ग्वालियर। शहर के उपनगर मुरार स्थित मानसरोवर केयर मल्टी स्पेशलिटी एंड रिसर्च सेंटर (Mansarovar Care Multi Specialty And Research Center) के एक डॉक्टर ने मरीज का इलाज करते हुए कॉटन पेट (Cotton in Patient's Stomach) में ही छोड़ दिया था. महिला ने डॉक्टर की शिकायत उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) में की. फोरम ने मानसरोवर केयर मल्टीस्पेशलिटी एंड रिसर्च सेंटर पर पौने पांच लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. यह हर्जाना उपभोक्ता फोरम ने पीड़ित महिला को चुकाने के आदेश दिए हैं.
दरअसल भिंड निवासी ममता शर्मा को अत्यधिक ब्लडिंग की शिकायत थी. इसका इलाज करवाने के लिए ममता ने 19 अगस्त 2017 को मानसरोवर अस्पताल के डॉ. विशाल यादव से इलाज करवाया. डॉक्टर के कहने पर ममता शर्मा की बच्चेदानी का ऑपरेशन करवा लिया, लेकिन ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर ने सर्जिकल गॉर्ज महिला रोगी के पेट में ही छोड़ दिया गया और टांके लगा दिए गए. जिसके बाद महिला का स्वास्थ और खराब हो गया.
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स्वास्थ्य खराब होने पर दूसरे अस्पताल किया रेफर
ऑपरेशन के बाद महिला का स्वास्थ्य खराब हुआ तो उसे कल्याण मेमोरियल हॉस्पिटल (Kalyan Memorial Hospital) में रेफर कर दिया गया. 10 दिन तक ममता का वहां इलाज चला. कल्याण हॉस्पिटल से छुट्टी होने के बाद भी ममता के पेट में दर्द की शिकायत बनी रही. सात आठ महीने बाद ममता के पेट की आंते गल गई. जिससे उसे उल्टी और पेट में तेज दर्द होने लगा. इसके लिए ममता को अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य चिकित्सालय (Jayarogya Hospital) में भर्ती कराया गया. जहां 26 अप्रैल 2018 को सर्जरी कर उसके पेट में छोड़े गए सर्जिकल गोर्ज को निकाला गया.
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महिला को अस्पताल देगा 4 लाख 70 हजार रुपए
चिकित्सीय लापरवाही के कारण महिला को आर्थिक और मानसिक कष्ट उठाना पड़ा. इसके बाद महिला के परिजनों ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई. जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायतकर्ता को इलाज में हुई लापरवाही के कारण होने वाला खर्च और दूसरे ऑपरेशन के लिए डेढ़ लाख क्षतिपूर्ति के रूप में देने के आदेश दिए. इसके अलावा शारीरिक और मानसिक रूप से उठाए गए कष्ट के लिए तीन लाख रुपए 15 दिन के भीतर महिला को अदा करने के निर्देश मानसरोवर हॉस्पिटल को दिए. 15 दिन में क्षतिपूर्ति राशि अदा नहीं करने पर 7% वार्षिक ब्याज भी अदा करने का आदेश दिया गया है.