ETV Bharat / state

डिंडौरी: काले हिरणों से परेशान किसान ने दी आत्मदाह की दी धमकी, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

काले हिरणों से परेशान किसान ने दी आत्मदाह की दी धमकी, मुआवजे की कर रहे मांग, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

author img

By

Published : Mar 10, 2019, 3:07 PM IST

काला हिरण

डिंडौरी। काले हिरणके चलते खेतों की फसल बर्बाद हो रही है जिससे किसान परेशान हैं और मुआवजे की मांग कर रहे हैं. वहीं मुआवजा नहीं मिलने पर किसान आत्मदाह करने की चेतावनी दे रहे हैं. कारोपानी और खरगहना के किसान प्रधानमंत्री और वाइल्ड लाइफ डिवीजन दिल्ली को लेटर लिखकर अपनी परेशानी बता चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली है.

dindori, mp
काला हिरण

किसानों का कहना है कि उनके खेतों में लगाई गई फसलों को काले हिरणों के झुंड खा जाते हैं. इतने बुरे हालात है कि बेचने की छोड़िए वो खाने तक के लिए फसल की पैदावार नहीं कर पा रहे हैं. किसानों जिला प्रशासन और फॉरेस्ट विभाग से कई बार मुआवजे के लिए गुहार लगा चुका है लेकिन अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया. किसानों ने नारेबाजी करते हुए काले हिरणों को गांव से भगाने के साथ मुआवजे की मांग की है. प्रशासन की ओर से मांग पूरी नहीं करने पर उन्होंने आत्मदाह करने की चेतावनी दी है.

काला हिरण

बजाग तहसील के कारोपानी गांव को वन विभाग पर्यटन के लिहाज से भी संरक्षित कर रहा है. कारोपानी की खासियत ये है कि यहां बड़ी संख्या में काले हिरण पाए जाते है. खास बात ये है कि ये जमीन वन विभाग की नहीं बल्कि राजस्व विभाग की है, जहां 300 से ज्यादा किसान खेती कर अपना जीवन यापन करते थे. लेकिन जब से काले हिरणों की संख्या में इजाफा हुआ है तब से कारोपानी सहित खरगहना गांव के किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हैं.

खरगहना क्षेत्र के किसान संतोष राजपूत का कहना है कि कारोपानी एवं खरगहना गांव के कुछ किसानों ने खेती करना ही छोड़ दिया और जो कर रहे है उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है. उनका आरोप है कि कार्रवाई के आदेश के बावजूद जिला प्रशासन एवं फारेस्ट विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.

डिंडौरी। काले हिरणके चलते खेतों की फसल बर्बाद हो रही है जिससे किसान परेशान हैं और मुआवजे की मांग कर रहे हैं. वहीं मुआवजा नहीं मिलने पर किसान आत्मदाह करने की चेतावनी दे रहे हैं. कारोपानी और खरगहना के किसान प्रधानमंत्री और वाइल्ड लाइफ डिवीजन दिल्ली को लेटर लिखकर अपनी परेशानी बता चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली है.

dindori, mp
काला हिरण

किसानों का कहना है कि उनके खेतों में लगाई गई फसलों को काले हिरणों के झुंड खा जाते हैं. इतने बुरे हालात है कि बेचने की छोड़िए वो खाने तक के लिए फसल की पैदावार नहीं कर पा रहे हैं. किसानों जिला प्रशासन और फॉरेस्ट विभाग से कई बार मुआवजे के लिए गुहार लगा चुका है लेकिन अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया. किसानों ने नारेबाजी करते हुए काले हिरणों को गांव से भगाने के साथ मुआवजे की मांग की है. प्रशासन की ओर से मांग पूरी नहीं करने पर उन्होंने आत्मदाह करने की चेतावनी दी है.

काला हिरण

बजाग तहसील के कारोपानी गांव को वन विभाग पर्यटन के लिहाज से भी संरक्षित कर रहा है. कारोपानी की खासियत ये है कि यहां बड़ी संख्या में काले हिरण पाए जाते है. खास बात ये है कि ये जमीन वन विभाग की नहीं बल्कि राजस्व विभाग की है, जहां 300 से ज्यादा किसान खेती कर अपना जीवन यापन करते थे. लेकिन जब से काले हिरणों की संख्या में इजाफा हुआ है तब से कारोपानी सहित खरगहना गांव के किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हैं.

