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MP हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने पेश की मिसाल, 100 पेड़ लगाने की शर्त पर दी कई आरोपियों को जमानत

पर्यावरण को बचाने के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मिसाल पेश की है. न्यायालय आरोपी को पेड़ लगाने की शर्त पर जमानत दे रहा है.

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Published : Jul 8, 2019, 2:04 PM IST

ग्वालियर खंडपीठ की पर्यावरण बचाने की कवायद

ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ पर्यावरण को बचाने के लिए मिसाल पेश कर रहा है. न्यायालय ने इस महीने में 2 दर्जन से अधिक ऐसे फैसले सुनाए हैं, जिसमें आरोपी को पेड़ लगाने की शर्त पर रिहा किया गया है. इसकी मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी वकीलों और दूसरे अधिकारियों को दी गई है.

ग्वालियर खंडपीठ की पर्यावरण बचाने की कवायद

समाजसेवियों का कहना है कि यह न्यायालय की तरफ से अनुकरणीय पहल है. जिसमें पर्यावरण को बचाने के लिए न्यायालय ने बीड़ा उठाया है, क्योंकि समाज पर्यावरण को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है, जबकि हालात ये हो गए हैं कि लोग पीने के पानी के लिए मोहताज हैं. इस लिहाज से न्यायालय की पहल काफी सराहनीय है.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ पर्यावरण को बचाने के लिए मिसाल पेश कर रहा है. न्यायालय ने इस महीने में 2 दर्जन से अधिक ऐसे फैसले सुनाए हैं, जिसमें आरोपी को पेड़ लगाने की शर्त पर रिहा किया गया है. इसकी मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी वकीलों और दूसरे अधिकारियों को दी गई है.

ग्वालियर खंडपीठ की पर्यावरण बचाने की कवायद

समाजसेवियों का कहना है कि यह न्यायालय की तरफ से अनुकरणीय पहल है. जिसमें पर्यावरण को बचाने के लिए न्यायालय ने बीड़ा उठाया है, क्योंकि समाज पर्यावरण को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है, जबकि हालात ये हो गए हैं कि लोग पीने के पानी के लिए मोहताज हैं. इस लिहाज से न्यायालय की पहल काफी सराहनीय है.

Intro:ग्वालियर- विश्व भर में हो रही ग्लोबल वार्मिंग को कंट्रोल करने के लिए सभी देश चिंतित हैं भारत के कई हिस्सों में आलम यह है के लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। इसका सीधा असर पेड़ों की अवैध कटाई और घटती हरियाली के चलते देखने को मिल रहा है लेकिन ग्वालियर जिला हाई कोर्ट पर्यावरण को बचाने के लिए मिसाल पेश कर रहा है। न्यायालय ने इस महीने में आधा सैकड़ा से अधिक ऐसे फैसले सुनाये है जिसमें आरोपी को पेड़ लगाने की शर्त पर रिहा किया गया है। और इसकी मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी वकीलों व अन्य अधिकारियों को दी है। पिछले कुछ दिनों से ग्वालियर हाईकोर्ट नहीं यह देखने में आ रहा है कि जब कोई भी व्यक्ति जमानत पर रिहा होने की अर्जी लगाता है तो उसे हाई कोर्ट एक शर्त पर जमानत देता है। शर्त के तौर पर उसे वृक्षारोपण करना होता है और हर सप्ताह उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने की भी हिदायत दी जाती है।


Body:शहर की समाजसेवियों का कहना है यह न्यायालय की तरफ से अनुकरणीय पहल है जिसमें पर्यावरण को बचाने के लिए न्यायालय ने बीड़ा होता या है क्योंकि जिस प्रकार से हमारा समाज लगातार पर्यावरण को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। इसके बावजूद हालात यह हो गए हैं कि लोग पीने के पानी के लिए मोहताज है। लेकिन पर्यावरण को बचाने के लिए न्यायालय की यह पहल काफी सराहनीय है। जिसने खुद का रावण को बचाने के लिए यह कदम उठाया है।

बाईट - सप्रा , समाजसेवी


Conclusion:पर्यावरण को बचाने के लिए इस समय हाई कोर्ट एक दिन में दो दर्जन से अधिक मामलों में पेड़ लगाने की शर्त पर आरोपियों को जमानत दे रहा है। न्यायालय ने आरोपी को पेड़ लगाए जाने की प्रमाणपत्र भी न्यायालय में प्रस्तुत करना होंगी। वहीं अभियोजन अधिकारी व क्षेत्र की अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि यह वे देखेंगे कि न्यायालय के आदेश का पालन हो रहा है कि नहीं । पालन होने या ना होने दोनों की स्थिति में उन्हें अपनी रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करनी होगी।

बाईट - अबधेश तोमर , अधिबक्ता
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