बुरहानपुर: भारत में कई ऐसे प्राचीन मंदिर मौजूद हैं, जो अपनी विशेषताओं के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. ऐसा ही एक मंदिर सिलमपुरा में स्थित है, जिसे करीब 200 साल पुराना बताया जाता है. यहां आज भी सैकड़ों साल पुरानी परंपराओं को निभाया जाता है. दरअसल, मान्यता है कि इस मंदिर में मकर संक्रांति के भगवान लक्ष्मीनारायण देव, हरे कृष्ण महाराज और स्वामीनारायण भगवान पतंग उड़ाते हैं. इसलिए मंदिर समिति ने भगवान के गर्भ गृह को पतंगों से सजाया है.
भगवान के हाथों में थमाई पतंग की डोर
मकर संक्रांति के अवसर पर मंगलवार अल सुबह से ही मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. भक्तों ने भगवान के पतंग उड़ाते हुए रूप का दर्शन किया. इस अनूठे दर्शन के दौरान भक्तों ने सांकेतिक रूप से पतंग की डोर भगवान के हाथों में थमाई. वहीं, मंदिर परिसर को भी पतंग और डोर से सजाया गया. बताया जाता है कि प्राचीन काल से ही पतंगबाजी का प्रचलन चलता आ रहा है. श्री स्वामीनारायण मंदिर, कोठारी के शास्त्री ब्रजवल्लभ दासजी महाराज बताते हैं कि "भगवान श्रीराम भी पतंग उड़ाते थे. तब से यह पतंगबाजी का शौक लोगों के सिर चढ़कर बोलता हैं. इस पतंगबाजी से अब भगवान भी अछूते नहीं है." वहीं, भक्तों ने कहा कि "मंगलवार को मकर संक्रांति पर भगवान स्वामीनारायण मंदिर में देवों ने भी पतंग उड़ाई."
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'भक्तों के दूर होते हैं कष्ट'
श्री स्वामीनारायण मंदिर, कोठारी के शास्त्री ब्रजवल्लभ दासजी महाराज बताते हैं कि "मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण से परिवर्तित होता है. सूर्य की किरणें व प्रकाश शरीर और आंखों पर पड़ने से दृष्टि बढ़ती है. इसके साथ ही पापों से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि आज के दर्शन का विशेष महत्व होता है. इस दिन भगवान के दर्शन से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. उनके जीवन की डोर मजबूत होती है. भक्तों का जीवन रंगों से भर जाता है. इस दिन बड़ी संख्या में भक्त दर्शन लाभ लेने पहुंचते हैं."