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पुलिस को मिली बड़ी सफलता, करोड़ों का गबन कर भागा बैंक क्लर्क गिरफ्तार

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Published : Nov 6, 2019, 9:54 AM IST

गुना पुलिस ने सायबर सेल की मदद से दो करोड़ से ज्यादा रुपयों का गबन कर चार साल पहले फरार हुए बैंक क्लर्क को गिरफ्तार कर लिया है.

रुपए के गबन का मामला

गुना। सायबर सेल और पुलिस ने दो करोड़ का गबन कर चार साल पहले फरार हुए आरोपी बैंक क्लर्क को गिरफ्तार कर लिया है. फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है. आरोपी क्लर्क के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.

रूपये का गबन कर फरार हुआ क्लर्क गिरफ्तार

चार साल पहले एक फरियादी ने अपने खाते से 91 लाख रुपए के गबन की शिकायत की थी. जिसकी जांच करने पर पाया गया कि आरोपी विवेक सूद ने गबन को अंजाम दिया है, आरोपी बैंक में पदस्थ होने के कारण ग्राहक के खातों की पूरी जानकारी रखता था. उसी का फायदा उठाते हुए उसने ग्राहकों के चेक पर फर्जी हस्ताक्षर कर इस गबन को अंजाम दिया था. इसी तरह उसने कई अन्य लोगों को भी चूना लगाया.

बैंक के रिकार्ड के अनुसार लगभग 2 करोड़ 45 लाख 71 हजार रुपए की राशि का गबन होना पाया गया. इस पर फरार आरोपी की गिरफ्तारी के लिये थाना कम्भराज एवं सायबर सेल की एक विशेष टीम गठित की गई. टीम ने फरार आरोपी को जानकारी के बाद जयपुर से गिरफ्तार किया.

गुना। सायबर सेल और पुलिस ने दो करोड़ का गबन कर चार साल पहले फरार हुए आरोपी बैंक क्लर्क को गिरफ्तार कर लिया है. फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है. आरोपी क्लर्क के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है.

रूपये का गबन कर फरार हुआ क्लर्क गिरफ्तार

चार साल पहले एक फरियादी ने अपने खाते से 91 लाख रुपए के गबन की शिकायत की थी. जिसकी जांच करने पर पाया गया कि आरोपी विवेक सूद ने गबन को अंजाम दिया है, आरोपी बैंक में पदस्थ होने के कारण ग्राहक के खातों की पूरी जानकारी रखता था. उसी का फायदा उठाते हुए उसने ग्राहकों के चेक पर फर्जी हस्ताक्षर कर इस गबन को अंजाम दिया था. इसी तरह उसने कई अन्य लोगों को भी चूना लगाया.

बैंक के रिकार्ड के अनुसार लगभग 2 करोड़ 45 लाख 71 हजार रुपए की राशि का गबन होना पाया गया. इस पर फरार आरोपी की गिरफ्तारी के लिये थाना कम्भराज एवं सायबर सेल की एक विशेष टीम गठित की गई. टीम ने फरार आरोपी को जानकारी के बाद जयपुर से गिरफ्तार किया.

Intro:
1 सायबर सेल व थाना कुंभराज पुलिस की संयुक्त कार्यवाही से हुआ आरोपी गिरफ्तार।
2 क्रिकेट मैच पर सट्टे की लत के चलते किया था पैसों का गबन
3 अपने पद का दुरूपयोग कर बैंक ग्राहकों के खाते से सीधे क्रिकेट सटोरियों के
खातों में करता था पैसा ट्रान्सफर
4 गिरफ्तार आरोपी विवेक सूद की गिरफ्तारी पर 10 हजार रूपये था इनाम घोषित
आरोपी मूलतः हरियाणा के कुरुक्षेत्र का रहने वाला है जो कई सालो से ललितपुर में
रह रहा था।
6 जो गूगल पर सर्च करता था, पुलिस से बचने के उपाय
7 आरोपी द्वारा जिन खातो में राशि ट्रान्सफर की गई है उनकी भी की जावेगी जांच

