आयोजन को ग्वालियर के हेरिटेज कैलेंडर में प्रोत्साहित करने का वादा भी किया है.