जबलपुर। इस मामले में प्राचार्य, एक स्कूल कर्मचारी, एक कैथोलिक पादरी और एक नन सहित चार लोगों को आरोपी बनाया गया है. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अधिकारियों की एक टीम ने चर्च द्वारा संचालित स्कूल और उसके छात्रावास का निरीक्षण किया था. इसके बाद प्रिंसिपल नाम सिंह यादव को 4 मार्च को हिरासत में ले लिया गया था. हिरासत में लिये गये प्रिंसिपल को अगले दिन रिहा कर दिया गया. क्योंकि छात्रों और उनके माता-पिता ने उनके और स्कूल के अन्य अधिकारियों के खिलाफ आरोपों को फर्जी और साजिश का हिस्सा करार देते हुए रिहाई की मांग की थी.
प्रिंसिपल फिर गिरफ्तार : इसके बाद प्रिंसिपल नाम सिंह यादव यादव को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो के कथित हस्तक्षेप के बाद 7 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया. प्रिंसिपल को रिहा करने वाले सामनापुर निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है. पुलिस पादरी और नन सहित अन्य आरोपियों की भी तलाश कर रही है. राजनीतिक संगठन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) के प्रदेश अध्यक्ष अमन सिंह पोर्थे सहित अन्य ने घटना का विरोध किया था. पुलिस ने महिला बाल विकास विभाग की महिला कर्मचारी के शिकायत पर उनके खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है. पोर्थे का कहना है कि यह चर्च संचालित स्कूल के खिलाफ साजिश का एक स्पष्ट मामला है, जो हमारे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहा है.
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आरोपों को नकारा : जबलपुर सूबा के बिशप गेराल्ड अल्मेडा ने भी प्रिंसिपल और अन्य के खिलाफ आरोपों से इनकार किया है. जुनवानी में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जबलपुर डायोकेसन सोशल सर्विस सोसाइटी 1940 से संचालित है. वर्तमान में इसमें 600 से अधिक लड़के और लड़कियां हैं. स्कूल में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग छात्रावास हैं. आरोप है कि बाल अधिकार आयोग के अधिकारी ने प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए रात में बच्चों के छात्रावास में विशेष रूप से लड़कियों के छात्रावास में गए. वहीं, पीड़ित दो बच्चियों के पिता अभिषेक यादव ने बताया कि उनकी दोनों बच्ची कक्षा 2 तथा कक्षा 4 की छात्रा हैं. वह अपनी बच्चियों से मिलने गये थे, तभी आयोग की टीम हॉस्टल में थी. वह बच्चियों से मिलकर वापस लौट आया था. बच्चियों ने इस प्रकार की शिकायत कभी नहीं की.