डिंडौरी। काले हिरणके चलते खेतों की फसल बर्बाद हो रही है जिससे किसान परेशान हैं और मुआवजे की मांग कर रहे हैं. वहीं मुआवजा नहीं मिलने पर किसान आत्मदाह करने की चेतावनी दे रहे हैं. कारोपानी और खरगहना के किसान प्रधानमंत्री और वाइल्ड लाइफ डिवीजन दिल्ली को लेटर लिखकर अपनी परेशानी बता चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली है.
किसानों का कहना है कि उनके खेतों में लगाई गई फसलों को काले हिरणों के झुंड खा जाते हैं. इतने बुरे हालात है कि बेचने की छोड़िए वो खाने तक के लिए फसल की पैदावार नहीं कर पा रहे हैं. किसानों जिला प्रशासन और फॉरेस्ट विभाग से कई बार मुआवजे के लिए गुहार लगा चुका है लेकिन अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया. किसानों ने नारेबाजी करते हुए काले हिरणों को गांव से भगाने के साथ मुआवजे की मांग की है. प्रशासन की ओर से मांग पूरी नहीं करने पर उन्होंने आत्मदाह करने की चेतावनी दी है.
बजाग तहसील के कारोपानी गांव को वन विभाग पर्यटन के लिहाज से भी संरक्षित कर रहा है. कारोपानी की खासियत ये है कि यहां बड़ी संख्या में काले हिरण पाए जाते है. खास बात ये है कि ये जमीन वन विभाग की नहीं बल्कि राजस्व विभाग की है, जहां 300 से ज्यादा किसान खेती कर अपना जीवन यापन करते थे. लेकिन जब से काले हिरणों की संख्या में इजाफा हुआ है तब से कारोपानी सहित खरगहना गांव के किसान खून के आंसू रोने को मजबूर हैं.
खरगहना क्षेत्र के किसान संतोष राजपूत का कहना है कि कारोपानी एवं खरगहना गांव के कुछ किसानों ने खेती करना ही छोड़ दिया और जो कर रहे है उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सता रही है. उनका आरोप है कि कार्रवाई के आदेश के बावजूद जिला प्रशासन एवं फारेस्ट विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की.