थाना
कुम्भराज व सायबर सेल से गठित विशेष टीम द्वारा थाना कुम्भराज के अप०क0 45/15 धारा
409.420,467,468,471 भादवि में 4 साल से फरार करोड़ों रूपये के गबन के आरोपी विवेक सूद को
गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है।
उल्लेखनीय है कि दिनांक 12.02.2015 को फरियादी मुस्ताक आलम, प्रबंधक बैंक
ऑफ इंडिया, शाखा कुंभराज द्वारा थाना कुम्भराज पर उपस्थित होकर रिपोर्ट किया था कि बैंक
ऑफ इंडिया शाखा कुंभराज में बैंक के ग्राहक मैसर्स रामधन विरदी चंद एण्ड संस श्री देवकी नंदन
कांसट के चालू खाता से 91 लाख रूपये की राशि चैकों के माध्यम से गबन करते हये दुसरे खातो
में भेज दी गई है। जब कांसट बैंक ऑफ इंडिया आये और 9 लाख निकालने पर नही निकले तब
बैंक अधिकारियो से संम्पर्क किया और बताया कि मेरे खाते में पर्याप्त मात्रा में राशि होने के बाबजद
भी मेरे 9 लाख के चैक का भुगतान बैंक द्वारा क्यों नहीं किया जा रहा है। उपरोक्त संन्दर्भ में बैक
अधिकारियो द्वारा कांसट के खातें की जॉच करने पर पाया गया कि पैसा खाते में नही है चैकों का
उपयोग कर निकाल लिया गया है। बैंक की जाँच में पाया गया कि शाखा में पदस्थ क्लर्क विवेक
सूद पिता अशोक सूद निवासी नई बस्ती गांधीनगर ललितपुर उत्तरप्रदेश द्वारा उक्त गबन किया
गया है। चूंकि विवेक सूद बैंक में पदस्थ होने के कारण ग्राहक के खातों की पूरी जानकारी रखता
था उसी का फायदा उठाते हुये विवेक सूद ने अपनी चालाकी से चैंको का उपयोग कर गबन की
घटना को अंजाम दिया। विवेक सूद ने यह पता लगा लिया था कि श्री कांसट द्वारा कौन से नम्बर
की चैक बुक का उपयोग नहीं किया गया, उसी चैक बुक के चैक का उपयोग कर, फर्जी हस्ताक्षर
से गबन को अंजाम दिया गया है।
उक्त घटना पर से थाना कुभराज में अपराध क्रमांक 45/15 धारा
409,420,467,468,471 आई.पी.सी. का कायम कर विवेचना में लिया गया था। दौराने विवेचना शाखा
प्रबंधक, बैंक ऑफ इंडिया शाखा कुंभराज द्वारा एक आवेदन पत्र थाना प्रभारी कुभराज को दिया गया।
था जिसमें उपरोक्त राशि के अतिरिक्त 34 खातों से भी गवन किया जाना बताया गया। बैंक द्वारा
जो चार्ट प्रस्तुत किया गया उसके अनुसार 2 करोड़ 45 लाख 71 हजार 7 सौ 97 रूपये की राशि
का गवन होना पाया गया।
चूकि प्रकरण के विगत 05 वर्ष से लंबित चलने को लेकर पुलिस अधीक्षक श्री
राहुलकुमार लोढा द्वारा प्रकरण की केस डायरी तलब कर समीक्षा की गई एवं टी.आई. कुभराज को
समय सीमा में उक्त प्रकरण में फरार आरोपी विवेक सूद को गिरफ्तार करने के लिये सख्त निर्देश
दिये गये। निर्देशानुसार फरार आरोपी की शीघ्र गिरफ्तारी के लिये थाना कम्भराज एवं सायबर सेल
से एक विशेष टीम गठित की गई, टीम द्वारा फरार आरोपी के संबंध में जानकारी एकत्रित की गई।
इस दौरान आरोपी के वर्तमान में जयपुर में होने के संबंध में पता चला तो टीम तत्काल जयपुर के
लिये रवाना हुई, जहां पर टीम द्वारा बड़ी ही सूझबूझ का परिचय देकर फरार आरोपी विवेक सद को
पकड़कर थाना कुम्भराज लेकर आने में सफलता हासिल की।

Body:गिरफ्तार शुदा आरोपी विवेक सूद से पूछताछ करने पर बताया कि मेरी पोस्टिंग
बैंक ऑफ इंडिया की शाखा कुम्भराज में बैंक क्लर्क के रूप में थी एवं मेरी पहली पोस्टिंग बैंक ऑफ
इंडिया शाखा पचोर में हुई थी, उसके बाद चन्देरी तथा इसके बाद कुंभराज शाखा में हुई थी। जब
में कुंभराज में पदस्थ था तब मुझे किकेट सट्टे की लत लग गई और में किकेट सट्टा लगाने लगा।
लेकिन मेरी वेतन काफी कम थी साथ ही परिवार में आर्थिक तंगी थी एवं माँ-बाप काफी ज्यादा
बीमार थे। फिर मैने क्रिकेट सट्टा लगाने हेतु कुछ लोगों से 20 से 40 प्रतिशत ब्याज पर पैसा
उधार लिया लेकिन उक्त राशि में किकेट सट्टे में हार गया। फिर लोगों द्वारा मुझे पैसा वापिस
करने हेतु जव परेशान किया जाने लगा तो मैने बैंक में ही खाता धारकों के खाते से राशि किकेट
बक्की के खातों में फर्जी चैकों व अन्य माध्यम से हस्तान्तरित करना चालू कर दिया। मैने खाता
धारकों को बिना बताये उनके नाम से नई चैक बुक जारी की व चैकों पर फर्जी हस्ताक्षर कर पैसा
किकेट बुक्की के खातों में ट्रांसफर करना शुरू कर दिया और खाताधारकों के खाते में रजिस्टर्ड
मोबाईल नंबर को मेरे द्वारा हटा दिया जाता था ताकि ट्रांजेक्शन का मैसेज खाताधारक तक नहीं
पहचता था। लोग जब पैसा निकालने आते थे तो उनकी आहरण पर्ची में किये गये हस्ताक्षरों को
देखकर नई आहरण पर्ची पर हस्ताक्षर कर किकेट बुक्की के खातों में पैसा ट्रांसफर करता था। जब
मझे लगा कि बैंक वालो को मुझ पर शक हो रहा हैं, तो में पुलिस के पकडे जाने के डर से भाग
गया और अलग-अलग शहरों में रहकर फरारी काटी। फरारी के दौरान में पुलिस से बचने के लिये
Conclusion:तरह-तरह के उपाय भी गूगल पर सर्च करता रहा।
उक्त फरार आरोपी की गिरफ्तारी में थाना प्रभारी कुम्भराज टीआई दिनेश शर्मा के
साथ एसआई रामबाबू शर्मा, सायबर सेल प्रभारी एएसआई मसीह खांन, एएसआई अनिल कदम,
आरक्षक कुलदीप भदौरिया, आरक्षक माखन चौधरी, आरक्षक भूपेन्द्र खटीक, आरक्षक आदित्य कौरव,
आरक्षक कपिल व्यास, आरक्षक उदयभान की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

बाईट राहुल लोढ़ा पुलिस अधीक्षक गुना
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