खरगहना क्षेत्र के किसान संतोष राजपूत का कहना है कि कारोपानी एवं खरगहना गांव के कुछ किसानों ने खेती करना ही छोड़ दिया और जो कर रहे है उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है. उनका आरोप है कि कार्रवाई के आदेश के बावजूद जिला प्रशासन एवं फारेस्ट विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.

Intro:एंकर _ देश मे काले हिरण उस समय मुख्यतः प्रसिद्ध हुए जब शिकार मामले में उनका नाम फ़िल्म अभिनेता सलमान खान से जुड़ा। काले हिरणों को नुकसान पहुचाने की सजा आज भी सलमान कोर्ट में पेशी जाकर भुगत रहे है । लेकिन डिंडौरी क्षेत्र में माजरा जरा उल्टा है यहाँ किसान काले हिरणों को नुकसान नही पहुँचाने की सजा भुगत रहे है। काले हिरणों की मौजूदगी के चलते खेतो की फसल बर्बाद हो रही है। क्षेत्र के किसान पत्र के माध्यम से जानकारी प्रधानमंत्री और वाइल्ड लाइफ डिवीजन दिल्ली तक पहुँचा चुके है लेकिन किसानों का आरोप है कि इसके बाद भी कुछ नही हुआ।खरगहना और कारोपानी गाँव के 500 से ज्यादा किसान आज भी काले हिरणों से परेशान है जबकि क्षेत्र का 1000 हेक्टेयर राजस्व भूमि में आता है और उन्हें संग्रक्षित करने की जिम्मेदारी फॉरेस्ट विभाग की लेकिन काले हिरणों के चलते फसलों के चौपट होने का मुआवजा उन्हें नही मिल रहा है।जिसके चलते किसान इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे है।


Body:वि ओ 01_ डिंडौरी जिले बजाग तहसील अंतर्गत कारोपानी गाँव जिसे पर्यटन की दृष्टि से जंगल विभाग संग्रक्षित कर रहा है।कारोपानी कि खास विशेषता यह है कि यहाँ बहुतायत संख्या में काले हिरण पाए जाते है।खास बात यह है कि यह जंगल विभाग की नही बल्कि राजस्व विभाग की भूमि है।जहाँ लगभग 300 से ज्यादा किसान खेती कर अपना जीवन यापन करते थे। लेकिन जब से काले हिरणों की संख्या में इजाफा हुआ है तब से कारोपानी सहित खरगहना गाँव के किसान खून के आंसू रोने को मजबूर है। किसानों का आरोप है कि उनके खेतो में लगाई गई फसलों को काले हिरणों का झुंड चट कर जाता है।आलम यह है कि फसलों को बेचना तो दूर खाने के लिए एकत्र नही कर पाते।किसानों के द्वारा जिला प्रशासन और फारेस्ट विभाग से कई बार फसलों की क्षति पर मुआवजे की मांग की गई लेकिन मुआवजा आज तक उन्हें नही मिला।

वि ओ 02_ वही खरगहना क्षेत्र के कुछ जागरूक किसानों में एक संतोष राजपूत ने इस बात की शिकायत देश के प्रधानमंत्री से लेकर वाइल्ड लाइफ डिवीजन ऑफिस दिल्ली तक कि । जिसके बाद कार्यवाही के लिए वर्ष 2014 और 2016 में पत्र भोपाल के चीफ सैकेट्री गवर्मेंट ऑफ मध्यप्रदेश भोपाल को पहुँचा। आरोप है कि उसके बाद भी जिला प्रशासन एवं फारेस्ट विभाग के कानों में जु तक नही रेंगी।हालात यह है कि कारोपानी एवं खरगहना गाँव के कुछ किसानों ने खेती करना ही छोड़ दिया और जो कर रहे है उन्हें अपने बच्चो के भविष्य की चिंता सता रही है।किसानों ने गांव में नारे बाजी करते हुए जिला प्रशासन से मुआवजे की मांग की है और मांगे नही मानी जाती तो काले हिरणों को गाँव से अन्यत्र करने की मांग की है और काले हिरणों को अन्यत्र नही किया जाता तो इच्छा मृत्यु की मांग की है।


Conclusion:बाइट_ संतोष राजपूत,किसान खरगहना
बाइट_दीनदयाल,किसान
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.